बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन एवं कृषि विभाग द्वारा जारी सूखाग्रस्त जिले की सूची को दुर्भावना पूर्ण बताते हुए मिथिला लोकतांत्रिक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज झा ने इस सूची को गया-नालंदा फोबिया से ग्रस्त बताया है। जिसमें उत्तर बिहार के मिथिला क्षेत्र के किसानों की उपेक्षा की गई है। इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा बिहार के मात्र 11 दक्षिणी जिलों के 96 प्रखंडों को सूखा प्रभावित मानकर 937 पंचायतों के 7841 गांवों की सूची जारी की गई है। जिसमें प्रांत के शेष जिलों समेत मिथिला क्षेत्र की साफ अनदेखी की गई है। जबकि सच्चाई यही है की इस बार असमय और अनियमित वर्षा से किसानों के फसलों की पैदावार बहुत कमजोर हुई है और स्थिति सूखाग्रस्त से भी बदतर है। जहां किसानों के धान की फसल बारिश के अभाव में लकवाग्रस्त जैसी है। जिसकी दुर्दशा इनके खेतों में जाकर स्पष्ट देखी जा सकता है। बिहार सरकार द्वारा उत्तर बिहार के मिथिला क्षेत्र के साथ किए जा रहे इस सौतेले व्यवहार को निराशाजनक व अन्यायपूर्ण मानते हुए मोर्चा अध्यक्ष मनोज झा ने कहा है कि राज्य सरकार एवं इसका प्रशासनिक महकमा अनवरत मिथिला क्षेत्र के हक़ हुकूक के साथ भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाती है। उत्तर बिहार के मिथिला क्षेत्र के किसान जहां अपनी धान के फसल की बर्बादी के बाद रबी फसल की पैदावार को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं। वहीं राज्य सरकार को प्रत्येक स्तर पर नालंदा, गया और जहानाबाद के अलावे शेष बिहार में कहीं कुछ नजर ही नहीं आता। क्षेत्र के किसान सरकार के इस भेद भाव पूर्ण रवैए से काफी आहत हैं और इसको लेकर किसानों में काफी रोस व्याप्त है। मिथिला लोकतांत्रिक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज झा ने राज्य सरकार के संबंधित विभाग से इसकी पुनर्समीक्षा किए जाने तथा सूखाग्रस्त क्षेत्रों में नियमानुसार दिए जाने वाले सहायता प्रावधानों के तहत उत्तर बिहार के मिथिला क्षेत्र के किसानों को इसका समुचित लाभ दिए जाने की मांग की है।
शनिवार, 15 अक्टूबर 2022
बिहार : सूखाग्रस्त जिले की सूची में मिथिला क्षेत्र की उपेक्षा दुर्भावना पूर्ण : मनोज झा
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