- आर्थिक आधार पर आरक्षण में वंचित तबके के गरीबों को नहीं किया गया शामिल
- 8 लाख सालाना आमदनी को आधार बनाकर सामान्य वर्ग के गरीबों की भी हकमारी
- भाजपा-आरएसएस की विभाजनकारी राजनीति का हथकंडा है सनातन संस्कृति समागम
- महागठबंधन सरकार के प्रति बढ़ रही है नाराजगी, गंभीरता से ले सरकार
उन्होंने यह भी कहा कि अब जब आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत बढ़ गई है तो राज्य सरकारों को वंचित समुदाय के आरक्षण के दायरे को बढ़ाने के लिए विचार करना चाहिए. बक्सर में आयोजित सनातन समागम का आयोजन धर्म के नाम पर भाजपा-आरएसएस की विभाजनकारी राजनीति का ही एक हथकंडा है. इस आयोजन में भाजपा शासित राज्यों के कई मुख्यमंत्री और भाजपाई विचार वाले कुछेक राज्यपाल भी शामिल हो रहे हैं. संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की भागीदारी कहीं से उचित नहीं है. खबर है कि शोभा यात्रा भी निकाली जाएगी. इसके जरिए भाजपा व आरएसएस बिहार में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं. यह बेहद चिंतनीय है और इसके प्रति हम सबको सावधान रहना होगा. बिहार में महागठबंधन सरकार से एक नई उम्मीद जगी, लेकिन सरकार आम लोगों को लगातार निराश ही कर रही है. शिक्षकों की बहाली पर अब तक किसी भी प्रकार की पहलकदमी नहीं उठाया जाना बेहद चिंताजनक है. इसके खिलाफ युवाओं में आक्रोश पनप रहा है. भाजपा-जदयू सरकार की तर्ज पर पुलिस दमन बदस्तूर जारी है. बिना वैकल्पिक आवास की व्यवस्था किए गरीबों को नहीं उजाड़े जाने जैसे वक्तव्यों के बावजूद जगह-जगह गरीबों की झोपड़ियां पर बुलडोजर चल रहे हैं. सांप्रदायिक उन्माद की राजनीति जारी है. बिहार विधानसभा की दो सीटों पर हुए उपचुनाव में भी जनता की नाराजगी दिखी है. महागठबंधन सरकार को इसके प्रति गंभीरता दिखलानी चाहिए और जनता से किए वादों की दिशा में ठोस पहलकदमी लेनी होगी. भाकपा-माले का 11 वां महाधिवेशन पटना में 15-20 फरवरी तक आयोजित होगा. 15 फरवरी को गांधी मैदान में लोकतंत्र बचाओ- देश बचाओ रैली होगी. पूरी पार्टी कतार पार्टी महाधिवेशन में उतर चुकी है.
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