अरवल से माले के विधायक हैं महानंद सिंह। पहली बार निर्वाचित हुए हैं। विधान सभा में अपने दो वर्षों का अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि दो वर्षों में सरकार बदल गयी, विधान सभा के अध्यक्ष बदल गये, लेकिन सरकार के कामकाज का तरीका और शैली नहीं बदली है। भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी के खिलाफ लड़ाई जटिल होती जा रही है। इसके बावजूद अपने क्षेत्र में विधायक फंड में पूर्व से व्याप्त कमीशनखोरी को समाप्त किया है और कार्यों की गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं किया। महानंद कहते हैं कि विधान सभा में सवाल उठाने के बाद कई बार गलत जवाब आता है। इस संबंध में मामला उठाने के बाद भी गलत जवाब भेजने वाले अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है। सरकार सही जवाब भी नहीं देती है। सरकार जनसस्याओं के समाधान में विफल रहती है। वे कहते हैं कि विधान सभा सर्वोच्च संस्था है। जन आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है, लेकिन सदन कई बार जन अपेक्षाओं को समझने और पूरा करने में विफल होती दिखती है। विधायक ने कहा कि सदन की विधायी प्रक्रिया को और अधिक सुदृढ़ और पारदर्शी बनाने की जरूरत है। सदन में उठाये गये प्रश्नों का उत्तर स्थल निरीक्षण के आधार पर दिया जाना चाहिए, ताकि लोग वस्तुस्थिति से अवगत हो सकें। कागजी उत्तरों से उत्तर की प्रक्रिया पूरी होती है, समस्याओं का समाधान नहीं होता है।
--- वीरेंद्र यादव न्यूज ----
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