दिल्ली/ महिमा सिंह: ‘द आर्ट सैंक्चुरी’ यह एक बैंगलोर स्थित ट्रस्ट है, जिसने बीते माह अक्तूबर 2022 में (14 अक्टूबर से 16 अक्टूबर तक) नई दिल्ली में बौद्धिक रूप से अक्षम युवा वयस्कों (जिन्हें वैधानिक रूप से स्पेशल या दिव्यांग कहा जाता है) इस वर्ग के युवाओं द्वारा बनाई आर्ट वर्क, पेंटिंग, फोटो और कला का चौथा वार्षिक आयोजन किया गया. इस वार्षिक कला आयोजन का पूर्वावलोकन 13 अक्टूबर को किया गया. बौद्धिक रूप से विकलांग युवा वयस्कों के सशक्तिकरण को ध्यान में रखकर उसी दिशा में काम करने के लिए समर्पित ट्रस्ट "द आर्ट सैंक्चुअरी" ने इस प्रदर्शनी ‘eCAPA 2022’ का आयोजन किया. जिसमें मानव समाज के द्वारा बर्गालाये गए इस समूह के बच्चों और युवा जिन्हें (अनदेखे और अनसुने) समाज अल्पसंख्य का दर्जा देकर अपनी सामाजिक जिम्मेदारी की इतिश्री कर लेता है उसी वर्ग के युवा कलाकार द्वारा थोड़े से मार्गदर्शन से तैयार कुछ अविश्वसनीय पेंटिंग और आर्ट वर्क देखने को, समझने को मिला। इस प्रदर्शनी में इन दिव्यांग जनों ने अपने पारखी नजर और दुनिया को जैसे वो देखते हैं उसी रूप में तहे दिल से इस कला के नायाब तस्वीर का निर्माण किया। इस कला प्रदर्शनी में 47 न्यूरोडाइवर्स कलाकारों को उनकी 85 कलाओं के माध्यम से पेश किया गया. इस अद्वितीय प्रदर्शनी को देखने और कवर करने और बौद्धिक रूप से अक्षम युवा वयस्कों की दुनिया और कला कार्यों को साझा करने का मौका स्वस्थ भारत की स्पेशल रिपोर्टर महिमा सिंह को मिला. जिन्होंने तस्वीरों और वीडियो के माध्यम से इन युवा कलाकारों के बेहतरीन कला को कवर किया और आप तक वीडियो और फोटो और कुछ शब्दों के माध्यम से पहुँचाने का एक छोटा प्रयास किया है. एक फिल्म का संवाद है जीवन लंबा नहीं बड़ी होनी चाहिए यह आनंद मूवी में राजेश खन्ना के किरदार अपने डॉक्टर से कहता है. वैसे ही यह युवा कलाकार भी अपनी कला के माध्यम से इस समाज और दुनिया को बताना चाहते हैं की वो भी सब कुछ कर सकते हैं जो एक युवा करता है उन्हें स्पेशल और दिव्यांग का स्टैटस नहीं चाहिए बस समाज से स्वीकार और एक अवसर चाहिए जो समाज हर नवयुवक और युवती को देता है। उन्हें खुद को बेहतर और मजबूत बनाने के लिए बस उतने ही मदद और सहायता की दरकार इन्हें भी है बाकि वो भी दुनिया को वैसे ही जीते और समझते हैं जैसे आम लोग करते है.
गुरुवार, 17 नवंबर 2022

"द आर्ट सैंक्चुअरी" बढ़ा रहा दिव्यांग वयस्कों का मनोबल
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