- डॉ ए के सेन जाति व्यवस्था के खिलाफ थे- प्रो चंद्रशेखर
- डॉ एके सेन शोषित पीड़ित आवाम के हमदर्द थे
इस दौरान मंच पर बतौर विशिष्ट अतिथि बिहार के माननीय शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर, बिहार कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मदन मोहन झा, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सहजानंद सिंह, अखिल भारतीय महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आर बी सिंह, मगध विद्यालय के भूतपूर्व कुलपति कार्यानंद पासवान, पटना विश्वविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो नवल किशोर चौधरी, प्रख्यात कवि आलोक धन्वा, पूर्व सांसद नागेंद्र नाथ ओझा, पूर्व विधान पार्षद उषा साहनी संजय यादव एवं दिलीप चौधरी, रूसा के उपाध्यक्ष कामेश्वर झा, अखिल भारतीय विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर अरुण कुमार, पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह, पूर्व विधायक अबधेश राय,जेएनयू के सेवानिवृत्त प्राध्यापक सुबोध नारायण मालाकार, एटक के महा सचिव गजनफ्फर नवाब, वेदिता झा, डॉ सेन की पुत्रवधू अजीता सेन एवं दो पौत्र आदि अन्य लोग उपस्थित थे। प्रतिमा अनावरण समारोह का उद्घाटन करते हुए अपने संबोधन में मुख्य अतिथि डी राजा ने कहा डॉ ए के सेन बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन मानव समाज के कल्याण में समर्पित किया। मुझे उन्हें देखने का अवसर तो नहीं मिल सका, लेकिन मैं उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए एवं उनकी प्रतिमा का अनावरण करते हुए खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ। इस मौके पर मैं उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं और उन्हें सलाम करता हूँ। वे न सिर्फ एक सुप्रसिद्ध चिकित्सक थे बल्कि सामाजिक कार्यों में भी अग्रणी रूप से भूमिका निभाते थे। जब स्वास्थ्य क्षेत्रों में लोग मुनाफा कमाने के लिए आम जनों से मोटी फीस लिया करते थे,तब वह बेहद मामूली कीमत पर आम जनों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करा रहे थे। आगे उन्होंने कहा कि वे एक महान और कुशल संगठन कर्ता थे। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े कई संगठनों का निर्माण किया। कॉलेज एवं विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों को संगठित कर उन्होंने उनके हक और अधिकार की लड़ाइयां लड़ी।
उन्होंने सबों के लिए बेहतर स्वास्थ्य औऱ शिक्षा मिले तथा समाज में अमन और भाईचारा कायम रहे इसको लेकर आजीवन संघर्षरत रहे। आज जब केंद्र की मोदी सरकार में लोकतंत्र और संविधान पर हमले हो रहे हैं। संवैधानिक मूल्यों को तहस-नहस कर समाज में नफरत और उन्माद का बीज बोया जा रहा है। ऐसे में डॉ एके सेन हमारे संघर्ष के प्रेरणा स्रोत हो सकते हैं। उनसे हमें सीख लेकर आगे बढ़ना होगा। समारोह को संबोधित करते हुए बिहार के माननीय शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने कहा कि डॉ एके सेन चिकित्सक होते हुए कॉलेज एवं विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को संगठित कर संगठन बनाया तथा उनके अधिकार के लिए आवाज उठाया। उन्होंने कहा कि सेन साहब जाति व्यवस्था के खिलाफ थे आज अगर हम सेन साहब को याद कर रहे हैं तो हमें जाति व्यवस्था के खिलाफ संकल्प लेना होगा। उन्होंने उपस्थित लोगों से महापंडित राहुल सांकृत्यायन लिखित किताब "साम्यवाद ही क्यों?" पढ़ने की अपील किया। शिक्षकेतर कर्मचारियों के समस्याओं पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि जो भी समस्याएं है उनसे आप हमें अवगत कराएं हम उसे दूर करने की पूरी प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा एवं स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। साथ ही उन्होंने उपस्थित शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों से संस्थानों में शैक्षणिक माहौल बनाने की अपील किया।
वही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष सहजानंद जी ने कहा कि डॉ एके सेन हमेशा गरीबों का सेवा करते थे। दवाइयों को ईकट्ठा कर और अपने डॉक्टर साथियों का टीम बनाकर वे गरीबों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य शिविर लगाया करते थे। आज हम उनके जयंती के मौके पर यह संकल्प लेते हैं कि उनके रास्ते पर चलकर हमारा डॉक्टर समाज आम जनों का सेवा करता रहेगा। अखिल भारतीय महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय अध्यक्ष आर बी सिंह ने कहा कि आज शिक्षक एवं कर्मचारियों के हजारों पद खाली हैं। देश के हर एक प्रदेश में संस्थानों में पद तो खाली हो रही है लेकिन उसे भरा नहीं जाता है। उन्होंने 2005 में आई नई पेंशन स्कीम को रद्द कर पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की मांग किया। उन्होंने कहा कि राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब में कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू की है। लेकिन बिहार सरकार इसे लागू क्यों नहीं कर रही है? मौजूदा केंद्र सरकार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को खत्म कर कॉलेज एवं विश्वविद्यालयों के स्वायत्तता पर हमला कर रही है। आगे उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन योजना लागू करने को लेकर हम देश भर के कर्मचारियों को संगठित कर आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं।
समारोह को संबोधित करते हुए पटना विश्वविद्यालय के पूर्व प्राचार्य नवल किशोर चौधरी ने कहा डॉक्टर सेन एक महामानव थे। मुझे उनके साथ काम करने का दो दशक तक सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि डॉ सेन यह कहा करते थे कि जिस तरह मानव रूपी शरीर में रोग लगता है ठीक उसी तरह समाज रूपी शरीर में भी रोग लगता है। जब तक हम समाज रूपी शरीर को ठीक नहीं कर लेते तब तक हम मानव को ठीक नहीं कर पाएंगे। क्योंकि मानव भी उसी समाज का हिस्सा है। बीमार समाज स्वस्थ इंसान पैदा नहीं कर सकता। डॉ सेन के साथ अपना संस्मरण साझा करते हुए प्रो नवल किशोर चौधरी ने कहा कि जब 1981 में बड़े पैमाने पर दंगा हुआ तब डॉ सेन ने बुद्धिजीवियों को इकट्ठा कर समाज में सांप्रदायिक सौहार्द कायम करने तथा लोगों के अंदर चेतना पैदा करने के लिए एक संगठन का निर्माण किया। बौद्धिक लोगों को संगठित कर उन्होंने साइंस फॉर सोसाइटी का निर्माण किया। नागरिक सरोकार व जनतांत्रिक अधिकारों के लिए प्रतिबंध संस्था सिटीजन फोरम की स्थापना किया। कार्यक्रम में बिहार राज्य महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के उपाध्यक्ष वेंकटेश कुमार,रूही खातून, कोषाध्यक्ष रोहित कुमार, संयुक्त सचिव रोहित कुमार, सुशील मंडल, प्रेमचंद मंडल, दीपक कुमार सिंह, प्रमोद कुमार यादव,अशोक कुमार मिश्रा, सीपीआई नेता विश्वजीत कुमार, ओम प्रकाश नारायण, प्रमोद प्रभाकर, रामबाबू कुमार, विजय नारायण मिश्र, जब्बार आलम, अखिलेश सिंह, जितेंद्र कुमार, आदि लोग शामिल थे।
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