नीतीश के राज में अधिकारियों का जंगलराज
बिहार में व्याप्त भ्रष्टाचार पर बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि लालू के राज में अपराधियों का जंगलराज था और नीतीश के राज में अधिकारियों का जंगलराज है। उन्होंने बताया, "बुजुर्गों को वृद्धा पेंशन नहीं मिल रहा है। 400 रुपए के वृद्धा पेंशन में भी लोगों को 20 रुपए तक का घूस देना पड़ता है। पंचायत स्तर से लेकर ब्लॉक स्तर के दफ्तरों में घूसखोरी के बिना कोई काम संभव नहीं। प्रधानमंत्री आवास योजना में भी लोगों 25 हजार से लेकर 40 हजार तक घूस देना पड़ता है। सरकारी दवाब में जिलों को ODF घोषित कर दिया गया है, जबकि जमीन पर बिना नाक पर गमछा बांधे आप रोड पर चल नहीं सकते। शौचालय निर्माण केवल कागजों पर हुआ है।"
13 नवंबर को बेतिया में होगा जन सुराज पदयात्रा का जिला अधिवेशन
पदयात्रा का अनुभव साझा करते हुए प्रशांत किशोर ने बताया कि जन सुराज पदयात्रा के माध्यम से वो हर रोज लगभग 20 से 25 किमी की दूरी तय कर रहे हैं। 3-4 दिन पर वो एक दिन रुक कर पदयात्रा के दौरान जिन गांवों और पंचायतों से वो गुजर रहे हैं, वहां की समस्याओं का संकलन करते हैं। आगे उन्होंने बताया कि 13 नवंबर को जन सुराज अभियान के पश्चिम चंपारण जिले का अधिवेशन बेतिया में होगा। जहां जिले के जन सुराज अभियान से जुड़े सभी लोग उपस्थित रहेंगे और लोकतांत्रिक तरीके से वोटिंग के माध्यम से तय करेंगे की दल बनना चाहिए या नहीं। साथ ही पश्चिम चंपारण जिले के सभी बड़ी समस्याओं पर भी मंथन कर उसकी प्राथमिकताएं और समाधान पर निर्णय होगा। पंचायत स्तर पर समस्याओं और समाधान का ब्लूप्रिंट भी तैयार किया जाएगा।"
बिहार में शिक्षा व्यवस्था का ध्वस्त हो जाना नीतीश कुमार की सबसे बड़ी नाकामी
बिहार में ध्वस्त शिक्षा व्यवस्था का जिक्र करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, "बिहार में शिक्षा व्यवस्था एकदम ध्वस्त है। पदयात्रा के दौरान शायद ही कोई स्कूल मुझे ऐसा देखने को मिला जहां एक विद्यालय की 3 मूलभूत चीजें शिक्षक, छात्र और बिल्डिंग तीनों एक साथ मौजूद हो। जहां बिल्डिंग और छात्र हैं वहां शिक्षक नहीं है। कहीं बिल्डिंग और शिक्षक है तो छात्र नहीं है। हैरानी तब होती है जब पढ़े-लिखे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 17 साल के शासनकाल में भी शिक्षा की हालत ध्वस्त हैं। एक लाइन में कहें तो, बिहार के स्कूलों में खिचड़ी बंट रही है और कॉलेजों में डिग्रियां बंट रही हैं।"
किसानों की समस्या पर किसी की नजर नहीं है, सारे नहर सूखे पड़े हैं
प्रशांत किशोर ने किसानों की बुरी हालत का जिक्र करते हुए बताया कि किसानों को सही समय पर और सही दाम पर खाद एवं बीज नहीं मिलता है। 277 रुपए का यूरिया 1200 तक में मिलता है। इसके साथ ही गन्ने से जुड़ी समस्याओं पर बात करते हुए प्रशांत किशोर ने बताया कि मिलों में गन्ना तौलते समय किसानों के गन्नों में 5 क्विंटल तक वजन कम कर दिया जाता। यहां 3 प्रकार के गन्नों की खेती होती है उसमें से एक विशेष प्रकार के गन्ने की पैदावार को प्रोत्साहित किया जा रहा है, इसमें समस्या यह है कि परिणामस्वरूप गन्ने की फसल में रोग ज्यादा लग रहा है। इसके साथ ही पानी के अभाव में गन्ना सूख भी जाता है। पश्चिम चंपारण में बाढ़ की समस्या को सरकार समस्या ही नहीं मानती, लेकिन यहां बाढ़ में हजारों एकड़ की जमीन में फसलों का नुकसान होता है। साथ ही लाखों लोगों को दशकों पहले पट्टे पर जमीन दिए गए हैं, लेकिन जमीन पर मालिकाना हक उनको आज तक नहीं मिला है।
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