जहां तक राहुल गांधी द्वारा वीर सावरकर के बारे में टिप्पणी करने का मामला है तो इसमें यही कहा जाएगा कि उन्हें वीर सावरकर के जीवन के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। आज इस बात को पूरा देश स्वीकारता है कि वीर सावरकर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हैं। उन्होंने अंग्रेजों की अमानवीय यातनाएं भोगी। क्या कभी किसी ने सुना है कि किसी को दो जन्मों का आजीवन कारावास दिया गया हो, लेकिन वीर सावरकर के साथ अंग्रेज सरकार ने यही किया। राहुल जी को संभवत: वीर सावरकर जी के त्याग के बारे में कोई ज्ञान नहीं है। राहुल जी सावरकर को क्या साबित करना चाहते हैं, यह तो वही जानें, लेकिन सवाल यह आता है कि जब अंग्रेजों ने ऐसी कठोर सजा दी, तब यह स्वाभाविक रूप से सिद्ध भी हो जाता है कि उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध जन जागरण करते हुए एक वातावरण बनाने का काम किया। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह भी है कि सावरकर जी ने अंग्रेजों से जो लड़ाई लड़ी, वह कांग्रेस (उस समय एक मंच था) के नेतृत्व में ही लड़ी गई। राहुल जी इस तथ्य को नकार नहीं सकते। लेकिन यह भी प्रामाणिक तथ्य है कि उस समय जिन क्रांतिकारियों ने अपनी लेखनी के माध्यम से भारत में देश भक्ति का ज्वार पैदा करके अंग्रेजों को भगाने के लिए वातावरण बनाया, उनमें वीर सावरकर का नाम भी लिया जाता है। ऐसे सभी नायक आज इतिहास से गायब होते दिखाई दे रहे हैं। वीर सावरकर ने मां भारती की स्तुति में छह हजार कविताएं लिखी, वह भी कागज पर नहीं, बल्कि सेल्युलर जेल की दीवारों पर। कलम से नहीं, कंकर, कील और कोयले से लिखी गईं। इसलिए यह कहा जा सकता है कि वीर सावरकर का प्रत्येक कृत्य मां भारती के लिए ही समर्पित था। ये कविताएं कभी समाप्त न हों, इसलिए सावरकर ने इन्हें रट-रट कर कंठस्थ कर लिया था। सावरकर इस संसार के एक मात्र ऐसे रचनाकार हैं जिनकी पुस्तक ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ को अंग्रेजों ने प्रकाशन से पहले ही प्रतिबंधित कर दिया था। राहुल के इस बयान के बाद महाराष्ट्र की राजनीति भी गरमा गई है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना के एक धड़े के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने राहुल की टिप्पणी से पल्ला झाड़ लिया। उद्धव ने कहा कि उनकी पार्टी विनायक दामोदर सावरकर की बहुत इज्जत करती है। हमारे मन में स्वतंत्र वीर सावरकर के लिए बहुत सम्मान और विश्वास है और इसे मिटाया नहीं जा सकता। इतना ही नहीं पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी सावरकर को महान स्वतंत्रता सेनानी बताया था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के इस अपरिपक्व बयान के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में दरार पैदा होने लगी है। हालांकि दरार तो पहले से ही थी, क्योंकि कांग्रेस और शिवसेना नदी के ऐसे दो किनारे हैं जो एक दूसरे से दूर रहकर भी साथ-साथ होने का दिखावा करते हैं। इस प्रकार की राजनीति से राजनीति दल अपने सिद्धांतों की बलि ही चढ़ाते हैं। कुल मिलाकर राहुल गांधी को ऐसे बयान देने से बचना चाहिए। यह कांग्रेस के लिए समय की मांग है।
सुरेश हिन्दुस्थानी,
वरिष्ठ पत्रकार
मोबाइल : 9425101815
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