- प्रसव वार्ड में नर्स का प्रसूता के साथ होता है अमानवीय व्यवहार
- नर्स को दिया जाए सॉफ़्ट स्किल का प्रशिक्षण
- यहां घूस के बिना हीमोग्लोबिन से लेकर अन्य किसी भी प्रकार की जांच करवाना है मुश्किल
- घावों पर टांका लगाने के लिए इस्तेमाल होने वाला धागा (सूचर) भी उपलब्ध नहीं
- प्रसव वार्ड में रात्रि पहर चिकित्सक उपलब्ध नहीं रहने के कारण मजबूरी में मरीज जाते है निजी अस्पताल के शरण में
जमुई. प्रबोध जन सेवा संस्थान के सचिव व सामाजिक कार्यकर्त्ता सुमन सौरभ ने एक शिकायत पत्र के माध्यम से सदर अस्पताल की तमाम व्यवस्था पर प्रश्न उठाते हुए सोमवार को सिविल सर्जन को एक शिकायत पत्र सौंपा है. उस शिकायत पत्र में उन्होंने स्पष्ट तौर पर लिखा है जब भी सदर अस्पताल में आपका निरीक्षण होता है तो एक उम्मीद जगती है अब किसी प्रकार की समस्या आम लोगों को नहीं होगी पर बड़े ही दुःख के साथ कहना पड़ रहा है आपके निरीक्षण का असर कुछ घंटे तक ही सीमित रहता है. वर्तमान में सदर अस्पताल का शायद ही कोई ऐसा विभाग है जहां बगैर पैसे (घूस) की काम होता नहीं है.यदि आपको इसकी जानकारी नहीं है तो शायद आपका निरीक्षण अधूरा है. प्रसव वार्ड की बात करें तो हीमोग्लोबिन से लेकर किसी भी प्रकार के जांच में कुछ ना कुछ पैसा (घूस) लिया ही जाता है. यदि पैसा ना दिया जाए तो उन्हें जांच के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है या फिर मजबूर होकर जांच बाहर से करवाना होता है. यदि आप सदर अस्पताल के प्रसव वार्ड का निरीक्षण किए होंगे तो आपको यह भी ज्ञात होना चाहिए जब सदर अस्पताल में जांच से लेकर अन्य सारी सुविधा उपलब्ध है तो आवश्यक जांच मरीज बाहर (प्राइवेट) से क्यों करवाते हैं. उसकी एकमात्र वजह है समय पर जांच कर्मी का उपलब्ध ना होना या फिर समय पर पैसा (घूस) ना देने पर जांच कर्मी की नाराजगी. यह सभी बातें मुझे पहले से ज्ञात थी पर दिनांक 9/ 12/2022 को सुबह लगभग 5ः00 बजे से लेकर सुबह 8 बजे तक मेरी उपस्थिति में ये सारा खेल प्रसव वार्ड में चलता रहा जो मेरे लिए तनिक भी आश्चर्य का विषय नहीं था. जांच कर्मी से लेकर रोस्टर के अनुसार जिन डॉक्टर की ड्यूटी थी वह भी अनुपस्थित थी. प्रसव के दर्द को जूझ रही कई महिलाएं डॉक्टर के इंतजार में तड़प रही थी. बेतहाशा दर्द को झेल रही दो प्रसव पीड़िता जो कई घंटे से डॉक्टर का इंतजार कर रही थी पर डॉक्टर की मौजूदगी ना होने के कारण व मौजूद कुछ नर्सों का व्यवहार प्रसूता के प्रति जहाँ सहानुभूति पूर्ण होना चाहिए वहीं उनका व्यवहार प्रसूता के साथ अमानवीय रहा जिससे आहत होकर उन्हें निजी अस्पताल के लिए जाना पड़ा. वहीं जो आर्थिक रूप से विपन्न परिवार की प्रसूता थी उनकी मजबूरी रही उस डॉक्टर के इंतजार में रहना. वैसे भी प्रसव वार्ड में प्रसूता बच्चे को जन्म देने के दौरान जितना दर्द झेलती है उस से कहीं ज्यादा आपके सदर अस्पताल के प्रसव वार्ड में कार्यरत नर्स व डॉक्टर का व्यवहार उन्हें अंदर से तोड़ देता है. मेरा मानना है विशेष तौर पर प्रसव वार्ड में कार्यरत नर्सें गर्भवती महिलाओं के सबसे ज्यादा संपर्क में रहती हैं ऐसे में उन्हें सॉफ़्ट स्किल का प्रशिक्षण दिया जाना बहुत ही जरुरी है क्योंकि डिलीवरी के दौरान होने वाले बर्ताव से प्रसव वार्ड में इलाजरत प्रसूता खौफ में रहती है. उसी दौरान जब विभाग के अधिकारियों से इन सभी परेशानियों को लेकर मेरी बात हुई तो डॉक्टर साहिबा का आगमन सुबह लगभग 6ः 30 बजे हुआ लेट ही सही पर डॉक्टर साहिबा का आगमन हुआ पर आते के साथ उन्होंने नाराज होकर इलाजरत मरीज के परिजनों से कह दिया 8 बजे हम चले जायेंगे और वो चली भी गई. आश्चर्य है रोस्टर के अनुसार अस्पताल पहुंचने का समय निश्चित नहीं है पर जाने का समय निश्चित होता है। खैर मुझे खुशी है आप समय-समय पर सदर अस्पताल के प्रसव वार्ड का निरीक्षण करते है तो क्या आपको यह ज्ञात नहीं घावों पर टांका लगाने के लिए इस्तेमाल होने वाला धागा (सूचर) भी बीते कई दिनों से प्रसव वार्ड में उपलब्ध नहीं है जिसे परिजनों को बाहर से खरीदकर लाना होता है. वहीं जो प्रसव वार्ड में खाद्य सामग्री परोसी गई उसे बस मजबूरी बस ही इंसान खा सकता है. सुमन सौरभ ने आगे कहा शिकायत पत्र के माध्यम जितनी भी शिकायतें दर्ज कराई है उसका पूरा प्रमाण मेरे पास सुरक्षित है उन्हें ने सिविल सर्जन से आग्रह किया है शिकायतों की जांच निष्पक्ष तरीके से कर दोषी पर करवाई करें जिस से समाज में एक सकारात्मक संदेश जाए वहीं इस जांच में किसी भी प्रकार की यदि सहयोग की आवश्यकता है तो मैं साक्ष्य के साथ मौजूद रहूँगा.
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