दिन भले ही मजे में गुजरे,
मस्ती में हो जाती कितनी रात,
और हुए कितने सवेरे,
खुली हवा में लेते सांस,
फल-फूलों से हर सुबह महकती,
है वो ये जगह जिसे सभी,
उत्तराखंड देवभूमि के नाम से जानते,
बर्फ से ढके जहाँ हिमालय,
जगह-जगह घुघुतिया बसे,
मंदिरों का है पिटारा,
शादियों में बजते जहां ढोल-नगाड़े,
हर त्योहार दिल से मनाते,
हर पल रहते जहां लोग खुश,
हर जगह प्यार से रिश्ते निभाते,
केदारनाथ की यात्रा करने,
जगह जगह से लोग यहां आते,
त्यौहार के दिन यहां,
अलग-अलग पकवान बनाते,
खुशी-खुशी निवासी यहां के,
लोक संस्कृति को निभाते,
जोड़ा-चाचरी घाघरा पिछोड़ी,
तरह-तरह की पहनावा करते।।
तनुजा गढ़िया
तोली, कपकोट
बागेश्वर, उत्तराखंड
चरखा फीचर
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