नन्ही सी जान है वो,
नन्हें से सपने है उसके,
पर उन्हें कोई पूरी होने नहीं देता,
वह दुर्गा वही काली,
फिर भी उसे ठुकराते,
समझते हैं लड़के को जहान,
पर होती हैं लड़कियां महान,
क्यों दर्द सहना पड़ता है उसको,
क्यों चुप चुप के रहना पड़ता है उसको,
औरत से बना ये संसार,
औरत पर खत्म हुआ ये संसार।।
गुनु
चोरसौ, गरुड़
बागेश्वर, उत्तराखंड
चरखा फीचर
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