- काॅरपोरेटों व भाजपा-आरएसएस में है गहरी सांठगांठ, अडाणी जैसे काॅरपोरेट देश के लिए खतरा.
- 15 फरवरी रैली की तैयारी जोरों पर, काॅरपोरट लूट व जनता पर फासीवादी हमला है केंद्रीय एजेंडा
पटना, 31 जनवरी, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि अडाणी समूह की कंपनियों पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने उस कड़वे सच को बेनकाब किया है, जिसे पूरा देश लगातार देख और समझ रहा था. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने अडाणी ग्रुप द्वारा शेयरों के हेर-फेर व अकाउंट की धोखाधड़ी का मामला उठाया है. कहा कि विगत तीन साल में अडाणी की संपत्ति एक अरब डाॅलर से बढ़कर 120 अरब डाॅलर की हो गई है. यह ऐसे ही नहीं हुआ, बल्कि मोदी सरकार द्वारा अंबानी-अडाणी ग्रुप को लगातार दी जा रही छूटों का यह नतीजा है. मोदी सरकार ने अपने चहेते अडाणी को एयरपोर्ट, माइनिंग, सीमेंट फैक्ट्री, पानी आदि सब ठेके धड़ाधड़ दिए. देश के करोड़ों लोगांे का एसबीआई और एलआइसी में जमा लाखों करोड़ रुपया अडाणी ग्रुप को मोदी सरकार ने उदारतापूर्वक दे दिया. यह देश की जनता से गहरा विश्वासघात है. मोदी राज में कई पूंजीपति बैंक का पैसा लेकर विदेश भाग गए. एनपीए लगातार बढ़ता ही जा रहा है, लेकिन सरकार काॅरपोरेटों को छूट पर छूट ही देती गई. हिंडनबर्ग ने सही कहा है कि राष्ट्रवाद के नाम पर अडाणी जैसे काॅरपोरेटों ने देश की संपत्तियों को दोनों हाथ से लूटा. इसकी पूरी जवाबदेही मोदी सरकार पर जाती है, क्योंकि नरेन्द्र मोदी काॅरपोरेटों के सबसे बड़े झंडाबरदार हैं. भाजपा को देश की सत्ता में बनाए रखने के लिए काॅरपोरेटों ने पानी की तरह पैसा बहाया था और बदले में भाजपा एक के बाद एक नीतिगत बदलाव करके कीमती संसाधनों, वित्त, रेल-सेल, बीमा आदि सबकुछ काॅरपोरेटों को देती गई. मोदी सरकार की तथाकथित देशभक्ति की भी पोल खुल चुकी है. यह देशभक्त नहीं देश बेचने वाली सरकार है. अडाणी ग्रुप के आम शेयरधारक भारी चिंता में है. सरकार आम लोगों के पैसों की सुरक्षा की गारंटी दे और अडाणी ग्रुप पर कार्रवाई करे. इतने बड़े मसले पर प्रधानमंत्री ने आखिर क्यों चुपी साध रखी है? उन्होंने कहा कि 15 फरवरी को पटना के गांधी मैदान में आयोजित लोकतंत्र बचाओ - देश बचाओ रैली में काॅरपोरेट लूट व देश की जनता पर फासीवादी हमला से मुक्ति का प्रश्न ही प्रमुख मुद्दा होगा.
रैली की तैयारी जोरों पर
15 फरवरी की गांधी मैदान की रैली तैयारी जोरों पर है. इस बार सोशल मीडिया के जरिए व्यापक प्रचार-प्रसार को संगठित किया जा रहा है. फासीवादी ताकतों को पीछे धकेलने के केंद्रीय थीम को लेकर कई वीडियो बनाए गए हैं और सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों से उसका प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. विदित हो कि 2002 में जब देश फासीवाद के पहले दौर से गुजर रहा था, उस वक्त पटना में ही माले का सातवां महाधिवेशन हुआ था. बीस सालों के बाद एक बार फिर से पटना में महाधिवेशन हो रहा है. शिक्षा-रोजगार, आरक्षण, पार्टी के आंदोलनों व शहीदों के इतिहास आदि विषयों पर वीडियो बनाए जा रहे हैं. अपनी प्रचारात्मक क्षमता बढ़ाने के लिए पार्टी ने व्हाट्सएप ग्रुपों का व्यापक पैमाने पर निर्माण किया है. रैली के नारों से सजे फैस्टून, बैनर, चाइनीज, झंडे आदि की तैयारी चल रही है. लगातार 100 पार्टी कार्यकर्ता इस कार्य में दिन रात लगे हुए हैं. इस बार पूरे पटना शहर को सजाने की योजना है. श्रीकृष्ण मेमोरियल हाॅल जहां महाधिवेशन हो रहा है, वहां विशेष सजावट की योजना बनाई गई है. इस कार्य में सहयोग के लिए दिल्ली, बंगलोर, बंगाल की टीमें भी पटना पहुंच गई हैं.
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