इस रिपोर्ट पर बोलते हुए ग्लोबल विंड पावर ट्रैकर के परियोजना प्रबंधक श्रद्धेय प्रसाद ने कहा “धन बचाएं, प्रदूषण में कमी लाएं, भारत का कोयला छोड़कर साफ ऊर्जा को अपनाना जीत का एहसास दिलाता है। यह वर्ष 2070 तक भारत को नेट जीरो उत्सर्जन वाला देश बनाने के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में एक संभावना पूर्ण कदम है। कोयले को तिलांजलि देकर भारत अधिक धनी और ज्यादा साफ सुथरा बनेगा।” “सौर तथा वायु ऊर्जा की लागतों में लगातार गिरावट आ रही है और जीवाश्म ईंधन की कीमतों पर गौर करें तो रिन्यूबल ऊर्जा नए बिजली ढांचे के निर्माण के लिए एक बेहतर विकल्प पेश करती है।” अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पर्यावरणविद डॉ सीमा जावेद कहती हैं, “भारत की नेशनल एनर्जी पॉलिसी (एनईपी) में भी 2030 तक स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि करने और केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की कोयला क्षमता में गिरावट परिलक्षित है। वर्ष 2018 में जारी पिछली विद्युत योजना में वर्ष 2027 तक 150 गीगावाट की स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य तय किया गया था। नयी विद्युत योजना के मसविदे में इसमें 36 मेगावाट की बढ़ोतरी करते हुए वर्ष 2027 के लक्ष्य को 186 गीगावाट कर दिया गया है।ऐसे में अगर भारत अपने सभी पूर्व निर्धारित सौर एवं पवन ऊर्जा परियोजनाओं को पटरी पर लाता है तो मोटे तौर पर ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर के ताजा अध्ययन के हिसाब से इसकी लागत को महज ढाई साल में वसूल कर सकता है। जो सौर तथा पावन ऊर्जा की लागत में आ रही गिरावट के मद्देनज़र कोई बड़ी बात नहीं है”
दुनिया की सर्वाधिक संभावना पूर्ण रिन्यूबल ऊर्जा वाले शीर्ष 10 देश इस प्रकार हैं :
चीन (387,258 मेगा वाट)
ऑस्ट्रेलिया (220,957 मेगा वाट)
ब्राजील (217,185 मेगा वाट)
अमेरिका (204,585 मेगा वाट)
वियतनाम (93,585 मेगा वाट)
मिस्र (81,616 मेगा वाट)
भारत (76,373 मेगा वाट)
दक्षिण कोरिया (76,153 मेगा वाट)
ताइवान (67,296 मेगा वाट)
जापान (55,147 मेगा वाट)
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