- श्रेय लेने की होड़ में अटक रही एम्स की स्थापना: गामी
- स्थायी निदान के लिए अब जरूरी हो गया है पृथक मिथिला राज्य का निर्माण: कमलाकांत
- संविधान में शामिल भाषाओं के महत्व को बीपीएससी में कम करना सरकार के धृष्टता की पराकाष्ठा: जयशंकर झा
मधुबनी जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष शीतलांबर झा ने सरकार के मिथिला मैथिली विरोधी निर्णय के खिलाफ सार्वजनिक कार्यक्रमों में सरकार का वहिष्कार करने के साथ-साथ मुख्यमंत्री सचिवालय का अनिश्चितकालीन घेराव करने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि जनता के जनप्रतिनिधियों को भी आने वाले चुनाव में अपना हिसाब चुकता करने के लिए तैयार रहना होगा। पूर्व विधायक अमरनाथ गामी ने कहा कि अज्ञान और चाटुकार लोगों की गिरफ्त में आकर बिहार की सरकार लोगों को मुद्दों से भटकाने को लेकर अनेक गलतियों पर गलतियां किए जा रही है और हममें से ही कुछ लोग अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए उनकी हां में हां मिलाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज श्रेय लेने की होड़ में जहां एम्स के निर्माण कार्य को अटकाया जा रहा है, वही स्वतंत्र साहित्य, व्याकरण और लिपि से संपन्न भारत की प्राचीनतम भाषाओं की अस्मिता के साथ भी खिलवाड़ करने से बिहार की सरकार बाज नहीं आ रही है। उन्होंने कहा जीन भाषाओं को वैकल्पिक विषय के रूप में यूपीएससी और अन्य राज्यों की लोक सेवा आयोग में मान्यता मिली हुई है, उसे बिहार सरकार मनमानी तरीके से कैसे हटा सकती है? अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि अपनी अज्ञानता के वजह से मानव श्रम के पलायन का कोढ़ झेल रहे बिहार में सरकार के इस आत्मघाती कदम से विद्वता एवं प्रतिभा के पलायन का बीजारोपण किया जा रहा है। जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों से सम्मान के सही हकदार लोगों को पाग चादर पहनाए जाने का सुझाव देते हुए मिथिला मैथिली के विकास के लिए सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन चलाने का आह्वान किया। पत्रकार वार्ता में उदय शंकर मिश्र, मित्र नाथ झा, बालेंदु झा, हेमंत कुमार झा, चंद्रशेखर झा बूढ़ा भाई, विनोद कुमार झा, डॉ गणेश कांत झा, गणपति झा, दुर्गा नन्द झा, आशीष चौधरी, पुरुषोत्तम वत्स आदि ने भी अपने विचार रखे।
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