- फासीवाद के खिलाफ जनप्रतिरोध की दिशा और कार्यभार - इस महाधिवेशन का थीम होगा, पटना में भाकपा-माले का महाधिवेशन 20 वर्षों के अंतराल के बाद आयोजित हो रहा है।
- पटना में पिछला महाधिवेशन मार्च 2002 में आयोजित हुआ था, काॅ. विनोद मिश्र के निधन के बाद आयेाजित महाधिवेशन में काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य पहली बार महासचिव बने थे.
- यह महाधिवेशन पटना के ऐतिहासिक श्रीकृष्ण मेमोरियल हाॅल में संपन्न होगा, महाधिवेशन से पहले 15 फरवरी को गांधी मैदान में लोकतंत्र बचाओ-देश बचाओ रैली आयोजित होगी.
16 फरवरी को महाधिवेशन का उद्घाटन सत्र: 16 फरवरी को श्रीकृष्ण मेमारियल हाॅल में महाधिवेशन का खुला सत्र आयोजित होगा. इस खुले सत्र को सीपीएम, भाकपा, आरएसपी, फारवर्ड ब्लाॅक, आरएमपीआई (पासला), लाल निशान पार्टी, सत्यशोधक समाज पार्टी, मासस आदि वामपंथी दलों के राष्ट्रीय नेतागण भी संबोधित करेंगे. महाधिवेशन का यह उद्घाटन सत्र देश में इस नाजुक मोड़ पर वामपंथी उभार की एक नई शुरूआत का सबब बनेगा.
18 फरवरी को होगा विपक्षी एकता का विशेष सत्र: महाधिवेशन के दौरान 18 फरवरी 2023 को फासीवादी हमले से लोकतंत्र व संविधान की रक्षा के लिए व्यापक विपक्षी एकता का निर्माण के सवाल पर एक राष्ट्रीय कन्वेंशन आयोजित होगा. इस कन्वेंशन में जद(यू), राजद, कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, हम (सेकुलर) के शीर्ष नेतागण श्री नीतीश कुमार, श्री तेजस्वी प्रसाद यादव, श्री हेमंत सोरेन, श्री जीतनराम मांझी आदि भाग लेंगे. महाधिवेशन में बिरादराना अंतर्राष्ट्रीय व प्रवासी भारतीय अतिथि भी लेंगे भाग: भाकपा-माले के इस महाधिवेशन में भाकपा-माले व वामपंथी आंदोलन से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रवास में रह रही हस्तियांे समेत भारतीय उपमहाद्वीप के कई देशों की बिरादराना कम्युनिस्ट पार्टियों के प्रतिनिधि भी शरीक होंगे. पड़ोसी देश नेपाल की तीनों कम्युनिस्ट पार्टी - नेकपा (एमाले), माओवादी पार्टी (प्रचंड ग्रुप, नेपाल) और यूनाइटेड सोशलिस्ट पार्टी (माधव नेपाल); बांग्लादेश की दोनों कम्युनिस्ट पार्टी, श्रीलंका, मलेशिया व आस्ट्रेलिया के कम्युनिस्ट प्रतिनिधि भी शामिल होंगे. इनके अलावा फिलस्तीन मुक्ति आंदोलन के प्रतिनिधि भी महाधिवेशन को संबोधित करेंगे.
स्मारिका: महाधिवेशन के अवसर पर भाकपा-माले की ओर से एक स्मारिका भी प्रकाशित की जाएगी. जिसमें बिहार में प्रगतिशील आंदोलन की परंपरा तथा भाकपा-माले के इतिहास के विभिन्न पड़ावों, आंदोलनों पर विशेष लेख शामिल किए जाएंगे. साथ ही, बिहार के विभिन्न क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियों, वामपंथी-जनवादी आंदोलन के दिवंगत नेताओं और भाकपा-माले आंदोलन के शहीदों को स्मरण किया जाएगा. महाधिवेशन में चर्चा के कुछ विशेष बिन्दु: भाकपा-माले महाधिवेशन में भारत में फासीवादी हमले के खिलाफ प्रतिरोध की दिशा व कार्यभार पर विशेष चर्चा होगी. साथ ही, जलवायु परिवर्तन और उससे उत्पन्न खतरे पर भी एक विशेष दस्तावेज पर विचार किया जाएगा. महाधिवेशन में राष्ट्रीय परिस्थिति, अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति, पार्टी कार्यक्रम, पार्टी संगठन और संविधान अलग-अलग दस्तावेजों पर चर्चा के सत्र आयोजित होंगे.
स्वागत समिति: बिहार में हो रहे इस महाधिवेशन की एक स्वागत समिति का भी गठन किया जाएगा. जिसमें बिहार की कई प्रमुख हस्तियां, बुद्धिजीवी, लेखक, कलाकार और आंदोलनों के नेता शामिल रहेंगे. महाधिवेशन में देश के लगभग सभी राज्यों से करीब 1700 प्रतिनिधि/पर्यवेक्षक और अतिथि शामिल होंगे. इनमें दक्षिण भारत के तमिलनाडु, केरल, आंध्रप्रदेश, तेलांगना और केंद्र शासित पांडिचेरी व कश्मीर, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, राजस्थान, उतराखंड, हरियाणा, मध्यप्रदेश, छतीसगढ़, दिल्ली एनसीआर, यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा, उड़ीसा आदि प्रदेशों से प्रतिनिधि भाग लेंगे. महाधिवेशन व रैली की तैयारी व प्रचार: भाकपा-माले के इस महाधिवेशन व रैली के लिए बिहार समेत राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक प्रचार जारी है. सोशल मीडिया और मेन स्ट्रीम मीडिया में प्रचार को संगठित व व्यवस्थित किया जा रहा है. साथ ही, प्रचार के लिए गीत-संगीत और प्रचार जत्थों व यात्राओं की भी योजना बनाई गई है. बिहार के गांव-गांव में महाधिवेशन व रैली का खर्च जुटाने के लिए घर-घर संपर्क और कोष संग्रह का काम पिछले माह से ही शुरू कर दिया गया है. संवाददाता सम्मेलन को माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य ने संबोधित किया. उनके अलावा मौके पर माले राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा व अमर तथा केडी यादव उपस्थित थे.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें