- एमपीएमएमसीसी एवं एचबीसीएच में 22 हजार नए कैंसर मरीज पंजीकृत
- विश्व कैंसर दिवस के मौके पर अस्पताल ने बीते साल पंजीकृत मरीजों का जारी किया आंकड़ा
वाराणसी (सुरेश गांधी) महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र एवं होमी भाभा कैंसर अस्पताल (एम.पी.एम.एम.सी.सी. एवं एच.बी.सी.एच.) में समय- समय पर सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। परिणामस्वरूप अस्पताल में इलाज पाने वाले मरीजों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो रही है। शुक्रवार को “विश्व कैंसर दिवस” की पूर्व संध्या पर एम.पी.एम.एम.सी.सी. एवं एच.बी.सी.एच द्वारा वर्ष 2022 में अस्पताल में पंजीकृत नए मरीजों का आंकड़ा जारी किया गया। आंकड़ों के अनुसार उपरोक्त वर्ष में कुल 22,194 नए कैंसर मरीजों का पंजीकरण हुआ था। कैंसर की बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रति वर्ष 4 फरवरी को “विश्व कैंसर दिवस” के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के कारण, लक्षण एवं उपलब्ध इलाज के बारे में जानकारी देना है। इस बार “विश्व कैंसर दिवस” का थीम “क्लोज द केयर गैप” है। आसान शब्दों में इसका अर्थ इलाज की उपलब्धता को बढ़ाना है। इसी उद्देश्य से एम.पी.एम.एम.सी.सी. एवं एच.बी.सी.एच. उत्तर प्रदेश सहित पड़ोसी राज्यों के कैंसर मरीजों को उनके घर के पास गुणवत्तापरक इलाज उपलब्ध कराने के साथ ही जनमानस के लिए बीमारी के प्रति जागरूक करने के लिए कई तरह के जागरूकता कार्यक्रम चला रहा है। “विश्व कैंसर दिवस” को ध्यान में रखते हुए शुक्रवार को अस्पताल द्वारा एक जागरुकता रैली भी निकाली गई। वहीं अस्पताल के न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग द्वारा शनिवार को एक मेडिकल सम्मेलन का भी आयोजन किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य कैंसर इलाज में न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग की भूमिका पर चर्चा करना है। अस्पताल के मुख और गले कैंसर विभाग के प्रभारी डॉ. असीम मिश्रा ने बताया कि एम.पी.एम.एम.सी.सी. एवं एच.बी.सी.एच. में इलाज के लिए आने वाले ज्यादातर मरीजों में गले और मुख के कैंसर की शिकायत होती है। जिसके लिए तंबाकू उत्पादों का सेवन सबसे बड़ा कारण है। तंबाकू सेवन से न केवल कैंसर, बल्कि और भी दूसरे तरह की गंभीर बीमारियां होती हैं। इसी विभाग के अंतर्गत ही थायराइड कैंसर का भी इलाज किया जाता है। आंकड़ों पर नजर डाले तो अब तक एम.पी.एम.एम.सी.सी. एवं एच.बी.सी.एच में लगभग 300 थायराइड कैंसर मरीजों का इलाज हुआ है। ऐसे मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल में आधुनिक सुविधा उपलब्ध है, जिसमें सर्जरी और इसके बाद रेडियो आयोडिन थेरेपी दोनों शामिल है.
देरी से आते हैं मरीज
डॉ. असीम मिश्रा ने बताया कि वैसे तो सभी तरह के कैंसर को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है, हालांकि थायराइड कैंसर में इसकी भूमिका और भी अधिक हो जाती है। इलाज के लिए अस्पताल आने वाले अधिकतर मरीज एडवांस स्टेज (देरी से) पर होते हैं, जिससे बीमारी के प्रबंधन में चुनौतियां आती हैं। चूंकि पुरुषों की तुलना में यह कैंसर महिलाओं में अधिक होता है, इसलिए महिलाओं को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। अगर थायराइड ग्रंथि के पास किसी भी तरह का सूजन या गांठ हो तो एक बार डॉक्टर से मिलकर सलाह ले लेना चाहिए। इससे न केवल समय रहते बीमारी का पता चल सकता है, बल्कि प्रभावी इलाज में भी मदद मिलती है। अस्पताल के निदेशक डॉ. सत्यजीत प्रधान ने कहा कि कैंसर मरीजों को बेहतर से बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिए एम.पी.एम.एम.सी.सी. एवं एच.बी.सी.एच. प्रतिबद्ध है। इसके लिए हम टाटा मेमोरियल सेंटर के मोटो सेवा, शिक्षा एवं अनुसंधान पर केंद्रित होकर आगे बढ़ रहे हैं।
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