वर्तमान में पाकिस्तान जिस प्रकार का वातावरण बना है, उसमें पाकिस्तान स्वयं ही फंसता हुआ दिखाई दे रहा है। पाकिस्तान के बारे में यह सब जानते हैं कि उसने वैश्विक आतंकियों को शरण देकर अपने लिए कांटों की ही फसल तैयार की है। आज वही कांटे पाकिस्तान के लिए नासूर बनते जा रहे हैं। परिणाम स्वरूप कहीं आत्मघाती हमले हो रहे हैं, तो कहीं सरकार को अस्थिर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। आज पाकिस्तान एक ऐसे चौराहे पर खड़ा हुआ है, जिसके चारों तरफ के रास्ते गहरे अंधकार की ओर ही ले जाते हैं। इसकी एक खास वजह यह भी मानी जा रही है कि पाकिस्तान की जनता आतंकी सरगनाओंं के बहकावे में बहुत जल्दी आ जाती है। यहां तक कि आतंकियों के लिए जनता द्वारा फंडिंग भी की जाती है। इससे आतंकी संगठन तो खूब फल फूल रहे हैं, लेकिन इसी से पाकिस्तान के लिए बर्बादी का द्वार खुल गया है। जिसका प्रभाव न तो आतंकी संगठनों पर हो रहा है और न ही सरकार पर ही है, लेकिन आम जनता दो पाटों के बीच में पिस रही है। आज जनता के बीच मरने मारने की स्थिति बनती जा रही है। इसी के परिणाम स्वरूप अभी हाल ही किया गया एक हमला है, जिसमें अभी तक सौ लोगों के मरने की खबर है और दो सौ से ज्यादा घायल होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है, क्योंकि अभी शवों को निकालने का काम किया जा रहा है। आतंकियों द्वारा पाकिस्तान के इबादत स्थलों को भी निशाना बनाकर हमले किए जा रहे हैं। यह इस्लाम के विरोध में इस्लाम का ही हमला माना जा सकता है। जबकि पाकिस्तान की सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि इस घटना से इस्लाम का कोई लेना देना नहीं है। कहा जा रहा है कि पाकिस्तान में महंगाई लम्बे समय से एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। इसके कारण वहां की जनता अपनी ही सरकार के विरोध में आवाज मुखरित कर रही है। जिस ओर से पेट की आग शांत करने के स्वर सुनाई देते हैं, उस ओर जनता भीड़ के रूप में एकत्रित हो जाती है। जहां युद्ध जैसे हालात निर्मित भी हो रहे हैं। जान भी जा रही हैं, लेकिन इसके बाद भी जनता को भूख मिटाने के लिए अन्न का दाना तक नसीब नहीं हो रहा है। जैसे पाकिस्तान दूसरे देशों के सामने कटोरा लेकर खड़ा है, वैसे ही पाकिस्तान की सरकार ने अपनी जनता को भी कटोरा थमा दिया है।
पहले तो पाकिस्तान की सरकार के समक्ष समस्याओं का अंबार लगा है, वह उससे उबर भी नहीं पा रही है, उसके बाद इस आतंकी घटना ने सरकार की कार्यप्रणाली पर गहरे सवाल खड़े किए हैं। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार के विरोध में वहां विपक्षी दलों ने एक राय होकर जो अभियान छेड़ा था, उसकी जड़ में आर्थिक स्थिति के कारण उत्पन्न हुई महंगाई ही एक बहुत बड़ा मुद्दा था। आम जनता को लगा था कि इमरान सरकार के बाद जो भी सरकार आएगी, वह शायद बिगड़ी हुई आर्थिक स्थिति को सुधार लेगी, लेकिन वर्तमान सरकार भी इस पर लगाम लगा पाने में असमर्थ ही साबित हो रही है, इतना ही नहीं अब तो महंगाई रूपी बुलडोजर पाकिस्तान की जनता को कुचलने की स्थिति में आ गया है। फिलहाल निकट भविष्य में पाकिस्तान में यह समस्या निराकरण की ओर जाती हुई नहीं लग रही है, क्योंकि पाकिस्तान की सरकार के समक्ष आतंकी संगठनों पर कठोर कार्यवाही करने का दबाव है और पाकिस्तान की सरकार के पास आतंकी संगठनों के विरोध में जाने का साहस नहीं है। अगर सरकार इन संगठनों के विरोध में जाती है तो सरकार के ऊपर फिर से खतरा पैदा होगा और पाकिस्तान एक बार फिर से राजनीतिक अस्थिरता की ओर कदम बढ़ाता हुआ दिखाई दे सकता है।
फिलहाल पाकिस्तान के समक्ष इससे बचने का कोई रास्ता नहीं है। क्योंकि एक पाकिस्तान के ऊपर एक तरफ एफएटीएफ की दोधारी तलवार लटक रही है, तो दूसरी तरफ पाकिस्तान जिन देशों का कर्जदार है, वह भी उस पर दबाव बनाए हुए हैं। अगर पाकिस्तान कर्ज नहीं चुका पाएगा तो उसकी स्थिति और ज्यादा बिगड़ती चली जाएगी। जिसके कारण वहां की जनता को निगलने वाला महंगाई का फन और ज्यादा चौड़ा होता जाएगा और उसका निवाला केवल जनता ही बनेगी। इसलिए पाकिस्तान की सरकार को अगर इस सबसे निजात पाने का रास्ता ढूंढना है तो उसे सबसे पहले पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाने का गंभीरता पूर्वक प्रयास करना चाहिए, यही एक मात्र रास्ता है।
सुरेश हिन्दुस्थानी,
वरिष्ठ पत्रकार
मोबाइल : 9425101815
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