अडानी मामले पर कांग्रेस और भी अधिक हमलावर होगी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2023

अडानी मामले पर कांग्रेस और भी अधिक हमलावर होगी

congress-attack-on-adani-issue
नई दिल्ली. अडानी मामले पर कांग्रेस और भी अधिक हमलावर होती जा रही है.इस बार कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को "हम अडानी के हैं कौन" प्रश्नों की श्रृंखला से घेरने की तैयारी में लग गए हैं.ये सभी प्रश्न उद्योगपति गौतम अडानी के बंदरगाह क्षेत्र में तेजी से बढ़ते एकाधिकार से संबंधित हैं. इसके तहत कांग्रेस ने सरकार से पूछा कि क्या धन शोधन के गंभीर आरोपों का सामना कर रही फर्म को बंदरगाहों जैसे रणनीतिक क्षेत्र में हावी होने की अनुमति देना राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से विवेकपूर्ण है? हम अडानी के हैं कौन श्रृंखला में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के लिए मुख्य बिंदु देश में बढ़ती महंगाई, उच्चतम बेरोज़गारी और कुशासन की विफलताओं से जनता का ध्यान हटाने के लिए सरकार द्वारा प्रायोजित विभाजनकारी एजेंडे का दंश झेल रहे देशवािसयों के साथ कांग्रेस पार्टी कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है लेकिन एक ज़िम्मेदार विपक्षी दल होने के नाते हम भाजपाई सत्ता के मित्र पूंजीपितयों को सरकारी खजाने की लूट की खुली छूट और प्रधानमंत्री से संबंधित इस पूरे अडानी महाघोटाले में हो रहे घोटालों से भी चिंतित हैं. इस लिए हम सरकार को उसकी ज़िम्मेदारी से भागने की इजाज़त नहीं दे सकते और आज ‘हम अडानी के हैं कौन’ श्रृंखला में देश के 23 प्रमुख शहरों में प्रेस वार्ताएं कर रहे हैं. सरकार ने श्री राहुल गांधी जी के सवालों और कांग्रेस अध्यक्ष श्री मल्लिकार्जुन खरगे के भाषण के अंशों को बेशक संसदीय कार्यवाही से हटा दिया हो लेकिन भारत के लोग सब देख रहे हैं कि संसद में क्या हो रहा है. लोग जानना चाहते हैं कि सरकार संसदीय भाषणों का स्तर गिराने की कोशिश क्यों कर रही है और प्रधानमंत्री संसद में प्रासंगिक सवालों के जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं. देशवासी जानना चाहते हैं कि कैसे एक संदिग्ध साख वाला समूह, जिस पर टैक्स हेवन देशों से संचािलत विदेशी शेल कंपनियों से संबंधों का आरोप है, भारत की संपत्तियों पर एकाधिपत्य स्थापित कर रहा है और इस सब पर सरकारी एजेंसियां या तो कोई कार्यवाही नहीं कर रही हैं या इन सब संदिग्ध गतिविधियों को ही सुगम बनाने में जुटी हैं. भारत के लोग बहुत बुद्धिमान हैं और वे मोदी जी और उनके मित्र पूंजीपतियों के बीच संपूर्ण पारस्परिक तालमेल को समझ सकते हैं.वे जानना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री ने एक मित्र पूंजीपति को विश्व के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बनाने में मदद क्यों की और वे इस गंभीर अंतरराष्ट्रीय खुलासे पर चुप क्यों हैं? हम किसी व्यक्ति के दुिनया के अमीरों की सूची में 609 वें से दूसरे स्थान पर पहुँचने के खिलाफ़ नहीं है. लेकिन हम निःसंदेह सरकार द्वारा प्रायेजित निजी एकधिकारों के खिलाफ़ हैं क्योंकि वे जनता के हितों के विरुद्ध होते हैं. विशेष तौर पर हम टैक्स हेवन देशों से आपत्तिजनक संबंधों, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे एक ख़ास व्यक्ति द्वारा हमारी अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना और राष्ट्रीय संसाधनों का लाभ उठाते हुए एकािधपत्य स्थािपत करने के खिलाफ़ हैं हम जानना चाहते हैं कि मोदी सरकार इस मुद्दे पर जाँच  के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति बनाने से क्यों डर रही है जबकि संसद के दोनों सदनों में उसका अच्छा बहुमत है. प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता में आने से पहले काला धन भारत वापस लाने और हर नागरिक के बैंक खाते में 15-20 लाख रुपए डालने का वादा किया था लेकिन आज की कड़वी सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है.स्विट्ज़रलैंड के केंद्रीय बैंक के पिछले वार्षिक डेटा के मुतािबक 2021 में स्विस बैंकों में जमा भारतीय व्यक्तियों और कंपनियों का पैसा 14 वर्षों के उच्चतम स्तर 3.83 बिलियन स्विस फ़्रैक्स (30,500 करोड़ रु. से अधिक) पर पहुँच गया है.हम जानना चाहते हैं कि टैक्स हेवन देशों से संचालित होने वाली विदेशी शेल कंपनियों से भारत आने वाले काले धन का असली मालिक कौन है? क्या हुआ तेरा वादा, वो कसम वो इरादा? काले धन पर प्रधानमंत्री के वादे का क्या हुआ? प्रधानमंत्री ने कई बार भ्रष्टाचार से लड़ने में अपनी निष्‍ठा और नीयत की बातें की है लेकिन उनके क़रीबी मित्र स्पष्ट तौर पर ऐसे अवैध कार्यों में  लिप्त रहे हैं जो आम तौर पर माफ़िया, आतंकी और शत्रु देश रहते हैं. वर्षों से प्रधानमंत्री मोदी ने ईडी, सीबीआई और डीआरआई खुफ़िया राजस्व निदेशालय) जैसी एजंेसियों का दुरुपयोग अपने राजनीतिक या सैद्धांतिक प्रतिद्वंदियों को डराने-धमकाने के लिए किया है, साथ ही उन व्यापारिक घरानों को दंडित करने के लिए भी किया है जो उनके पूंजीपति मित्रों  के वित्तीय हितों के अनुरूप नहीं हैं. 1992 में हर्षद मेहता मामले की जाँच के लिए एक जेपीसी का गठन हुआ था जबकि 2001 में एक जेपीसी ने के तन पारेख मामले की जाँच की थी.तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री नरसिम्हा राव और प्रधानमंत्री श्री अटलबिहारी वाजपेयी, दोनों को करोड़ों भारतीय निवेशकों को प्रभािवत करने वाले घोटालों की जाँच  के लिए निर्वािचत प्रतिनिधियों पर विश्वास और भरोसा था. प्रधानमंत्री मोदी को किस बात का डर है? क्या उनके अधीन एक न्यायपूर्ण और निष्पक्ष जांच की कोई उम्मीद है?

       

जब यह धोखाधड़ी हो रही थी तो सेबी (एसइबीआई) क्या कर रहा था?

1. अडानी समूह के खिलाफ़ स्टॉक में हेरफेर के आरोपों के सार्वजिनक होने के बाद शेयरों की कीमतों में गिरावट से उन लाखों निवेशकों को नुकसान पहुँचा जिन्होंने कृत्रिम रूप से बढ़ी हुई कीमतों पर अडानी समूह के शेयरों में निवेश किया था. 24 जनवरी और 15 फ़रवरी 2023 के बीच अडानी समूह के शेयरों के मूल्य में ₹10,50,000 करोड़ रु. की गिरावट आई. 19 जुलाई, 2021 को वित्त मंत्रालय ने संसद में स्वीकार किया था कि अडानी समूह सेबी के  नियमों का उल्लंघन करने के लिए जांच के दायरे में है. फिर भी अडानी समूह के शेयरों की कीमतों में उछाल आने दिया गया.

2. एलआईसी द्वारा खरीदे गए अडानी समूह के शेयरों का मूल्य 30 दिसंबर, 2022 को 83,000 करोड़ रुपए था जो 15 फ़रवरी, 2023 को घटकर 39,000 करोड़ रुपए रह गया, यािन 30 करोड़ एलआईसी पॉलिसी-धारकों की बचत के मूल्य में 44,000 करोड़ रुपए की कमी. शेयरों के मूल्यों में कमी और समूह द्वारा धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों के बाद भी मोदी सरकार ने एलआईसी को अडानी एंटरप्राइज़ेज़ के फ़ॉलो-आन पब्लिक ऑफ़र (एफपीओ) में अितरिक्त 300 करोड़ रुपए निवेश करने के लिए मजबूर किया.

3. 2001 केतन पारेख घोटाले में सेबी ने पता लगाया था कि शेयर बाज़ार में हेरफेर करने में अडानी समूह के प्रमोटरों ने साथ दिया था. समूह पर मौजूदा आरोपों से यह चिंताजनक रूप से समान है.जांच करने की बजाय प्रधानमंत्री मोदी ने इस साल के ‘मित्र काल’ बजट में अडानी समूह को और भी अवसर


प्रदान कर दिए:

 A. 14 जून, 2022 को अडानी समूह ने घोषणा की कि वह फ्रांस की ‘टोटल एनर्जीज़’ के साथ साझेदारी के अंतर्गत ग्रीन हाइड्रोजन में 50 बिलियन डॉलर का निवेश करेगा. 4 जनवरी, 2023 को ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 19,744 करोड़ रु. की लागत के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को मंज़ूरी दे दी. ‘टोटल एनर्जीज़’ ने इस उद्यम में अपनी भागीदारी को रोक दिया है, लेकिन क्या अडानी की कोई ऐसी व्यावसाियक घोषणा है,जिसके बाद करदाता के पैसों से सब्सिडी प्रदान नहीं की गई ?

B. 1 फ़रवरी को अपने ‘मित्र काल‘ बजट भाषण में  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि अगले चरण में 50 और हवाई अड्डे, हेलीपोर्ट और वाटर एयरोड्रम को पुनर्जीवित किया जाएगा. इनमें से कितने अडानी को लाभ पहुंचाएंगे?


एकािधकार स्थापित करना

हवाई अड्डे - अडानी समूह बहुत ही कम समय में भारत के हवाई अड्डों का सबसे बड़ा संचालक बन गया है.इसने 2019 में छह में से छह हवाई अड्डों के संचालन की अनुमित सरकार से प्राप्त कर ली और 2021 में यह समूह संदेहास्पद परिस्थितियों में भारत के दूसरे सब से व्यस्त हवाई अड्डे, मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे, पर कािबज़ हो गया.


बंदरगाह - आज अडानी समूह 13 बंदरगाहों और टर्मिनल्स को नियंत्रित करता है, जो भारत की बंदरगाह क्षमता का 30 प्रतिशत और कुल कंटेनर आवाजाही का 40 प्रतिशत है. क्या यह राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से विवेकपूर्ण है कि धनशोधन और विदेश की शेल कंपनियों से लेन-देन के गंभीर आरोपों का सामना करने वाली एक कंपनी को एक सामरिक क्षेत्र में प्रभुत्व रखने की अनुमति दे दी जाए? मोदी जी ने अपने पास उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल करके बंदरगाहों के क्षेत्र में भी अडानी का आधिपत्य स्थापित करने में मदद की. सरकारी रियायत वाले बंदरगाह बिना किसी बोली के अडानी समूह को बेच दिए गए हैं, और जहां बोली की अनुमित दी गई है, वहां प्रतिस्पर्धी चमत्कारिक रूप से बोली से ग़ायब हो गए हैं. लगता है कि आयकर छापों ने कृष्णपट्टनम बंदरगाह के पूर्व मािलक को उसे अडानी समूह को बेचने के लिए ‘राज़ी करने’ में मदद की. 2021 में सार्वजिनक क्षेत्र का जवाहर लाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट महाराष्ट्र में दिघी बंदरगाह के लिए अडानी की प्रतिस्पर्धा में बोली लगा रहा था लेकिन जहाज़रानी और वित्त मंत्रालयों द्वारा अचानक इरादा बदलने के बाद उसे अपनी जीती हुई बोली वापस लेने को मजबूर होना पड़ा.


रक्षा क्षेत्र -यह सार्वजनिक जानकारी में है कि गौतम अडानी प्रधानमंत्री मोदी की अनेक विदेश यात्राओं में उनके साथ गए. 4-6 जुलाई, 2017 की इज़राइल यात्रा के बाद उन्हें भारत-इज़राइल रक्षा संबंधों के संदर्भ में एक लाभ दिलाने वाली भूिमका सौंप दी गई है. उन्होंने कोई पूर्व अनुभव न होते हुए भी ड्रोन, इलेक्ट्रॉनिक्स, छोटे हथियार और विमान रखरखाव जैसे क्षेत्रों में संयुक्त उपक्रम स्थापित किए हैं, जबकि कई स्टार्टअप कंपनियां और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां इन क्षेत्रों में कई वर्षों से हैं.


विद्युत क्षेत्र - यूपीए ने वर्ष 2010 में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनटीपीसी द्वारा बगेरहाट, बांग्लादेश में 1,320 मेगावाट का थर्मल पावर प्लांट लगाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे.प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी जी ने अपने मित्रों की मदद करने का निर्णय लिया और 6 जून, 2015 को उनकी ढाका यात्रा के दौरान, यह घोषणा की गई कि अडानी पावर बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति करने के लिए झारखंड के गोड्डा में एक थर्मल पावर प्लांट का निर्माण करेंगे. मोदी सरकार ने पिछले 9 सालों में सीएजी, सीबीआई जैसी सभी सरकारी एजेंसियों और संस्थाओं पर चाहे नियंत्रण कर लिया हो लेकिन सत्य हमेशा सामने आ ही जाता है, उसे ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल कर दबाया नहीं जा सकता है. कृपया इंतज़ार करिए और देिखए, यह सिर्फ़ शुरुआत है, बीजेपी के कई और गुप्तभेद आने समय में उजागर होंगे.

कोई टिप्पणी नहीं: