- सिवान में प्रशांत किशोर का लालू, नीतीश और मोदी पर हमला, बोले , ऐसा कौन रोग हो गया है जिसका पता ही नहीं चल रहा
लालू, नीतीश, मोदी सबको जीता कर देख लिया, ऐसी कौन सी पुरानी बीमारी बिहार को हो गई है जिसका रोग ही पता नहीं चल रहा
जन सुराज पदयात्रा के दौरान सिवान के सहसरांव पंचायत में आमसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि हम पदयात्रा इसलिए कर रहे हैं कि बिहार के लोगों को ये समझा सके कि उनको सबसे ज्यादा जरूरत है कि वो अपने पैर पर खड़े हो। जिस बिहार सूबे में हम रहते हैं, वो आज से 40- 50 साल पहले भी देश का सबसे पिछड़ा राज्य था और जो जवान था वो बुड्डा हो गया और जो बच्चा था वो जवान हो गया। आज 50 साल बाद भी भारत का सबसे ज्यादा भुखमरी, अशिक्षा और बेरोजगारी वाला राज्य बिहार है, हम लोग सुधरना ही नहीं चाहते हैं, जैसे पुराना रोग होता है जो ठीक नहीं होता वही हाल बिहार के लोगों की है, दुर्दशा सुधरने का नाम नहीं ले रही है। सभी तरीक़े से प्रयास किया, पहले कांग्रेस को वोट किया फिर 15 साल तक गरीब के बेटे लालू जी को वोट किया, फिर सोचा कि पढ़े-लिखे व्यक्ति को बनाओ जिसमें नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया और दिल्ली में भी मोदी जी को जिताकर देख लिया लेकिन बिहार की दुर्दशा नहीं सुधर रही है। पीढ़ी दर पीढ़ी जिसके पिता ने मजदूरी की उनके बेटे भी आज मजदूरी कर रहे है कोई फ़र्क नहीं पड़ रहा है।
मोदी जी को वोट दीजिएगा तो आपका बेटा मजदूरी करने सूरत नहीं जाएगा तो कहां जाएगा
जन सुराज पदयात्रा के दौरान सिवान में एक आमसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार की जनता का ऐसा मानना है कि मोदी जी के आने से ही देश में विकास हो पाएगा। चलिए मान लेते हैं कि मोदी जी के आने से बिहार का कल्याण हुआ या नहीं, इस बात को छोड़ देते हैं। इस सभा में जीतने भी मोदी जी को वोट करने वाले लोग हैं उन्हें खुली चुनौती देते हैं कि 9 वर्षों से मोदी जी प्रधानमंत्री हैं, पिछले नौ सालों में मोदी जी ने अगर बिहार के विकास के लिए एक समीक्षा बैठक किया है तो आप हमें उस खबर का एक भी पेपर कटिंग दिखा दीजिए, तो हम कल से उनका झंडा लेकर चलने के लिए तैयार हैं। उन्होंने आगे कहा कि इसके बावजूद भी हम और आप उछल-उछल कर कमल का बटन दबाएंगे तो गलती हमारी है या मोदी जी की। आपके लड़के सूरत में जा कर मजदूरी नहीं करेंगे तो क्या सूरत में मेयर बनेंगे? आप अगर वोट गलत करेंगे तो गलत ही पाएंगे।
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