पटना, डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) और महानिदेशक (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) ने आज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना का दौरा किया । डॉ. पाठक ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में बुनियादी सुविधाओं यानी प्रशासनिक-सह-प्रयोगशाला भवन, किसान छात्रावास, पशुधन फ़ार्म, कुक्कुट फ़ार्म, मात्स्यिकी फ़ार्म, प्राकृतिक, जैविक एवं संरक्षित कृषि परियोजना स्थल के अलावे विभिन्न प्रक्षेत्रों का भी दौरा किया। इस अवसर पर संस्थान के वैज्ञानिकों एवं अन्य सभी कर्मचारियों के साथ वैठक भी की | माननीय महानिदेशक ने संस्थान द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की और उपलब्धियों के लिए वैज्ञानिकों और प्रशासनिक कर्मचारियों को बधाई दी। उन्होंने संस्थान की अनुसंधान गतिविधियों में सुधार के लिए बहुमूल्य सुझाव दिए । उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम चिन्तन के साथ प्रयास करें, एवं जरुरत पड़ने पर संस्थानों के मैंडेट (अधिदेश) में भी बदलाव किया जा सकता है | उन्होंने वर्तमान वित्तीय वर्ष के आम बजट पर ख़ुशी व्यक्त किया और बताया कि इसमें किए गए प्रावधानों से शोध में विशेष मदद मिलेगी | डॉ. पाठक ने इस बात का भी जिक्र किया कि शोध हेतु किसी भी प्रकार का कमी नही आने दी जायेगी | उन्होंने पूर्वी भारत के किसानों और अन्य हितधारकों के लाभ के लिए संस्थान के अधिदेश के अनुसार भविष्य के अनुसंधान कार्यक्रमों के लिए एक रोड मैप तैयार करने की अपील की। प्राकृतिक खेती पर जोर देते हुए उन्होंने बताया कि यह पशुधन पर आधारित एक पारंपरिक स्वदेशी कृषि पद्धति है। महानिदेशक ने इस बात पर भी जोर दिया कि वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थान, राज्य सरकार और अन्य हितधारक एक साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करे | डॉ. हिमांशु पाठक ने परती–धान खेती प्रणाली पर समग्र शोध करने पर विशेष जोर दिया | उन्होंने कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर चर्चा की, और जलवायु-अनुकूल फसल उत्पादन तकनीक के बारे में प्रकाश डाला| इसके अलावा उन्होंने टिकाऊ कृषि के लिए नई तकनीकों को अपनाने पर भी जोर दिया। इससे पूर्व, डॉ. अनुप दास, निदेशक ने संस्थान में चल रहे अनुसंधान कार्यक्रम, महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर प्रकाश डाला । इस अवसर पर डॉ. हिमांशु पाठक के साथ डॉ ए के सिंह, निदेशक (शोध), डॉ आर पी, केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा, डॉ ए के सिंह, निदेशक, आटारी पटना, डॉ बिकास दास, निदेशक, लीची अनुसधान संस्थान, मुजफ्फरपुर भी उपस्थित थे | इस अवसर पर उन्होंने कृषि आधारित दो पुस्तकों, एक तकनीकी बुलेटिन और एक विस्तार बुलेटिन का विमोचन भी किया । साथ ही साथ उन्होंने एक प्रगतिशील किसान;श्री कामाख्या नारायण शर्मा को समेकित कृषि प्रणाली पर काम के लिए सम्मानित किया।
सोमवार, 27 फ़रवरी 2023
बिहार : ICAR को अपने काम करने की शैली में बदलाव की जरुरत है : डॉ. हिमांशु पाठक
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