जन सुराज पदयात्रा के दौरान मीडिया संवाद कार्यक्रम में बिहार के किसानों की समस्याओं पर बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि देश में बिहार एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां पिछले 10 सालों में 11% सिंचित भूमि कम हो गई है। पदयात्रा के माध्यम से जिन-जिन क्षेत्रों में हम लोग घूम रहे हैं, उन क्षेत्रों में जल प्रबंधन को लेकर सरकार की जो नाकामी है साफ-साफ देखने को मिलती है। ज्यादातर लोग जो खेती करने वाले हैं उनको या तो बाढ़ का सामना करना पड़ रहा है या सुखाड़ का सामना करना पड़ता है। साथ ही जलजमाव, नदियों का कटाव यह समस्या ऊपर से और जुड़ जाता है। जल प्रबंधन की कुव्यवस्था की वजह से किसानों की हालत और खराब है। किसानों को हो रही समस्याओं के बारे में बताते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि इसके अलावा जो मुख्य समस्या है वो ये है की किसान जो भी फसल उपजाते हैं, उसका सही मूल्य ना मिलना। जिस समय में हम पदयात्रा कर रहे हैं, यह वही समय है जब धान और गन्ने की कटाई हुई है। औसतन लोगों ने बताया कि धान 1200 सौ से 1500 रूपए क्विंटल के भाव से बिका है। जबकि धान का सरकारी समर्थन मूल्य 2050 रूपए है। पैक्स की व्यवस्था यहां है, पर मंडियों की कोई व्यवस्था यहां नहीं है। पैक्स के माध्यम से भी बड़े स्तर पर खरीदारी नहीं होती है। पिछले 10 वर्षों में बिहार में सिर्फ 13% धान समर्थन मूल्य पर खरीदा गया है और गेहूं 1% खरीदा गया है। बिहार में समर्थन मूल्य पर फसल की खरीद ना होने की वजह से, इसका आर्थिक परिणाम यह हो रहा है कि हर साल बिहार के किसानों का 25 हजार करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2023
बिहार : MSP का नहीं मिला पाना किसानों की बदहाली का सबसे बड़ा कारण: प्रशांत किशोर
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