- जन सुराज पदयात्रा: 139वां दिन, प्रशांत किशोर का RJD पर बड़ा हमला
आज बिहार की सत्ता पूरी तरह से राजद के हाथ में इसलिए बढ़ रहा है अपराध और हो रही जंगलराज की वापसी
प्रशांत किशोर ने मीडिया संवाद कार्यक्रम के दौरान बिहार में बढ़ रहे अपराध से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि जब से महागठबंधन बना है, उसके बाद जनता के मन में ये चिंता बनी हुई थी कि बिहार में लॉ एंड आर्डर की स्थिती बिगड़ेगी। वो चिंता इसीलिए थी क्योंकि बिहार में RJD के शासनकाल में लोगों ने अपराधियों का जंगलराज देखा है। आज जब RJD फिर से सत्ता में वापस आ गई है और बिहार की सत्ता की पुरी कमान राजद के हाथ में चली गई है। स्वभाविक तौर पर अपराधिक घटनाएं बढ़ेंगे, यह उनकी पार्टी का चरित्र बन है। यह 15 साल बिहार की जनता ने खुद देखा है, जब भी ये लोग सत्ता में आते हैं तो अपराध की घटनाएं बढ़ जाती है और अभी भी वही हो रहा है।
जातीय जनगणना समाज में उन्माद फैलाने की कोशिश, गणना होने के बाद भी दलितों, अति-पिछड़ों और मुसलमानों की स्थिति में कोई सुधार नहीं
प्रशांत किशोर ने जातीय जनगणना के सवाल पर कहा कि जातीय जनगणना प्रशासनिक गतिविधि है, क्योंकि जातीय जनगणना का संवैधानिक आधार नहीं है। जनगणना केंद्र का विषय है तो राज्यों के पास ये अधिकार नहीं है की वो संवैधानिक आधार पर जनगणना करा सके, इसलिए बिहार सरकार ने जो अधिसूचना जारी की है उसमें इसे गणना (सर्वे) कहा गया है। असल मुद्दा ये है कि जो इस गणना को करवा रहे हैं, उनका मकसद पिछड़े वर्गों को लाभ पहुंचना नहीं है, वो तो इसके सहारे राजनीतिक ध्रुवीकरण और समाज को जातीय आधार पर बांटने की कोशिश कर रहे हैं। दलितों और मुसलमानों की गणना तो आजादी के बाद से लगातार हो रही है, लेकिन उनकी बदहाली किसी से छिपी नहीं है। गणना से कोई लाभ तभी होगा जब इसको आधार बनाकर पिछड़े वर्गों के लिए कोई योजना बने। जो लोग ये सोच रहे हैं कि गणना मात्र से ही उनकी स्थिति सुधर जाएगी तो ये भ्रम फैलाया जा रहा है। जातीय जनगणना के माध्यम से समाज में उन्माद फैलाकर उसका राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की जा रही है।
बिहार की शिक्षा व्यवस्था का ध्वस्त हो जाना पढ़े-लिखे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल का सबसे बड़ा काला अध्याय
मीडिया संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है। बिहार की जनता इस बात को स्वीकार कर चुकी है कि बिहार में विद्यालयों और कॉलेज की भूमिका बस खिचड़ी, डिग्री बांटने की है। बिहार में समतामूलक शिक्षा व्यवस्था बनाने के चक्कर में हर गांव, हर पंचायत में स्कूल खोल दिया गया, लेकिन उसके बाद उसकी गुणवत्ता और उसकी जरूरतों पर ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के 17 साल के कालखंड में शिक्षा व्यवस्था का ध्वस्त हो जाना उनके शासन का सबसे बड़ा काला अध्याय है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि अगर सड़क आज टूटी हुई है, तो कल एक अच्छी सरकार आ जाएगी तो शायद वह सड़क बन जाए। लेकिन 2 पीढ़ियां जो शिक्षा व्यवस्था से पढ़कर निकल गई, अब अगर अच्छी सरकार भी आ जाएगी, तब भी वह लोग अपने आपको फिर से शिक्षित नहीं कर पाएंगे। 2 पीढ़ियों को पूरे जीवन भर शिक्षित समाज के पीछे ही चलना पड़ेगा, इसलिए यह नीतीश कुमार के शासनकाल का सबसे बड़ा काला अध्याय है।
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