700 साल बाद इस वर्ष महाशिवरात्रि पर बन रहा है महासंयोग - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2023

700 साल बाद इस वर्ष महाशिवरात्रि पर बन रहा है महासंयोग

mahashivratri
पटना : प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इस वर्ष महाशिवरात्रि शनिवार 18 फरवरी 2023 को मनाई जाएगी। शिव महापुराण के अनुसार इसी दिन शिव जी लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। साथ ही इसी दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। शिव भक्त इस दिन को बहुत ही उत्साह के साथ मनाते हैं। इस वर्ष महाशिवरात्रि के दिन त्रियोदशी और चतुर्दशी, दोनों तिथियों का महासंयोग बन रहा है। साथ ही शंख, शश, वरिष्ठ, केदार और सर्वार्थ सिद्धि योग से पंच महायोग का अद्‌‌भूत संयोग भी बन रहा है। इसके अलावा महाशिवरात्रि के दिन प्रदोष व्रत और साथ ही शनिवार का दिन भी है। शनि देव भगवान शिव के परम शिष्य हैं और शिवजी ने ही उन्हें न्यायदाता और कर्म फलदाता नियुक्त किया था। शिवजी के साथ ही शनिदेव की कृपा पाने के लिए भी इस बार की महाशिवरात्रि काफी शुभप्रद है। ऐसा दुर्लभ संयोग सात सौ साल बाद बन रहा है जो शिव पूजन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।


ज्योतिषाचार्य के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन सायंकाल 5:40 के उपरांत श्रवण नक्षत्र प्रारंभ होगा और सांय 5:40 तक उत्तराषाढ़ा नक्षत्र स्थित रहेगा। धार्मिक मान्यताओं में उत्तराषाढ़ा का अंतिम चरण और श्रवण नक्षत्र का प्रथम चरण विशेष रूप से अभिजित नक्षत्र को जन्म देते हैं। श्रवण नक्षत्र आने पर स्थिर योग उत्पन्न होगा और सिद्धि योग बनेगा। ऐसी स्थिति में भगवान शिव की उपासना करना अत्यंत फलदायी रहेगा। शिवपूजन में बिल्व के पेड़ की धार्मिक मान्यता है। इसको श्री वृक्ष भी कहा जाता है। यह महालक्ष्मी का एक नाम भी है और विल्व की पूजा से लक्ष्मी जी भी प्रसन्न होती हैं। इसकी जड़ों में गिरिजा देवी, तने में महेश्वरी, पतों में पार्वतों, फलों में गौरी और फूलों में देवी कात्यायनी का वास माना गया है। विल्व पत्र के साथ ही शमी के पत्‍ते, धतूरा, गुलाब और कमल फूल भी शिवलिंग पर चढ़ा सकते हैं। केतली के फूल और तुलसी के पत्ते शिवलिंग पर न चढ़ाएं। विल्प पत्र चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, दाराशी चतुर्दशी, पूर्णिमा, अमावस्या, सोमवार और संक्रांति के दिन नहीं तोडना चाहिए। इसे धोकर कई दिनों तक चढ़ाया जा सकता है।

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