बिहार : 2023-24 को केंद्रीय बजट आम जनता की उम्मीदों से विश्वासघात: माले - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 2 फ़रवरी 2023

बिहार : 2023-24 को केंद्रीय बजट आम जनता की उम्मीदों से विश्वासघात: माले

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पटना 2 फरवरी, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि 2023-24 का केंद्रीय बजट देश में बढ़ती आर्थिक असमानता को कम करने, सार्वजनिक सेवाओं पर सरकार के खर्च व रोजगार के अवसरों को बढ़ाने और कमरतोड़ महंगाई से राहत प्रदान करने की लोगों की उम्मीदों के साथ विश्वासघात है. आगे कहा कि यह हमेशा की तरह एक भाजपाई बजट है, जो बातें तो ऊंची करता है लेकिन प्रदर्शन में एकदम फिसड्डी साबित होता है. विगत 8 सालों में इस सरकार ने जितने भी वादे किए, उनमें से कोई भी अब तक पूरा नहीं हुआ. ‘सभी के लिए आवास’, ‘किसानों की आय दुगुनी करने, ‘5 साल में इंफ्रास्ट्रक्चर में 100 लाख करोड़ का निवेश’, ‘2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था’ आदि की बड़ी -बड़ी बातें तो की गई, लेकिन इनमें एक भी लक्ष्य हासिल नहीं हो सका. बजट 2023 में सीजीएसटी संग्रह का अनुमान प्रत्यक्ष कॉर्पोरेट कर से अधिक है, फिर भी सरकार पहले की तरह अमीरों और विशेषाधिकार प्राप्त लोगों पर कर बढ़ाने से कतरा गई है. बेरोजगारी के कारण युवाओं में देशव्यापी गुस्से को देखते हुए उम्मीद की जा रही थी कि सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों पर सरकार अविलंब बहाली की घोषणा करेगी, लेकिन बजट में ऐसा कुछ नहीं दिखा. आम आदमी, नौजवानों, किसानों और औद्योगिक मजदूरों की समस्याओं का इस बजट में कोई समाधान नहीं है. बढ़ती कीमतें और बेरोजगारी के सवाल पहले की तरह अनुत्तरित हैं और एमएसपी पर एक शब्द नहीं कहा गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों को जहां एक तरफ रोजगार नहीं मिल रहा है, वहीं मनरेगा में 60 हजार करोड़ रुपये की कटौती कर दी गई है. खाद्य पदार्थाें पर चालू वर्ष की तुलना में 90000 करोड़ सब्सिडी में कमी कर दी गई है. उच्च मुद्रास्फीति के बावजूद, आम लोगों के लिए बड़े पैमाने पर उपभोग करने वाली वस्तुओं पर बजट में अप्रत्यक्ष कर राहत में विस्तार नहीं किया गया. मध्यम वर्ग को इनकम टैक्स में राहत की उम्मीद थी, उन्हें भी कुछ सीमित रियायत के साथ छोड़ दिया गया है जो नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनते हैं. सभी आयकर दाताओं के लिए 5 लाख रुपये की एक समान छूट सीमा की मांग को सरकार ने नहीं स्वीकारा. शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और सामाजिक कल्याण के प्रमुख क्षेत्रों में भी सावर्जनिक खर्च का नहीं बढ़ाया गया है और इस तरह इसका बोझ आम लोगों पर ही डाल दिया गया है. कुल मिलाकर बजट से महंगाई, बेरोजागरी की मार झेल रही जनता को किसी भी प्रकार की राहत नहीं मिली है.

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