अब आप संजय जयसवाल की प्रेस रिलीज के समाजशास्त्र को समझिये। बिहार में यादव के बाद सबसे बड़ी आबादी वाली जाति चमार है। वीरेंद्र यादव न्यूज के संदर्भ से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मुसलमानों की आबादी 15.12 प्रतिशत, यादव की आबादी 14.61 प्रतिशत और चमारों की आबादी 5.66 प्रतिशत है। यह आबादी कोईरी और राजपूत से भी ज्यादा है। मतलब यह है कि बिहार में तीसरी सबसे बड़ी आबादी वाली जाति चमार है। उसके पास वोट पोलिंग कैपिसिटी भी है। अभी 38 अनुसूचित जाति के विधायकों में 13 चमार जाति के ही हैं। महागठबंधन जाति गिनने में व्यस्त है और भाजपा जाति के वोट गिन रही है। इसी क्रम में उसने एक चमार जाति के व्यक्ति को राज्यपाल बनाकर बिहार भेजा है। उनका अब गाजे-बाजे के साथ प्रचार भी करेगी। संभव है कि उनके सम्मान में बड़ा आयोजन भी किया जाये। राज्यपाल बनकर फागू चौहान बिहार आये थे तो उनके भी सम्मान में भाजपा की ओर से सम्मान समारोह किया गया था। इसके लिए पार्टी के बजाये नोनिया-बिंद सामाजिक संगठन की ओर से सम्मान किया गया था। नये राज्यपाल के लिए भाजपा रविदास नामधारी कोई संगठन भी खड़ा कर देगी। दरअसल यही भाजपा की रणनीतिक ताकत है कि पहले वह पोलिटिकल प्रोडक्ट पैदा करती है और फिर उसकी मार्केटिंग कर अपना जनाधार साधने का प्रयास करती है। संजय जयसवाल की प्रेस रिलीज को भी इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए।
---- वीरेंद्र यादव, वरिष्ठ संसदीय पत्रकार, पटना ----
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