बिहार : नीतीश से तिगुनी राशि तेजस्‍वी के थैले में - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 1 मार्च 2023

बिहार : नीतीश से तिगुनी राशि तेजस्‍वी के थैले में

  • 39.50 फीसदी बजटीय आवंटन यादव मंत्रियों के विभाग के पास  

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मंगलवार यानी 28 फरवरी को वित्‍तीय वर्ष 2023-24 का बजट विधान सभा में वित्‍त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने पेश किया। लगभग 75 मिनट से अधिक के भाषण में वित्‍त मंत्री ने विकास के कसीदे गढ़े और विकास योजनाओं और उपलब्धियों को बताया। 102 पन्‍नों के बजट भाषण में राज्‍य सरकार के विभागवार योजनाओं और विभाग के लिए आवंटित राशि का विवरण प्रस्‍तुत किया गया। बिहार के सामाजिक और राजनीतिक गलियारे में भूमिहारों को यादवों का विरोधी माना जाता है। इन दोनों जातियों की मास राजनीति एक-दूसरे के खिलाफ रही है। लेकिन भूमिहार वित्‍त मंत्री ने यादवों को ‘मालामाल’ कर दिया है। वित्‍त मंत्री विजय चौधरी ने स्‍कीम मद और स्‍थापना एवं प्रतिबद्ध व्‍यय मद के लिए बजटीय उपबंध यानी प्रावधान 2 लाख 61 हजार 885 करोड़ रुपये का किया है। इसमें से 1 लाख 03 हजार 483 करोड़ की राशि यादव मंत्रियों के विभागों के लिए आवंटित किया गया है। यह कुल बजटीय प्रावधान का 39.50 प्रतिशत से अधिक है। बजटीय उपबंध में मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार से लगभग 3 गुनी अधिक राशि उपमुख्‍यमंत्री तेजस्‍वी यादव के विभागों के लिए किया गया है। प्रदेश में कुल 44 विभाग हैं। इनमें से 5-5 विभाग मुख्‍यमंत्री और उपमुख्‍यमंत्री के पास हैं। मुख्‍यमंत्री के पांचों विभागों के लिए कुल 15925 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं, जबकि उपमुख्‍यमंत्री के पांच विभागों के लिए 44578 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। तकनीकी रूप देंखे तो सभी प्रशासनिक विभाग मुख्‍यमंत्री के पास हैं, जिनका पूरे तंत्र पर नियंत्रण होता है। इसके विपरीत उपमुख्‍यमंत्री के पास प्रमुख कामकाजी विभाग हैं, जिनका काम और उसका असर आम जनजीवन को प्रभावित करता है।


हम जाति की बात करें तो 31 मंत्रियों में 8 यादव जाति के हैं। मतबल लगभग 25 फीसदी। इन मंत्रियों के विभागों के लिए कुल बजटीय प्रावधान का 39.50 प्रतिशत आवंटित है। इनके पास बिहार के विकास लिए महत्‍वपूर्ण विभाग यथा पथ निर्माण, ग्रामीण सड़क, स्‍वास्‍थ्‍य, ऊर्जा और शिक्षा जैसे विभाग हैं। इन विभागों के माध्‍यम से बिहार का कायाकल्‍प किया जा सकता है। दूसरे शब्‍दों में कह सकते हैं कि तेजस्‍वी यादव के प्रभाव वाली राज्‍य सरकार में विकास की बड़ी जिम्‍मेवारी यादव मंत्रियों के कंधों पर हैं। मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार हरसंभव सहयोग का वादा करते रहे हैं। वैसे में यादव समेत राज्‍य के सभी मंत्रियों को विकास के कार्यों में जुट जाना चाहिए। यदि हर मं‍त्री अपने ही वर्गीय और जातीय समाज का कल्‍याण ईमानदारी से करें तो बिहार का कायाकल्‍प हो जाएगा। लेकिन बिहार के राजनीतिक तंत्र का दुर्भाग्‍य है कि काम का ठेका अधिकारियों को थोप दिया जाता है और राज का भोग करने में मंत्री जुट जाते हैं। और फिर मंत्री नौकरशाह पर आरोप लगाते हैं कि उनकी बात नहीं सुनी जाती है। मुख्‍यमंत्री और उपमुख्‍यमंत्री को चाहिए कि वे मंत्रियों को फीता काटने और नेवता निभाने के बजाये सचिवालय में बैठकर सचिव से‍ अधिक से काम करने का निर्देश दें। सरकारी सुविधाओं पर सवार होकर बिहार को रौंदने वाले मंत्रियों को सचिवालय में फाइलों को पढ़ना चाहिए। फाइलों पर कुंडली मारने वाले मंत्रियों से न सरकार को भला होगा, न सरकारी पार्टी को। सत्‍ता के गलियारे में प्रचलित कहावत से सरकार और मंत्रियों को सबक लेनी चाहिए कि डाल का चूका बंदर और काम से चूके मंत्री का कोई भविष्‍य नहीं होता है।






---- वीरेंद्र यादव, राजनीतिक विश्‍लेषक, पटना ------

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