- ’वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना से दुनिया को मिल रहा नया नजरिया, कहा, टीबी हारेगा, भारत जीतेगा...
- राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से जुड़ा एक किस्सा सुनाते हुए बताया कि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने उनका सपना पूरा किया
- विश्व क्षय रोग दिवस के मौके पर समिट अंतरराष्ट्रीय संगठन संगठन ‘स्टाप टीबी पार्टनरशिप’ और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से सिगरा स्थित रुद्राक्ष कन्वेन्शन सेंटर में आयोजित किया गया
टीबी की 80 प्रतिशत दवाएं भारत में बनती है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज का भारत अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने वाले के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि वन वर्ल्ड टीबी समिट के जरिये भारत एक नए संकल्प पूरा कर रहा है। भारत का यह प्रयास टीबी के खिलाफ वैश्विक है। भारत में टीबी को स्थानीय भाषा में क्षय कहा जाता है। उन्होंने कहा कि विदेश से आए अतिथियों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में टीबी मरीजों को लोग गोद ले रहे हैं। इसे भारत में निक्षय मित्र कहा जाता है। उन्होंने बताया कि टीबी मरीजों के पोषण के लिए वर्ष 2018 से डीबीटी के लिए 2000 करोड़ उनके बैंक खाते में भेजे गए। इससे करीब 75 लाख मरीजों को लाभ पहुंचा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोई भी इलाज से छूटे नहीं इसके लिए हमने नई रणनीति पर काम शुरू किया है। उन्होंने बताया कि आज टीबी के लिए 80 प्रतिशत दवाएं भारत में बनती हैं। नई व्यवस्था के तहत अब तीन महीने ही मरीजों को दवा लेनी होगी। इससे मरीजों को सुविधा मिलेगी। मरीजों को ट्रैक करने के लिए आईसीएमआर के साथ मिलकर निक्षय पोर्टल बनाया गया है। कर्नाटक और जम्मू कश्मीर राज्य को टीबी से मुक्त करने के लिए पुरस्कार दिया गया है। कोविड काल से ही हम स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत बनाने में जुटे हैं। आज टीबी के लिए 80 प्रतिशत दवाएं भारत में बनती है।
’यस वी कैन-यस वी विल’ का नारा
प्रधानमंत्री ने भारत की विचारधारा वसुधैव कुटुम्बकम की बात करते हुए एक विश्व की बात कही। उन्होंने जी-20 की थीम “एक पृथ्वी-एक कुटुंब-एक भविष्य“ को भी दोहराया। अंत में उन्होंने ’यस वी कैन-यस वी विल’ का नारा भी दोहराया। प्रधानमंत्री ने तीन दिवसीय वन वर्ल्ड टीबी समिट कार्यक्रम में टीबी के क्षेत्र में एक प्रमुख पहल लॉन्च की। जिसमें इंडिया टीबी रिपोर्ट- 2023, फॅमिली हेल्पलाइन नंबर, टीबी मुक्त पंचायत अभियान, क्रमबद्ध निवारक उपचार जिसमें की केवल 12 खुराक दी जाती शामिल हैं। पीएम ने कहा- हमने टीबी से लड़ने किए लोगों से नि-क्षय मंत्र बनने को कहा। काशी नगरी, वो शाश्वत धारा है, जो हजारों वर्षों से मानवता के प्रयासों और परिश्रम की साक्षी रही है। कुछ समय पहले ही भारत ने “एक पृथ्वी-एक कुटुंब-एक भविष्य“ के विजन को भी आगे बढ़ाने की पहल की है और अब, वह पूरा होता दिख रहा है। टीबी के खिलाफ लड़ाई में, भारत ने जो काम किया है, वो जनभागीदारी है। एक देश के तौर पर भारत की विचारधारा का प्रतिबिंब वसुधैव कुटुंबकम् यानी ’पूरी दुनिया एक परिवार है’ की भावना में झलकता है। ये प्राचीन विचार आज आधुनिक विश्व को एकीकृत दृष्टि और एकीकृत समाधान दे रहा है। इसलिए भारत ने जी-20 की भी थीम रखी है, एक दुनिया एक परिवार एक भविष्य। 2014 के बाद से भारत ने जिस नई सोच और अप्रोच के साथ टीबी के खिलाफ काम करना शुरू किया, वो वाकई अभूतपूर्व है। भारत के ये प्रयास पूरे विश्व को इसलिए भी जानने चाहिए क्योंकि ये टीबी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का एक नया मॉडल है। बीते 9 वर्षों में भारत ने टीबी के खिलाफ लड़ाई में अनेक मोर्चो पर एक साथ काम किया है।
यूपी में मृत्युदर में कमी आई है : योगी
सीएम ने कहा- प्रदेश में सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में अच्छा काम किया है। यूपी में मृत्युदर में कमी आई है। पीएम मोदी के नेतृत्व में 2025 तक टीबी हारेगा और भारत जीतेगा। उन्होंने कहा कि इसमें जनभागीदारी बहुत आवश्यक है। टीबी के मरीजों में जागरूकता की कमी है। हमने उनको जागरूक करना होगा। काशी में बीते कुछ वर्षों से स्वास्थ्य सेवाओं में बहुत
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