बिहार : द्वितीय चरण में 1 से 30 अप्रैल तक जातिवार गणना - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 16 मार्च 2023

बिहार : द्वितीय चरण में 1 से 30 अप्रैल तक जातिवार गणना

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पटना. बिहार जाति आधारित गणना,2022 का प्रथम चरण 7 जनवरी से 21 जनवरी तक मकानों की गणना की गई.अब द्वितीय चरण में 1 से 30 अप्रैल तक जातिवार गणना होगा.इस पर ईसाई समुदाय के द्वारा विरोध व्यक्त किया जा रहा है.प्रशांत कुमार नामक ईसाई का कहना है कि ईसाई धर्मावलंबी को केवल दो कोड में रखा गया है. ईसाई धर्मावलंबी (हरिजन) की जाति कोड 10 है और ईसाई धर्मावलंबी (अन्य पिछड़ी जाति) की जाति कोड 11 है.बिहार में जन्मे और रहने वाले ईसाई धर्मावलंबी आदिवासी का कोड नहीं दिया गया है.इसका मतलब आदिवासी कहकर उरांव,धागंड़ कहते ही (उरांव) की जाति कोड 12 में डाल देंगे.जो ईसाई धर्म नहीं दर्शाता है.उसे हिंदू ही समझा जाएगा.इसमें परिवर्तन करने की जरूरत है.  विदित हो कि बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार जाति आधारित गणना,2022 मुहिम के रूप में शुरू किया था.इसके प्रथम चरण में शनिवार 7 जनवरी से जातिगत जनगणना के तहत मकानों की गणना शुरू किया गया. खुद ही पटना में डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने मकान की गणना में लगाए गए कर्मियों के साथ इसकी शुरुआत की थी.राज्य सरकार के अनुसार जातिगत जनगणना से आर्थिक और सामाजिक रूप से वंचितों एवं पिछड़ों की पहचान होगी और उनके हिसाब से योजनाएं बनाई जा सकेंगी. सरकार का दावा है कि जून में पूरी रिपोर्ट जारी कर दी जाएगी.

   

बता दें कि पहले चरण में 7 जनवरी से 21 जनवरी तक मकानों की गणना शुरू की गई. इन 15 दिनों के दरम्यान गणनाकर्मी लगातार हर मकान में गए.  हर मकान को खास नंबर अलॉट किए.यह यूनिक नंबर लाल रंग से मकान पर मार्क भी किए और इस रिकॉर्ड को लोगों को रिकॉड के रूप में इसे अपने पास भी लिखकर रख लेना चाहिए, क्योंकि यह एक तरह से पता हो जाएगा. अबतक नगर निगम मकान नंबर जारी किया करता था, लेकिन उसे पता के रूप में खोजना असंभव हो जाता था. दावा है कि इस बार दिया जा रहा नंबर हर आदमी के पते के रूप में रिकॉर्ड बनकर दर्ज हो जाएगा.मकान की गणना करते समय गणनाकर्मी घर के मुखिया का नाम भी लिख रहे हैं, ताकि यह रिकॉर्ड रहे कि मकान नंबर फलां किस व्यक्ति का है.गणनाकर्मी यह भी दर्ज कर रहे हैं कि उस परिवार में कुल कितने सदस्य हैं. साथ ही बेघर लोगों का भी रिकॉर्ड उनके अस्थायी आशियाने-ठिकाने पर लिया गया.प्रत्येक कर्मी 150 मकानों की गिनती किए. इसके लिए उन्हें हर रोज मैनुअल डेटा अपलोड करना पड़ा. अगर कोई घर बंद मिला तो मोबाइल नंबर लेकर उनसे उनकी पूरी जानकारी लिए.यह गणनाकर्मी की जिम्मेदारी थी. दूसरे चरण में 1 से 30 अप्रैल तक जातिवार गणना होगा.इस दौरान जाति पूछेंगे, साथ ही काम और आय जानेंगे. मकान के मुखिया और परिवार के सदस्यों की कुल संख्या का रिकॉर्ड कागजों पर दर्ज किया जा रहा है.यह 21 जनवरी तक प्रक्रिया पूरी हो गयी. इसके साथ ही इस डाटा को अपलोड किए जाने पर ऑनलाइन फॉर्म तैयार होता चला गया.उसी फॉर्म में अगले चरण के दौरान बाकी जानकारी फीड की जाएगी.पूरे अप्रैल महीने गणनाकर्मी इसी ऑनलाइन फॉर्म में बाकी सूचनाएं भरेंगे. उस दौरान मकान नंबर के हिसाब से परिवार के मुखिया के पास पहुंच उनकी जाति के साथ परिवार के सदस्यों की जानकारी ली जाएगी. उनके पास कौन-कितनी गाड़ियां हैं, कितने मोबाइल हैं, आय का स्रोत क्या है, नौकरी करते हैं या स्वरोजगार या बेरोजगार हैं, क्या-क्या हुनर जानते हैं...जैसी जानकारी भी ली जाएगी.

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