बता दें कि पहले चरण में 7 जनवरी से 21 जनवरी तक मकानों की गणना शुरू की गई. इन 15 दिनों के दरम्यान गणनाकर्मी लगातार हर मकान में गए. हर मकान को खास नंबर अलॉट किए.यह यूनिक नंबर लाल रंग से मकान पर मार्क भी किए और इस रिकॉर्ड को लोगों को रिकॉड के रूप में इसे अपने पास भी लिखकर रख लेना चाहिए, क्योंकि यह एक तरह से पता हो जाएगा. अबतक नगर निगम मकान नंबर जारी किया करता था, लेकिन उसे पता के रूप में खोजना असंभव हो जाता था. दावा है कि इस बार दिया जा रहा नंबर हर आदमी के पते के रूप में रिकॉर्ड बनकर दर्ज हो जाएगा.मकान की गणना करते समय गणनाकर्मी घर के मुखिया का नाम भी लिख रहे हैं, ताकि यह रिकॉर्ड रहे कि मकान नंबर फलां किस व्यक्ति का है.गणनाकर्मी यह भी दर्ज कर रहे हैं कि उस परिवार में कुल कितने सदस्य हैं. साथ ही बेघर लोगों का भी रिकॉर्ड उनके अस्थायी आशियाने-ठिकाने पर लिया गया.प्रत्येक कर्मी 150 मकानों की गिनती किए. इसके लिए उन्हें हर रोज मैनुअल डेटा अपलोड करना पड़ा. अगर कोई घर बंद मिला तो मोबाइल नंबर लेकर उनसे उनकी पूरी जानकारी लिए.यह गणनाकर्मी की जिम्मेदारी थी. दूसरे चरण में 1 से 30 अप्रैल तक जातिवार गणना होगा.इस दौरान जाति पूछेंगे, साथ ही काम और आय जानेंगे. मकान के मुखिया और परिवार के सदस्यों की कुल संख्या का रिकॉर्ड कागजों पर दर्ज किया जा रहा है.यह 21 जनवरी तक प्रक्रिया पूरी हो गयी. इसके साथ ही इस डाटा को अपलोड किए जाने पर ऑनलाइन फॉर्म तैयार होता चला गया.उसी फॉर्म में अगले चरण के दौरान बाकी जानकारी फीड की जाएगी.पूरे अप्रैल महीने गणनाकर्मी इसी ऑनलाइन फॉर्म में बाकी सूचनाएं भरेंगे. उस दौरान मकान नंबर के हिसाब से परिवार के मुखिया के पास पहुंच उनकी जाति के साथ परिवार के सदस्यों की जानकारी ली जाएगी. उनके पास कौन-कितनी गाड़ियां हैं, कितने मोबाइल हैं, आय का स्रोत क्या है, नौकरी करते हैं या स्वरोजगार या बेरोजगार हैं, क्या-क्या हुनर जानते हैं...जैसी जानकारी भी ली जाएगी.
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