प्रशांत किशोर ने सारण में मीडिया संवाद के दौरान कहा कि बेरोजगारी और पलायन बिहार की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। इस समस्या को समझने के लिए आपको बिहार में पदयात्रा करने की जरूरत नहीं हैं। पदयात्रा की वजह से इस समस्या की विकरालता का पता चला है। सबसे बड़ी बात ये है कि बिहार में शायद ही कोई ऐसा परिवार है जिसको पलायन की पीड़ा न सहनी पड़ी हो। जब पलायन की बात होती है तो ज्यादातर लोग ये समझते हैं कि ये गरीबों की समस्या है, लेकिन ऐसी बात नहीं है। गरीब पढ़ाई के अभाव में मजदूरी के लिए पलायन कर रहे हैं, लेकिन मध्यमवर्गीय परिवार और आर्थिक रूप से मजबूत परिवारों के लिए भी बेरोजगारी एक बहुत बड़ा मुद्दा है। इन परिवारों के लिए पलायन की समस्या है कि उनके बच्चों को पहले पढ़ने के लिए बाहर जाना पड़ता है और पढ़ाई के बाद नौकरी के लिए भी उनको बिहार से बाहर रहना पड़ता है। बिहार में परिवार की संकल्पना जिसमें माता-पिता और बच्चें एक साथ रहते हैं, वो समाप्त होती जा रही है। बिहार के गांवों में देखने को मिलता है कि परिवार में या तो बच्चें बाहर रह रहे हैं या परिवार के बड़े बाहर रहते हैं। हर गांव में 40 से 50 प्रतिशत युवा किसी न किसी वजह से बिहार से बाहर रहते हैं, ये आज के बिहार की सच्चाई है।
शुक्रवार, 31 मार्च 2023
बिहार : पलायन की मजबूरी के कारण परिवार के साथ नहीं रहने का दंश : प्रशांत किशोर
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