विश्व पुस्तक मेला : कैलाश सत्यार्थी की किताब पर हुई परिचर्चा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 3 मार्च 2023

विश्व पुस्तक मेला : कैलाश सत्यार्थी की किताब पर हुई परिचर्चा

  • राजकमल के जलसाघर में भवभूति पर आधारित उपन्यास का लोकार्पण, कैलाश सत्यार्थी की किताब पर हुई परिचर्चा

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नई दिल्ली. 03 मार्च, विश्व पुस्तक मेला के सातवें दिन राजकमल प्रकाशन के 'जलसाघर' में दिनभर पुस्तकप्रेमियों की चहलकदमी बनी रही। 'जलसाघर' में आज कई पुस्तकों पर बातचीत और परिचर्चा आयोजित हुई। वहीं महेश कटारे की 'भवभूति कथा', ममता सिंह की 'किरकिरी' यशवंत व्यास की 'कवि की मनोहर कहानियाँ', जयदेव तनेजा की 'मोहन राकेश : अधूरे रिश्तों की पूरी दास्तान', पंकज राग की 'कैफ़े सिने संगीत' आदि पुस्तकों का लोकार्पण हुआ। 'जलसाघर' में आयोजित 'आएँ खेलें पाएँ ईनाम' क्विज प्रतियोगिता में अनेक पाठकों ने हिस्सा लिया। इस प्रतियोगिता के तहत पाठकों को हिंदी साहित्य से जुड़े सवालों के सही जवाब देने पर राजकमल प्रकाशन समूह की पुस्तकों पर अतिरिक्त छूट दी जा रही है।


ममता सिंह की कहानियों में हैं गजब की विविधता

आज के पहले कार्यक्रम में ममता सिंह के कहानी संग्रह 'किरकिरी' का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर युवा कथाकार अनघ शर्मा और कथाकार प्रज्ञा रोहिणी बतौर वक्ता मौजूद रहे। बातचीत करते हुए अनघ शर्मा ने कहा कि 'ममता सिंह की कहानियों में मानवीय संवेदनाओं के ऐसे अनेक संदर्भ जीवंत हुए हैं जिनका जादू इन कहानियों को पढ़कर ही जाना जा सकता है।' वहीं ममता सिंह ने अपनी रचना प्रक्रिया पर बात करते हुए कहा कि मुंबई और इलाहाबाद उनके दिल में बसते हैं। अगर मुंबई और इलाहाबाद को दो अलग-अलग छोर मान लिया जाय तो मेरी कहानियां उनके बीच में ही जिंदा होती हैं।' प्रज्ञा रोहिणी ने कहा कि 'ममता सिंह की कहानियों में गजब की विविधता है। उनकी कहानियों में अकेलेपन के अवसाद और विडंबना को ममता सिंह पूरी सिद्धि के साथ रखती हैं।'


विस्मयकारी नाटकीयता से भरी हुई है 'कवि की मनोहर कहानियां'

कार्यक्रम के अगले सत्र में यशवंत व्यास की व्यंग्य संग्रह 'कवि की मनोहर कहानियां' का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर बात करते हुए प्रेम जनमेजय ने कहा कि यह किताब हर लिहाज से पठनीय है। यह विस्मयकारी नाटकीयता से भरी हुई है। यशवंत जी अनेक विधाओं में सिद्ध भाव से लिखते रहे हैं उनकी यह सिद्धि 'कवि की मनोहर कहानियां' में और चमकदार होकर सामने आई है। इस अवसर पर यशवंत व्यास ने अपने किताब से एक रोचक हिस्से का पाठ भी किया।


भवभूति के जीवन पर आधारित उपन्यास का हुआ लोकार्पण

अगले सत्र में वरिष्ठ कथाकार महेश कटारे के उपन्यास 'भवभूति कथा' और महेश कटारे के राजकमल प्रकाशन से पूर्व में प्रकाशित उपन्यास 'भर्तृहरि : काया के वन में' के बांग्ला अनुवाद का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर वरिष्ठ कवि लीलाधर मंडलोई ने कहा कि महेश जी के इस उपन्यास में भवभूति का जीवन बहुत ही बारीक विश्वसनीयता के साथ रचा गया है। इन्होंने भवभूति के जीवन के बारे में प्राप्त बहुत कम जानकारियों के सहारे अपने इस उपन्यास में न सिर्फ भवभूति बल्कि उनके समय को भी जिस कौशल के साथ उपस्थित किया है वह बेमिसाल है।


समाज की रूढ़ियों पर लिखने के कारण मिलती है तीखी प्रतिक्रियाएँ

कार्यक्रम के अगले सत्र में युवा कथाकार हुस्न तबस्सुम निहां के कहानी संग्रह 'गुलमोहर ग़र तुम्हारा नाम होता!' पर बातचीत हुई। इस अवसर पर धर्मेंद्र सुशांत से बात करते हुए हुस्न तबस्सुम निहां ने कहा कि मैं जिस समाज में रहती हूं या जिस समाज को जानती हूँ वहीं से अपनी कहानियाँ उठाती हूँ। मैं समाज में व्याप्त तमाम रूढ़ियों पर खुलकर लिखती रही हूँ, इसलिए कई बार इन कहानियों पर मुझे बहुत तीखी प्रतिक्रियाएं भी मिलती रही हैं। आगे उन्होंने कहा कि 'मेरी कोई भी कहानी काल्पनिक नहीं हैं। मेरे आस-पास जो भी घटित हुआ उन्हीं घटनाओं को मैंने कहानियों में पिरोया है़।


कैलाश सत्यार्थी की किताब ‘तुम पहले क्यों नहीं आए’ पर हुई परिचर्चा

'जलसाघर' में आज 'लेखक से मिलिए' सत्र में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी की पुस्तक 'तुम पहले क्यों नहीं आए' पर धर्मेद्र सुशांत ने उनसे बातचीत की। इस मौके पर कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि 'यह किताब अक्षरों और शब्दों में अब आपके बीच है़, लेकिन असल में इसकी रचना 30-40 सालों से चल रही थी। यह एक ऐसी यात्रा है़ जिसका मैं सहयात्री हूँ। यह किताब एक बदलाव की लड़ाई है़। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित ‘तुम पहले क्यों नहीं आए’ में दर्ज हर कहानी अँधेरों पर रौशनी की, निराशा पर आशा की, अन्याय पर न्याय की, क्रूरता पर करुणा की और हैवानियत पर इंसानियत की जीत का भरोसा दिलाती है।


कुन्दन यादव की कहानियों में बोलता है बनारस

बातचीत के इसी क्रम में कुन्दन यादव के कहानी संग्रह 'गँड़ासा गुरु की शपथ' पर मनोज कुमार पांडेय ने उनसे बातचीत की। इस संग्रह में संकलित कुन्दन यादव की कहानियों में बनारस बोलता है। ये कहानियाँ लिखी ही इसलिए और इस तरह गई हैं कि आप इन्हें सुनें। कुन्दन को बनारस की जिन्दगी के कुछ पहलुओं की, वहाँ के कुछ लोगों की दास्तान कहनी है। ठेठ बनारसी ठाठ के हँसमुख अन्दाज़ में कही गई ये कहानियाँ गुदगुदाती ज़रूर हैं, लेकिन केवल गुदगुदाने या मन बहलाने के लिए कही नहीं गई हैं। इन कहानियों में आप बनारस को तो 'सुनेंगे' ही, मानव स्वभाव और सम्बन्धों के उन पहलुओं को 'देख' भी सकेंगे जो रोज़मर्रा के जीवन में सामने आते हैं।


मोहन राकेश का जीवन उनकी रचनाओं में पाता है पूर्णता

अगले सत्र में जयदेव तनेजा की मोहन राकेश के जीवन पर केंद्रित किताब 'मोहन राकेश : अधूरे रिश्तों की पूरी दास्तान' का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर जयदेव तनेजा ने कहा कि एक तरह का अधूरापन मोहन राकेश की रचनाओं में भी है और जीवन में भी। उनकी ज्यादातर रचनाओं के अंत कहीं बीच में ही रुक जाते हैं। उन्हें हमेशा घर की तलाश रही। कहानियों और नाटकों में भी और जीवन में भी। पर यह भी है कि मोहन राकेश के बारे में ज्यादातर लोग जो जानते हैं वह सब कुछ मोहन राकेश की तरफ से आया है। मेरी कोशिश रही कि मोहन राकेश के साथ-साथ दूसरे पक्ष को भी सुना और रचा जाय। इसी क्रम में बात करते हुए राम गोपाल बजाज ने मोहन राकेश की स्मृति को नमन करते हुए कहा कि मोहन राकेश जी का जीवन उनकी रचनाओं में पूर्णता पाता है। उनकी रचनाएँ सदियों तक हमें पूर्ण बनाने का काम करती रहेंगी।


आपातकाल देश के इतिहास पर काला धब्बा है : सुदीप ठाकुर

'लेखक से मिलिए' कार्यक्रम के एक अन्य सत्र में पिछले साल राजकमल प्रकाशन से आई लेखक-पत्रकार सुदीप ठाकुर की किताब 'दस साल : जिनसे देश की सियासत बदल गई' पर धर्मेंद्र सुशांत ने उनसे बातचीत की। इस मौके सुदीप ठाकुर ने कहा कि 'आपातकाल इतिहास का काला धब्बा है़ जिसमें नागरिकों की आजादी छीन ली गई थी। आज के समय में नागरिक की आज़ादी को कैसे बचाएं यह समझने की जररूत है़।'


बिट्टू संधू कविता संग्रह 'सोनाशा' पर हुई बातचीत

आज के कार्यक्रम के एक अन्य सत्र में पंजाबी भाषा की मशहूर कवि बिट्टू सफ़ीना संधू के कविता संग्रह 'सोनाशा' पर मनोज कुमार पांडेय ने उनसे बातचीत की। बिट्टू सफ़ीना संधू मूल रूप से पंजाबी में कविताएँ लिखती हैं। 'सोनाशा' कविता संग्रह हिंदी में उनका दूसरा संग्रह है। उनकी कविताओं में प्रेम और भावनाओं का उदात्त रूप देखने को मिलता है। बातचीत के दौरान बिट्टू सफ़ीना संधू ने अपने कविता संग्रह से कुछ कविताओं का पाठ भी किया।


पंकज राग की किताब 'कैफ़े सिने संगीत' का हुआ लोकार्पण

कार्यक्रम के आखिरी सत्र में पंकज राग की किताब 'कैफ़े सिने संगीत' का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर रविकांत से बातचीत करते हुए पंकज राग ने कहा कि सिनेमा संगीत एक अथाह दुनिया है जिसमें न जाने कब तक डूबे रहा जा सकता है। किताब के बारे में पंकज राग ने कहा कि इसमें उनका कई दशकों का काम शामिल है। माझी गीतों पर किया गया उनका काम भी इस किताब में विशेष रूप से शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि फिल्म संगीत ऐसी चीज है जिस पर संगीत से गहरे लगाव और लगातार उसको सुने गुने बिना कोई काम नहीं किया जा सकता। बातचीत के दौरान पंकज राग ने फिल्म संगीत से जुड़े अनेक संगीतकारों और गायकों के बारे में अनेक रोचक संस्मरण सुनाए।


'तुम पहले क्यों नहीं आए' की हुई सर्वाधिक बिक्री

विश्व पुस्तक मेला में आज राजकमल प्रकाशन समूह के 'जलसाघर' में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी की किताब 'तुम पहले क्यों नहीं आए', 'सोफी का संसार', 'तुम्हारी औकात क्या है पीयूष मिश्रा', 'सम्पूर्ण दलित आंदोलन', 'पूरब की बेटियाँ', 'राहुल सांकृत्यायन : अनात्म बेचैनी का यायावर', 'भारत विभाजन के गुनहगार', 'दिव्या', 'किरकिरी' आदि पुस्तकों की सर्वाधिक बिक्री हुई।

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