सारण जिले के तरैया से विधायक और विपक्षी दल के मुख्य सचेतक जनक सिंह ने ग्रामीण विकास विभाग के अनुदान मांग पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि सरकार के द्वारा लाये हुए तृतीय अनुपूरक व्यय विवरणी पर जब हम पढ़ रहे थे तो उसमें देखा कि सरकार की इन मांगों का जो हाल है, यह अजब है और गजब ही गजब है। बजट की राशि इनकी खर्च नहीं हुई और विभागवार देखा जाय तो प्रतिशत बहुत कम है। यह सरकार विफल है क्योंकि इन्हें अपने खर्च का सही-सही अनुमान नहीं है। महोदय, भारत ग्राम प्रधान है। बिहार में 80 प्रतिशत से ज्यादा आबादी गांवों में रहती है। गांवों के बिना विकास हुए बिहार कभी भी विकसित राज्यों की श्रेणी में नहीं आ सकता है। महोदय, हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के नाम पर राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना जो अति महत्वाकांक्षी योजना है। इसमें राज्य के गरीबों को निश्चित रोजगार की गारंटी देती है। इसके लिए 2021-22 के लिए जो स्वीकृत 20 करोड़ मानव दिवस का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें 16 जनवरी, 2023 तक 19.68 करोड़ मानव दिवस सृजित किये गये हैं। महोदय, मनरेगा के तहत सभी पंचायत भवनों में रोजगार मांगने वाले लोगों के लिए पंजी रखी जानी है, लेकिन किसी भी पंचायत में रोजगार मांगने से संबंधी पंजी नहीं रखी जाती है। आज राज्य के अंदर मैं तो दावे के साथ कह रहा हूं सभी सदस्य यहां उपस्थित हैं। बिहार की किसी एक पंचायत को आप लेकर देखें क्या स्थिति है? मैं खुद अपने विधान सभा क्षेत्र के अंदर, इसुआपुर के अंदर एक रमचैरा पंचायत है, निपणिया पंचायत है। अगर इन दो पंचायतों को निकालकर आप देख लेंगे कि किस तरह से पदाधिकारी और अन्य लोगों की मिलीभगत से पैसे का बंदरबांट हो रहा है। मैंने तो इससे संबंधित अपने ग्रामीण विकास मंत्री जी को जो इस सदन के सत्ता पक्ष के जब मुख्य सचेतक थे, उनके साथ मैं सत्तारूढ़ दल में उप मुख्य सचेतक था। मैं दो-तीन दिन पहले बोला कि मैं बार-बार उठाया जिले में चाहे किसी प्रकार का कार्यक्रम हो, हमारे मुख्यमंत्री समाधान यात्रा के क्रम में गये थे जहां पर सभी वरिष्ठ पदाधिकारी थे, पूरे राज्य के सभी पदाधिकारी थे। मैं ने इन विषयों को रखा कि राज्य की यह स्थिति है। सोनपुर मेला में भी एक बैठक हुई थी, उसमें भी कहा था लेकिन यह क्या हो रहा है, वहां के हमारे जो प्रोग्राम आफिसर है, उसको वहां से हटाया गया। हमने कहा, हटाने की बात नहीं है उस पर कार्रवाई होनी चाहिए। चूंकि महात्मा गांधी जी के सपनों को साकार करने के लिए भारत सरकार या राज्य सरकार सभी इस दिशा में लगी हुई है, लेकिन किस तरह से इस पैसे का बंदरबांट हो रहा है। यहां तक की प्राक्कलन जो बनाते हैं कनीय अभियंता, उस प्राक्कलन को घोर रूप से फर्जी बनाकर किस तरह से पैसे का घोटाला किया जा रहा है। आखिर हम, चाहे वह पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी हों, चाहे हमारे समाजवादी नेता जो भी हैं, सबका एक ही लक्ष्य है कि गांव के गरीब गुरबा, किसान, मजदूरों की बात होनी चाहिए। उनके सुख-दुख में भाग लेना चाहिए और सरकार को चाहे वह राज्य सरकार हो, केन्द्र सरकार हो उसके हित में कुछ करना चाहिए लेकिन राज्य के अंदर यह क्या हो रहा है खुलेआम पैसे लूटे जा रहे हैं। महोदय, आपके माध्यम से सरकार से कहना चाहता हूं कि इस विषय पर सर्वसम्मति से निर्णय हम लें कि कैसे इन मजदूरों के हित में हम काम कर सकते हैं? मैं यह उल्लेख करना चाहूंगा कि ग्रामीण विकास विभाग जैसे महत्वपूर्ण जन सरोकार वाला विभाग हमेशा जदयू के कोटे में रहा है। आप जरा देखिये उनके कोटे में रहा है और किसी भी लक्ष्य को इसकी प्राप्ति नहीं की गई है, चाहे वह मनरेगा के तहत मानव दिवस सृजन का लक्ष्य हो या जल जीवन हरियाली के अंतर्गत पौध रोपन का लक्ष्य हो। महोदय, यह राज्य के अंदर क्या हो रहा है, हर विभाग में चले जाइए, ऐसा कोई विभाग नहीं है, सब जगह पर लूट मची हुई है आखिर किसके लिए।
---- वीरेंद्र यादव न्यूज ----
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