- जन सुराज पदयात्रा: 171वां दिन, सारण के मशरख में प्रशांत किशोर का नीतीश-तेजस्वी पर हमला, बोले
महागठबंधन सरकार में हत्या, लूट, डकैती, रंगदारी जैसे मामले हर दिन सुनने को मिल रहे
जन सुराज पदयात्रा के दौरान मशरख प्रखंड में मीडिया संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि पदयात्रा के दौरान पिछले 2 महीने से कानून व्यवस्था को लेकर लोगों की चिंता के बारे में सबसे ज्यादा सुनने को मिल रहा है। जब चंपारण से पदयात्रा शुरू हुई थी तब एक दो लोग कहते थे कि महागठबंधन के सत्ता में आने के बाद कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। लेकिन पिछले दो-ढाई महीने से जब से पदयात्रा सिवान पहुंची उसके बाद से मैं ये लगातार सुन रहा हूँ। छपरा में तो हर गाँव में लोग इस बात को बता रहे हैं और बिगड़ती हुई कानून व्यवस्था के बारे में बात कर रहे हैं। लोग बता रहे हैं कि महागठबंधन सरकार में हत्या, लूट, डकैती, रंगदारी जैसे मामले बढ़ गए हैं। यह डर अब जमीन पर दिखना शुरू हो गया है।
अगले 10 सालों में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल होगा बिहार, प्रशांत किशोर ने कहा जन सुराज के माध्यम से बना रहे हैं योजना
जन सुराज पदयात्रा के दौरान मशरख प्रखंड में मीडिया संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार के लोगों को जाकर बता रहे हैं कि बिहार से गरीबी दूर करनी है तो शिक्षा, कृषि और रोजगार पर वोट करना होगा। अब वोट आप चाहे जिसको भी कीजिए, जब वोट मुद्दों पर होगी तो आपकी स्थिति अपने आप सुधार जाएगी। मुद्दों पर वोट करने के लिए लोगों के पास विकल्प नहीं है। इस परेशानी के लिए जन सुराज एक ऐसी व्यवस्था बनाने की कोशिश कर रहा है जिसमे समाज की मदद से विकल्प बनाया जाए। ऐसे लोगों को खोजकर निकाला जाए जो लोगों को लगे कि ये सही विकल्प हो सकता है। इससे भी ज्यादा जरूरी है कि जो लोग जीत कर आ रहे हैं उनके पास अपनी जमीन से जुड़ी एक सोची समझी योजना भी होनी चाहिए। जन सुराज का उद्देश्य है कि आने वाले 10 सालों में बिहार को 10 अग्रणी राज्यों में शामिल कराने के लिए शिक्षा के क्षेत्र में, रोजगार के क्षेत्र में, चिकित्सा के क्षेत्र में सुधार के लिए एक योजना होनी चाहिए, ताकि बिहार का सुधार हो सके।
बिहार में पिछले 10 सालों में केवल 13 प्रतिशत धान और 1 प्रतिशत गेहूं ही समर्थन मूल्य पर खरीदा गया है, इससे किसानों का 20-25 हजार करोड़ का नुकसान
प्रशांत किशोर ने किसानों की समस्या पर बात करते हुए कहा कि बिहार में किसानों को फसल का सही दाम नहीं मिल पाना किसानों की सबसे बड़ी समस्या है। किसानों से बात करने पर 90 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने धान को 1200 से 1500 प्रति क्विंटल की दर से बेचा है। जबकि धान का सरकारी समर्थन मूल्य है 2050 रुपया। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि यहाँ समर्थन मूल्य पर खरीद की कोई व्यवस्था नहीं है। इस वजह से लोगों को अपना फसल कम दाम पर बेचना पड़ रहा है। पिछले 10 वर्ष के आंकड़ों का हवाला देते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार मे सिर्फ 13 प्रतिशत धान और केवल 1 प्रतिशत गेंहू ही समर्थन मूल्य पर खरीदा गया है। जब हम बिहार के किसानों की तुलना पंजाब के किसानों से करते है तो देखने योग्य ये है कि पंजाब में 70 प्रतिशत गेंहू और धान समर्थन मूल्य पर खरीदे जाते हैं। बिहार के किसानों का इससे जो आर्थिक नुकसान हो रहा है उसका आंकलन किया जाए तो फसल का सही मूल्य नहीं मिलने के कारण किसानों को 20 से 25 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है।
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