पटना : मानहानी केस में राहुल गांधी को मिली सजा को लेकर आज कांग्रेस को सपोर्ट करने के लिए महागठबंधन नेताओं ने विरोध मार्च निकाला। यह मार्च बिहार विधानसभा मेन गेट से सदन के पोर्टिको तक निकाला गया और इसमें तेजस्वी की राजद समेत महागठबंधन की लगभग सारी पार्टियां शामिल रही। लेकिन महागठबंधन के प्रमुख घटकों में से एक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू इस मार्च से अलग रही। महागठबंधन के मार्च से जदयू का इस तरह किनारा करने से सियासी अटकलों का फ्रेश दौर शुरू हो गया है। महागठबंधन के मार्च के लिए कांग्रेस ने कौल दी थी जिसमें इसके नेताओं ने विधानसभा परिसर में बैनर-पोस्टर लेकर राहुल को हुई सजा का विरोध जताया। मार्च के दौरान महागठबंधन के नेताओं ने खूब नारेबाजी भी की और सदन के अंदर भी जोरदार हंगामा हुआ। लेकिन यहां सदन के भीतर भी जदयू के सदस्य चुप रहे और राहुल के साथ खड़े होने में उन्होंने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश राहुल के साथ खड़ा होने से इसलिए परहेज कर रहे हैं कि वे उनको अपने खुद के लिए विपक्ष के पीएम कैंडिडेट मामले में एक बड़ा रोड़ा मान रहे हैं। कांग्रेस के साथ नहीं खड़ा होकर नीतीश ने फिर एक तीर से दो निशाने साध लिया। एक तो राजद को साफ संकेत दे दिया कि उन्हें विपक्ष के पीएम कैंडिडेट से इतर कुछ भी मंजूर नहीं। दूसरे नीतीश ऐसा करके एनडीए में अपनी वापसी का रास्ता भी खुला रखना चाह रहे हैं। अब देखना है कि आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति का ऊंट किस करवट महागठबंधन के भविष्य को बैठाता है।
शुक्रवार, 24 मार्च 2023
बिहार राहुल गांधी के समर्थन में उतरे तेजस्वी
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