- वन अधिकार व पेसा के प्रभावी क्रियान्वयन की मांग से जंगल सत्याग्रह का समापन
- अंतिम व्यक्ति को न्याय दिलाने का माडल छत्तीगढ़ सरकार पेश करे- राजगोपाल पी व्ही
एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक रमेश शर्मा ने आयोजन समिति की ओर से तैयार किए गए मांग पत्र को पढ़ा जिसे सभी ने स्वीकार किया। जंगल सत्याग्रह के प्रमुख मांगों में वनाधिकार मान्यता कानून 2006 के तहत निरस्त किये गये समस्त दावो (व्यक्त्गित व सामुदायिक) का ग्राम स्तरीय वनाधिकार समिति के स्तर पर अविलंब सुनवाई प्रांरभ करने, ग्राम स्तरीय वनाधिकार समिति के द्वारा स्वीकृत व अनुशंसा किये गये समस्त प्रस्तावों पर (जिनको उपखण्ड व जिला स्तरीय वनाधिकार समिति के द्वारा अस्वीकृत दावों) अविलम्ब कार्यवाही करते हुए पात्र दावेदारों को वनअधिकार पत्र देने, दावा से छूट गये समस्त दावेदारों के दावा पत्र की ग्राहयता के लिए व्यवस्थित अभियान चलाकर स्वीकार करने और आदिवासी व समस्त वनवासियों पर 30 दिसम्बर 2022 तक पंजीकृत अपराध प्रकरणों को वापस लेने और जब्त की गयी उनकी समस्त सामग्रियों हल, बक्खर, कुल्हाड़ी इत्यादि को ससम्मान वापस करने, सामुदायिक निस्तार के लिए ग्राम सभा को सामुदायिक वनाधिकार देने, ग्राम सभा के हितों और अधिकारों को ध्यान में रखते हुए पेसा कानून के नियम में संषोधन और सुपोषित छत्तीसगढ़ के लिए समस्त आदिवासी व वंचित व गरीब समुदाय की 15 से 49 वर्ष की महिलाओं और बालिकाओं के पोषण सुरक्षा के लिए एक हजार रूपये की पोषण सहायता राषि (मध्यप्रदेष व राजस्थान की तर्ज पर) देने की मांग की गयी है। जंगल सत्याग्रह के अंतिम दिन प्रदेश के सामाजिक कार्यकर्ता गौतम बंदोपाध्याय और मनरेगा के लोकपाल कृष्ण कुमार सिन्हा और स्थानीय विधायक के प्रतिनिधि लखन धुर्वे ने संबोधित किया।आयोजन समिति के सदस्यों और विभिन्न जिलों में वन अधिकार पर सत्याग्रह का नेतृत्व प्रदान करने वाले आदिवासी नेता महिला-पुरूषों को शॉल और श्रीफल देकर सम्मािनत किया गया।
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