DeshajTimes.Com यह संस्कार है। इसमें हवा की ताकत है। सूरज सी गर्मी। चांद सी खूबसूरती तो चांदनी सी शीतलता भी। यह आग भी है। धधकता शोला भी। तपिश से किसी को झुलसा देने की हिम्मत भी। झुककर उसकी उपलब्धि पर इतराने की दिलकश अदा भी। हम सोचते हैं, लिखते हैं, आगे बढ़ते हैं, बिना यह सोचे कोई मेरे पीछे है या बहुत दूर चलते थक चुका है। हम वृक्ष हैं। सदैव खड़े रहेंगे। हमेशा घने होकर बड़े होते रहेंगे। हम बेसहारा, असहायों की छांह भी बने हैं। हम मांगते नहीं, देने में विश्वास करते उस पथ पर अग्रसर हैं, जहां सिर्फ अग्नि-जल-वायु है। उसकी तेज है, झुलसा देने की नस्तर है, झोकें में उड़ा देने की हिम्मत तो गहराई में छुपा लेने की ताकत भी। मगर, तय मानिए, हम थकेंगे कभी नहीं। हम रुकेंगे कभी नहीं। हम मुड़ेंगे कभी नहीं। यही हमारा, हमारी ताकत है, यही देशज की शपथ है। पत्रकारिता के बेपर्द होते चरित्र। पाठकों से लयात्मक तारतम्य का टूटता रिश्ता। पाठकों के मंच को खरीदने की बेवजह होती, दिखती कोशिश। अखबारों की घटती साख। सच स्वीकारने, लिखने की कहीं नहीं दिखती चाहत, प्रवृत्ति। कॉरपोरेट जगत की दखल अंदाजी। अखबारों पर बढ़ता दबाव। यही है, आज की पत्रकारिता जिससे उबरना समय की मांग है। उस समय की जो चुनौतियों से भरा है। यह उन पाठकों, जनता या फिर उन आम लोगों की जरूरतों के लिए जरूरी है जो सुबह सबसे पहले अखबार टटोलने की आदी बन चुके हैं। पाठक मजबूर हैं। पाठक चाहकर भी बोल नहीं सकते। आप ही देखिए, अखबारी चरित्र कुछ यूं आपके सामने है जहां, संपादकीय पृष्ठ से पाठक मंच का खात्मा करने की नापाक कोशिश साफ दिख रही है। देशज को यह सब कतई मंजूर नहीं। पाठक हमारे सबसे अहम हिस्सा हैं। उस हिस्सेदारी के बगैर हमारा वजूद कुछ भी नहीं। मगर दु:खद यही, उस वजूद को ही खरीदने, मिटाने, नष्ट करने पर आज आमादा कौन है वही अखबार समूह जो आज गुणात्मक अभिव्यक्ति के बदले बाजारी औजार से उस पाठक वर्ग में छेद करते सामने हैं। पत्रकारिता मिशन को आवाम के साथ जोड़े रखने की देशज की जिद आज उस तंत्र की सबसे बड़ी जीत बनकर सामने साफ दिखाई दे रहा जहां एक स्वतंत्र पाठकों का समूह देशज की अनवरत खबरों के साथ संतुष्ट है। एक ऐसा अखबार जो आपके मोबाइल तक खबरों की शुरूआत दिन शुरू होने के साथ रात होने तक अनवरत सबसे पहले पहुंचाने की ठान ली है। देश ही नहीं, संपूर्ण बिहार की खबरों के लिए अब कहीं जाने की जरूरत नहीं। दरभंगा, मधुबनी की बेहतरीन, ताजातरीन खबरों को समेटे देशज टाइम्स अब एक ऐसा पाठकीय मंच बनकर तैयार है जिसके आज 3.2Mn से अधिक पाठक हैं। बीस जुलाई 2018 को देशज की शुरूआत हुई थी।
बिहार के वरिष्ठ पत्रकार मनोरंजन ठाकुर
लोकोदय प्रकाशन ( लखनऊ ) से प्रकाशित ईमान डोल जाएंगें के लेखक, प्रसिद्ध ब्लॉगर ( नवभारत टाइम्स, दैनिक जागरण, बीबीसी ), पत्रकारिता ( दिल्ली से बिहार तक ) से तीस वर्षों का जुड़ाव। सफल नाटककार, अभिनेता, निदेशक। विभिन्न अखबारों ( राष्ट्रीय सहारा नई दिल्ली, अक्षर भारत साप्ताहिक नई दिल्ली, जन संदेश हरियाणा, जनाधार भारती, साप्ताहिक नई दिल्ली, हिंदुस्तान, दरभंगा, दैनिक जागरण भागलपुर-दरभंगा, प्रभात खबर, दरभंगा, दैनिक भास्कर, दरभंगा ) में बतौर चीफ सब एडिटर, सिटी इंचार्ज, संवाददाता के साथ कई पत्रिकाओं में बतौर संपादक कार्य। नाट्य विधा में राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण व अन्य पुरस्कारों से सम्मानित। नुक्कड़ नाटक के लिए कई क्षेत्रिय पुरस्कारों से सम्मानित। आकाशवाणी दरभंगा और दिल्ली में बतौर उद्घोषक व नाट्य विभाग से जुड़ाव। बेस्ट ब्लॉगर सम्मान से लेकर विश्वस्तरीय ब्लॉगर प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ सम्मान से सम्मानित। भागलपुर दंगा के दौरान दिशा जन संस्कृति मंच के तहत बतौर संयोजक, कई नुक्कड़ नाटकों के अभिनेता, निदेशक के रूप में कार्य, इप्टा भागलपुर के बैनर तले बतौर, अभिनेता, संगीतकार के तौर पर जुड़ाव, शांति निकेतन विवि कोलकाता, मदुरै कामराज विवि में देश स्तरीय नाट्य प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार से सम्मानित।
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