- 22 साल से जेल में बंद वृद्ध व बीमार टाडाबंदियों की रिहाई की मांग पर पटना में भाकपा-माले का धरना, माले विधायकों सहित टाडाबंदियों के परिजन धरना में हुए शामिल
पटना 28 अप्रैल, 22 सालों से जेल में बंद टाडाबंदियों के परिजन आज पटना पहुंचे और वीरचंद पटेल स्थित विधायक आवास के परिसर में भाकपा-माले द्वारा आहूत एक दिवसीय धरना में शामिल हुए. पीड़ित परिजनों ने मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार से पूछा है कि आखिर उनके साथ अन्याय क्यों किया गया? 14 साल सजा की अवधि काट चुके लोगों को तो छोड़ दिया गया लेकिन 22 साल से जेल में बंद टाडाबंदियों को रिहा नहीं किया जाना हमारे साथ अन्याय है. धरना में भाकपा-माले के विधायकों के साथ-साथ पार्टी के वरिष्ठ नेतागण भी शामिल हुए. टाडाबंदियों के परिजनों ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि उनके साथ न्याय किया जाए. 14 टाडाबंदियों में अबतक 6 की मौत जेल में ही हो चुकी है. एक टाडाबंदी त्रिभुवन शर्मा को 2020 में पटना उच्च न्यायालय के आदेश से रिहा भी किया जा चुका है, लेकिन शेष 6 टाडाबंदी - जगदीश यादव, चुरामन भगत, अरविंद चैधरी, अजित साव, श्याम साव और लक्ष्मण साव अब भी जेल में ही हैं. इन सभी के परिजन आज के धरना कार्यक्रम में शरीक हुए. टाडाबंदी जगदीश यादव की पत्नी पुष्पा देवी ने धरना को संबोधित करते हुए कहा कि उनके पति को गलत तरीके से टाडा में फंसाया गया था. वे पटना में डाॅक्टरी का काम करते थे. उनके जेल जाने के बाद हमारा पूरा परिवार बिखर गया. जगदीश जी की उम्र 70 साल की हो चुकी है. हम उम्मीद कर रहे थे कि उनका आखिरी जीवन हमारे साथ गुजरेगा लेकिन सरकार ने हमें निराश किया है. अन्य टाडाबंदी सोहराई चैधरी के पुत्र टेमी चैधरी, महंगू चैधरी की बहू कोसमी देवी, बालेश्वर चैधरी की पत्नी रामरति देवी और अरविंद चैधरी की पत्नी फूलना देवी भी धरना में शामिल हुए. दिवंगत टाडाबंदी शाह चांद की पत्नी जमीला खातून व पुत्र शाह चांद, दिवंगत माधव चैधरी की पत्नी शिवसति देवी और एक मात्र रिहा किए टाडाबंदी त्रिभुवन शर्मा भी आज के कार्यक्रम में शामिल हुए. आज के सांकेतिक धरना में माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, उपनेता सत्यदेव राम, अरूण सिंह, अरवल विधायक महानंद सिंह, फुलवारी विधायक गोपाल रविदास, संदीप सौरभ, मनोज मंजिल, रामबलि सिंह यादव, सुदामा प्रसाद, वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता के अलावा ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, शशि यादव, वरिष्ठ पार्टी नेता केडी यादव आदि नेतागण भी शामिल हुए तथा धरने को संबोधित किया. मौके पर विधायक दल नेता महबूब आलम ने कहा कि बिहार सरकार ने हाल ही में 14 वर्ष से अधिक की सजा काट चुके 27 कैदियों की रिहाई का आदेश जारी किया, लेकिन यह रिहाई चुनिंदा लोगों की हुई है. 14 साल वाले को रिहा किया जा रहा है लेकिन 22 साल वालों को नहीं, यह कहीं से न्यायोचित नहीं है. सभी टाडाबंदी दलित-अतिपिछड़े समुदाय के गरीब-गुरबे हैं. सरकार उनकी रिहाई की गारंटी करे. अरवल विधायक महानंद सिह ने कहा कि हमारी पार्टी ने भदासी कांड के टाडाबंदियों की रिहाई के सवाल पर विगत दिनों मुख्यमंत्री से दो-दो बार मुलाकात की थी. विदित हो कि 1988 की एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना में 14 निर्दोष लोगों को फंसा दिया गया था और उनके ऊपर जनविरोधी टाडा ऐक्ट उस वक्त लगाया गया जब वह पूरे देश में निरस्त हो चुका था. फिर 2003 में सभी को आजीवन कारावास की सजा भी सुना दी गई. इन टाडाबंदियों ने 22 साल से अधिक की सजा काट ली है. सबके सब बूढ़े व बीमार हैं और इसकी प्रबल संभावना है कि उसमें कुछ और मौतें हो जाए. 6 में तीन फिलहाल हाॅस्पीटल में भर्ती हैं. हम आज के धरना के कार्यक्र के माध्यम से 22 साल से जेल में बंद टाडाबंदियों की रिहाई के सवाल पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने और उनकी रिहाई की मांग दुहराई है.
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