पूर्वी चंपारण जिले के 6 विधान सभा क्षेत्रों को मिलकार बना है पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट। परिसीमन के बाद से इस सीट पर भाजपा के राधामोहन सिंह लगातार सांसद हैं। वे केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं। उनका लंबा संसदीय जीवन है। राजनीतिक गलियारे में चर्चा के अनुसार, अब वे राजनीतिक यात्रा के अंतिम पड़ाव पर हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में टिकट मिलने को लेकर संशय बरकरार हैं। ऐसी स्थिति में भाजपा के अंदर ही कई दावेदार सुगबुगा रहे हैं। जबकि महागठबंधन में इस सीट को लेकर कुछ स्पष्ट नहीं है। इस लोकसभा सीट के तहत हरसिद्धि से कृष्णनंदन पासवान, गोविंदगंज से सुनील मणि तिवारी, पिपरा से श्यामबाबू यादव और मोतिहारी से प्रमोद कुमार भाजपा के विधायक हैं, जबकि कल्याणपुर से मनोज कुमार यादव राजद के और केसरिया से शालिनी मिश्रा जदयू की विधायक हैं। प्रमोद कुमार राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। पूर्वी चंपारण लोकसभा क्षेत्र में मोतिहारी और केसरिया का खास ऐतिहासिक महत्व है। मोतिहारी के चंद्ररहिया में किसानों के लिए आंदोलन के क्रम में 1917 में महात्मा गांधी को पहली बार गिरफ्तार किया गया था। मोहितारी के आसपास के इलाके को ही गांधी जी ने अपना कर्मक्षेत्र बनाया। शिक्षा और समाज सुधार की प्रयोग भूमि भी चंपारण को ही बनाया और इसके बाद से उनके कार्यों का देश व्यापी विस्तार हुआ। केसरिया में विश्व का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप है। यहां देश-विदेश के पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं। इस संबंध में वरिष्ठ पत्रकार राकेश प्रवीर कहते हैं कि केसरिया में आने वाले पर्यटकों के लिए नागरिक सुविधाओं का घोर अभाव है। इस कारण वहां पयर्टकों के लिए ठहरना संभव नहीं होता है। केसरिया में ही विश्व प्रसिद्ध राममंदिर बनवाया जा रहा है। केसरनाथ महादेव मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है। पूर्वी चंपारण जिले में समाजवादी आंदोलन कभी मजबूत नहीं रहा है। कांग्रेस नेता केदार पांडेय, कम्युनिस्ट नेता कमला मिश्र मधुकर और पितांबर सिंह का यह इलाका कार्यक्षेत्र था। कांग्रेस के पराभव के बाद उस क्षेत्र में भाजपा अपनी मजबूत जड़ जमाने में सफल रही। पूर्वी चंपारण के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि सांसद राधामोहन सिंह का उत्तराधिकारी कौन होगा। यदि उनका टिकट कटता है तो टिकट का नया दावेदार कौन हो सकते हैं। भाजपा के चार विधायकों में से स्थानीय समीकरण और सामाजिक रूप से कोई मजबूत दावेदार नहीं दिख रहे हैं। इस सीट के लिए भाजपा राजपूत के बदले राजपूत उम्मीदवार ही तलाश करेगी। वैसे में मधुबन के विधायक और पूर्व मंत्री राणा रणधीर सिंह मजबूत दावेदार हो सकते हैं। उनके पिता सीताराम सिंह भी सांसद रह चुके हैं और राजद सरकार में मंत्री भी रहे थे। इसके अलावा पार्टी के पास संगठन के पदाधिकारी भी सीट के दावेदार हो सकते हैं। जहां तक राजद और जदयू की दावेदारी की बात है तो कल्याणपुर के विधायक मनोज कुमार यादव राजद की ओर से दावेदार हो सकते हैं तो केसरिया की विधायक शालिनी मिश्रा भी जदयू की ओर से दावेदार हो सकती हैं। मनोज यादव के पिता यमुना यादव कई बार विधायक रह चुके हैं तो शालिनी मिश्रा के पिता कमला मिश्र मधुकर सांसद रह चुके हैं। 2019 में इस सीट से कांग्रेस सांसद और प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह के पुत्र आकाश कुमार सिंह कांग्रेस के उम्मीदवार थे। स्थानीय समीकरण और जातीय गणित के हिसाब से लगता है कि 2024 में पूर्वी चंपारण की लड़ाई नेताओं की संतानों के बीच ही होने वाली है। टिकट के लिए पार्टी के अंदर और गठबंधन की आपसी लड़ाई भी रोचक हो सकती है।
पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र
वर्ष --- जीते --- पार्टी --- जाति --- हारे --- पार्टी --- जाति
2009 --- राधामोहन सिंह --- भाजपा --- राजपूत --- अखिलेश सिंह --- राजद --- भूमिहार
2014 --- राधामोहन सिंह --- भाजपा --- राजपूत --- विनोद श्रीवास्तव --- राजद --- कायस्थ
2019 --- राधामोहन सिंह --- भाजपा --- राजपूत --- आकाश कुमार सिंह --- कांग्रेस --- भूमिहार
—बीरेंद्र यादव न्यूज़ —
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