- 300 प्रखंडों पर हुआ प्रदर्शन, भाकपा-माले विधायकों ने अपने इलाकों में किया नेतृत्व
- टाडाबंदियों और शराबबंदी कानून के तहत जेलों में बंद दलित-गरीबों की रिहाई भी मांग उठाई.
- बकाया बिजली की माफी हो, 200 यूनिट फ्री बिजली की व्यवस्था करे केंद्र : राज्य सरकार
पटना 27 अप्रैल, जो जहां बसे हैं, उसका मुकम्मल सर्वे कराकर नया वास-आवास कानून बनाने, टाडा बंदियों और शराबबंदी कानून के तहत जेलों में बंद दलित-गरीबों की रिहाई की केंद्रयी मांग पर आज खेग्रामस के बैनर से बिहार के लगभग 300 प्रखंडों पर दलित-गरीबों का आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन हुआ. इन प्रदर्शनों में भाकपा-माले के सभी 12 विधायकों ने अपने विधानसभा क्षेत्रों में प्रदर्शन का नेतृत्व किया. खेग्रामस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व विधायक सत्यदेव राम ने कहा कि महागठबंधन सरकार को नया वास-आवास कानून पर गंभीरता से विचार करना होगा. सरकार कहती है कि बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए एक भी गरीब का घर नहीं उजाड़ा जाएगा, लेकिन आज पूरे राज्य में बरसो बरस से बसे दलित-गरीबों को उजाड़ा जा रहा है. राज्य में बुलडोजर राज की भाजपाई संस्कृति रोकनी होगी. बिहार के दलित-गरीब महागठबंधन सरकार से ऐसी ही उम्मीद करते हैं. संगठन के महासचिव धीरेंद्र झा ने कहा कि आज का प्रदर्शन ऐतिहासिक रहा. बुलडोजर राज के खिलाफ यह बिहार के दलित-गरीबों के आक्रोश की अभिव्यक्ति है. उन्होंने कहा कि हाउसिंग राइट को मौलिक अधिकार का दर्जा देने, मनरेगा की मजदूरी 600 रुपए करने, दलित-गरीबों का बकाया बिजली बिल माफ करने, केंद्र व राज्य सरकार द्वारा 200 यूनिट फ्री बिजली देने की व्यवस्था करने के सवाल पर यह प्रदर्शन किया गया. उन्होंने कहा कि बिहार की महागठबंधन सरकार दलित-गरीबों के सवालों पर उदासीन है. बिहार में सबसे कम मनरेगा मजदूरी है, और वृद्धों-विकलांगों-महिलाओं का पेंशन भी. दलित-गरीबों और महिलाओं-बच्चियों पर बढ़ते हमले के प्रति भी सरकार असंवेदनशील है. भूख, गरीबी और कर्ज के दुष्चक्र में फंसकर आत्महत्याओं का दौर शुरू हो गया है लेकिन ये सवाल सरकार की चिंता में शामिल नही है. प्रदर्शन में कैदियों की रिहाई के सवाल पर बिहार सरकार द्वारा अपनाई गई अपारदर्शी नीतियों व चुनिंदा रिहाई के सवाल पर भी विरोध दर्ज किया गया. नेताओं ने 22 साल से जेल में बंद टाडाबंदियों की अविलंब रिहाई की भी मांग उठाई. साथ ही, शराबबंदी कानून के तहत जेलों में बंद दलित-गरीबों को भी अविलंब रिहा करने की मांग की. सभी दलित-गरीबों,मजदूरों-महिलाओं को न्यूनतम 3000 रुपए मासिक पेंशन की गारंटी करने, केंद्र सरकार द्वारा उज्ज्वला गैस की शुरुआती कीमत पर रसोई गैस की आपूर्ति करने, खाद्य पदार्थों को जीएसटी के दायरे से बाहर करने, जन वितरण प्रणाली के तहत तेल, दाल, मसाले और चीनी की आपूर्ति करने, शिक्षा व स्वास्थ्य के निजीकरण पर रोक लगाने, महाजनी-संस्थागत ऋण की माफी, गरीबों को बिना जमानत के 5 लाख तक का ब्याज रहित लोन की व्यवस्था करने; ब्लॉक, बैंक और थाने के भ्रष्टाचार पर रोक लगाने आदि मांगें भी उठाई गईं. प्रदर्शन में विधायक सत्यदेव राम के अलावा अमरजीत कुशवाहा, वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, महानंद सिंह, अरूण सिंह, मनोज मंजिल, गोपाल रविदास, रामबलि सिंह यादव, संदीप सौरभ, अजीत कुशवाहा, सुदामा प्रसाद आदि अपने संबंधित विधानसभा क्षेत्र में शामिल हुए.
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