मधुबनी : सुमित कुमार ने किया अपना 45वाँ रक्तदान, पेश कर रहे मिसाल - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 24 मई 2023

मधुबनी : सुमित कुमार ने किया अपना 45वाँ रक्तदान, पेश कर रहे मिसाल

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जयनगर/मधुबनी, माँ अन्नपूर्णा रक्तरक्षक,जयनगर के सदस्य, पेशे से पत्रकार सह समाजसेवी सुमित कुमार राउत ने किया 45वाँ रक्तदान, शरीर दान करने का भी लिया संकल्प, लोगों के लिए बने प्रेरणास्रोत। मधुबनी जिले के जयनगर निवासी सुमित कुमार राउत ने बीते 22मई को अपने संस्था माँ अन्नपूर्णा रक्त रक्षक, जयनगर एवं जिले का सबसे बड़ा एवं लोकप्रिय चर्चित न्यूज़ पोर्टल जयनगर लाइव के छठे स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर अपने जीवन का 45वीं रक्तदान किया। ऐसा करके वो लोगों के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बन चुके हैं। इससे पहले वो 44बार अपने जीवन मे रक्तदान कर चुके हैं। समाजसेवी रक्तदान कर आम लोगों को रक्तदान की अहमियत के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे है। जयनगर शहर निवासी समाजसेवी सह युवा पत्रकार सुमित कुमार राउत पूरे जिले के लिए प्रेरणा बने हुए हैं। वे अब तक 45 बार रक्तदान कर चुके हैं। सुमित राउत व उनके साथियों ने सिर्फ मधुबनी में नहीं बल्कि दिल्ली, पटना, दरभंगा, सीतामढ़ी, जयनगर अन्य महानगरीय क्षेत्रों के अस्पतालों में भर्ती मरीजों को रक्तदान कर उनका जीवन बचाया है। उन्होंने बताया कि यह इनका 45वां रक्तदान है, और वो 2009 से ही रक्तदान कर रहे हैं। पर 2014 से नियमित हर तीन या चार महीने पर रक्तदान करते हैं। उन्होंने रक्तदान कर लोगों से भी अपील किया कि आगे आकर जरूरतमंद लोगों की मदद करें। उन्होंने कहा कि हर दान से बढ़कर श्रेष्ठ है रक्तदान, क्योंकि जब हम अपना रक्त दान करते हैं, तब हम जीवन से संघर्ष करने वाले एक पीड़ित इंसान की जान बचाते हैं। इसलिए रक्तदान करके किसी के चेहरे पर मुस्कान लाने का नेक काम जरूर करें।


रक्तदान करने से कई तरह की बीमारियां नहीं होने का लाभ मिलता है, जिसमे रक्तचाप, डायबेटिज, हार्ट अटैक मुख्य है। बता दे की पिछले वर्ष में भी समाजसेवी युवा सुमित कुमार राउत के द्वारा एक बुजुर्ग महिला की जान रक्तदान करके बचाया गया था। अभी तक कई लोगों को रक्तदान करके उन्होंने जीवन बचाया है। इस मौके पर उन्होंने बताया कि रक्तदान के लिए धन या ताकत की जरूरत नहीं होती है। रक्तदान महादान होता है धीरे-धीरे लोग इसका महत्व समझने लगे हैं, और रक्तदान के प्रति जागरूकता का माहौल भी देखने को मिल रहा है। फिर भी बहुत सारे जिनको अभी रक्तदान करने से डर लगता है, तो हमारा कर्तव्य है कि उन्हें जागरूक करें। यह भावना जन-जन तक पहुंचानी चाहिए कि रक्तदान महादान है। इससे लाखों लोगों की जिदगी बच सकती है। सुमित कुमार राउत ने बताया कि रक्तदान को ले एक माँ अन्नपूर्णा सेवा समिति के बैनर तले माँ अन्नपूर्णा रक्तरक्षक नाम से एक समूह बनाया गया है, जिसमें किसी को भी रक्तदान की जरूरत होने पर सम्पर्क कर सकता है। उसे समूह के सदस्य या जनपहचान वाले किसी व्यक्ति को जिस ग्रुप का रक्त की जरूरत होता है, उस ग्रुप का सदस्य रक्तदान करने के लिए स्वयं आगे आते हैं। अभी तक सैकड़ों लोगों को समूह के डोनर कार्ड के माध्यम से रक्त की मदद किया गया है। आगे भी समूह का यही उद्देश्य है कि अधिक से अधिक लोगों की जिदगी बचाया जाए। इस मौके पर उन्होंने बताया कि हमारे द्वारा किया गया रक्तदान कई जिंदगियों को बचाता है। इस बात का अहसास हमें तब होता है, जब हमारा कोई अपना खून के लिए जिंदगी और मौत के बीच जूझता है। उस वक्त हम नींद से जागते हैं, और उसे बचाने के लिए खून के इंतजाम की जद्दोजहद करते हैं। अनायास दुर्घटना या बीमारी का शिकार हममें से कोई भी हो सकता है। आज हम सभी शिक्षि‍त व सभ्य समाज के नागरिक है, जो केवल अपनी नहीं बल्कि दूसरों की भलाई के लिए भी सोचते हैं, तो क्यों नहीं हम रक्तदान के पुनीत कार्य में अपना सहयोग प्रदान करें और लोगों को जीवनदान दें। बता दें कि इससे पहले वो कई बार रक्तदान शिविर भी आयोजित कर चुके हैं, साथ ही रक्तदान के क्षेत्र में इनका परिवार भी अछूता नही है। इनके परिवार के सदस्यों ने भी कई बार रक्तदान कर चुके हैं। आपको बता दें कि इससे पहले 44 बार रक्तदान कर लोगों की जान बचा चुके हैं, साथ ही उन्होंने अपना शरीर भी मरणोपरांत देने की घोषणा कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि मैं बराबर रक्तदान करता रहा हूं। मैं चाहता हूं कि नई पीढ़ी इस रक्तदान में आगे आए, लोगों की मदद करे और जीवन बचाएं। लोगों की जिंदगी बचाकर मुझे जो खुशी मिलती हैं, उसे मैं बयां नहीं कर सकता। एक बार आपका किया गया रक्तदान तीन लोगों की जिंदगियों को बचा सकता हैं। आपके द्वारा किया गया रक्तदान किसी की जिंदगी बचा सकता हैं। इस मौके पर उन्होंने बताया कि रक्तदान के लिए धन या ताकत की जरूरत नहीं होती हैं। रक्तदान महादान होता है धीरे-धीरे लोग इसका महत्व समझने लगे हैं, और रक्तदान के प्रति जागरूकता का माहौल भी देखने को मिल रहा है। फिर भी बहुत सारे जिनको अभी रक्तदान करने से डर लगता है, तो हमारा कर्तव्य है कि उन्हें जागरूक करें। यह भावना जन-जन तक पहुंचानी चाहिए कि रक्तदान महादान है। इससे लाखों लोगों की जिंदगी बच सकती है। बता दें की कोरोना काल मे भी निर्भीक होकर दरभंगा, मधुबनी में जाकर इन्होंने जरूरतमंद मरीजों के लिए रक्तदान किया हुआ है।

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