- भाकपा-माले और आदिवासी संघर्ष मोर्चा की टीम पहंुची अररिया के बेलगच्छी
- जिला प्रशासन ने 500 आदिवासी-महादलित भूमिहीन परिवारों को जमीन खाली करने की थमाई है नोटिस
- बुलडोजर भाजपाई संस्कृति की पहचान, बिहार सरकार इस पर रोक लगाए: वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता
पटना 16 मई, भाकपा-माले और आदिवासी संघर्ष मोर्चा की एक उच्चस्तरीय जांच टीम ने आज अररिया जिला के रानीगंज प्रखंड के बेलगच्छी गांव का दौरा किया जहां हाल ही में जिला प्रशासन ने लंबे अरसे से बसे 500 आदिवासी - महादलित परिवारों को जमीन खाली करने का आदेश दिया है. इस टीम का नेतृत्व भाकपा-माले के सिकटा से विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता कर रहे थे. स्थानीय लोगों से मिलने के उपरांत कॉमरेड वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि बंजर व जंगल की जमीन को एक समय में यहां के आदिवासी गरीबों ने अपनी मिहनत से आबाद किया था. कायदे से उनका लगान निर्धारण होना चाहिए था और उन्हें उस जमीन का अधिकार अब तक मिल जाना चाहिए था, लेकिन सरकारों की लापरवाही के कारणा आज उन्हें बेदखली का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने आगे कहा कि एक तो सीलिंग के मामले में सरकार गरीब भूमिहीनों को पार्टी नही बनाती और लगभग हर ऐसे मामले में न्यायालयों में हारने के ही उदाहरण रहे हैं ताकि जमींदारों को फायदा पहुंचाया जा सका. यह प्रवृति अभी भी बनी हुई है. भूमि संबंधी मामलों में कानूनी छिद्रों का इस्तेमाल कर जमींदार न्यायालय से आदेश हासिल कर लेते हैं और गरीबों को बेदखल कर देते हैं. यह बिहार में आम बात हो गई है. बेलगच्छी की 341 एकड़ सीलिंग वाली जमीन पर सीलिंगवाद के खिलाफ छोटन शेख नाम के एक जमीदंार न्यायालय चले गए और न्यायालय से फैसला भी उनके हक में आ गया. जबकि आदिवासियों के पूर्वज उस जमीन पर लंबे समय से चास-वास करते आ रहे हैं. ऐसी प्रवृति पर रोक लगाने के लिए भाकपा-माले लंबे समय से कानून बनाने की मांग करती रही है, लेकिन इस दिशा में आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. बेलगच्छी की 341 एकड़ सीलिंग वाली जमीन की तरह साढ़े तीन लाख एकड़ जमीन अररिया जिला में है जिसे जमींदारों व भूमाफियाओं ने कब्जा कर रखा है. हमारी मांग है कि ऐसी जमीन को जमींदार व भूमाफिया के कब्जे से मुक्त कराकर उसे गरीब-भूमिहीनों के बीच वितरित किया जाए. महागठबंधन सरकार इस मामले में त्वरित कदम उठाए. जांच टीम में अररिया जिला सचिव कॉमरेड रामविलास यादव, राज्य कमिटी सदस्य मुख्तार, तल्लू हंसदा, बाबूलाल मरांडी, अभिराम हंसदा, रमेश हंसदा, राजेश हंसद , चानो ऋषिदेव, हलीमा खातून, रोना देव ,रामेश्वर ऋषिदेव, जितेंद्र पासवान, आजाद आलम, अजीत पासवान मौजूद थे.
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