- जिले में 1 से 15 जून 2023 तक संचालित होने वाले "सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा" के सफल आयोजन के लिए डीएम ने किया बैठक।
मधुबनी, जिलाधिकारी अरविन्द कुमार वर्मा की अध्यक्षता में आज समाहरणालय स्थित सभाकक्ष में जिले में 1 से 15 जून 2023 तक संचालित होने वाले "सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा" के सफल आयोजन के लिए बैठक आयोजित हुई। बैठक के दौरान कार्यक्रम के नोडल पदाधिकारी डॉ शैलेंद्र कुमार विश्वकर्मा द्वारा जिलाधिकारी को समूचे कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि डायरिया मूल रूप से स्वच्छता के आभाव में फैलता है। दूषित पानी पीने या दूषित भोजन करने से यह सबसे तेजी से फैलता है। उन्होंने बताया कि अति संवेदनशील क्षेत्रों जैसे, झुग्गी झोपड़ी, कठिन पहुंच वाले क्षेत्र, बाढ़ प्रभावित क्षेत्र, निर्माण कार्य में लगे मजदूर के परिवार आदि एवं छोटे गांव, टोला, बस्ती, छोटे कस्बों जहां साफ-सफाई एवं साफ पानी की आपूर्ति नहीं होती है, वहां इसके फैलने की आशंका सबसे अधिक पाई जाती है। यह पांच वर्ष से कम आयूवर्ग के बच्चों में सबसे अधिक फैलता है। डॉक्टर विश्वकर्मा ने बताया कि सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के अंतर्गत ग्रामीण व शहरी सभी क्षेत्रों में कुछ सामुदायिक गतिविधियां सुनिश्चित की गई हैं। जिसमें 5 वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों के घरों में ओआरएस पैकेट का वितरण सुनिश्चित किया जाना है। परिवार के सदस्यों को ओ आर एस घोल बनाना सिखाना एवं इसके उपयोग की विधि और इससे होने वाले लाभ की जानकारी भी देनी है। उन्होंने कहा कि दस्त होने के दौरान बच्चों को जिंक का उपयोग उसकी उम्र के अनुसार 2 माह से 6 माह तक आधी गोली (10 मिलीग्राम) एवं 7 माह से 5 वर्ष तक एक गोली (20 मिलीग्राम) आवश्यक रूप से दिया जाए। दस्त बंद हो जाने के उपरांत भी जिंक की खुराक कुल 14 दिनों तक जारी रखनी है। जिंक का उपयोग करने से दस्त की तीव्रता में कमी आ जाती है एवं अगले दो से तीन महीने तक दस्त एवं निमोनिया होने की संभावना कम हो जाती है। जिनका ओ आर एस के उपयोग के उपरांत भी यदि दस्त ठीक ना हो तो, बच्चे को फौरन नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाएं। उन्होंने बताया कि दस्त के दौरान अथवा दस्त के बाद भी बच्चे की आयु के अनुसार स्तनपान, ऊपरी आहार तथा भोजन जारी रखना चाहिए। बैठक के दौरान उपस्थित अधिकारियों को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि 1 से 15 जून तक मनाए जाने वाले सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा का व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए। इसको सफल बनाने में आंगनवाड़ी सेविका/ सहायिकाओं के साथ साथ आशा कार्यकर्ताओं, जीविका दीदियों और शिक्षकों की भूमिका भी बेहद अहम है। चूंकि इस पखवाड़ा को मनाए जाने के पीछे का उद्देश्य जिले में दस्त के कारण होने वाले शिशु मृत्यु दर को शून्य करना है। ऐसे में जागरूकता सबसे अहम किरदार निभा सकती है। उन्होंने कहा कि ओ आर एस का घोल और जिंक का टैबलेट घर पर भी दिया जा सकता है। साथ ही रोज मर्रा के जीवन में कुछ मामूली सावधानियों से जाने बचाई जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि साफ पानी पीने और खाने से पहले हाथ अनिवार्य रूप से धोने से डायरिया की बीमारी पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित किया जा सकता है। साथ ही, खुले में शौच की आदत छोड़ कर शौचालय के उपयोग से इसके फैलने से रोका जा सकता है। उन्होंने निर्देश देते हुए कहा कि समूचे पखवाड़े के दौरान न केवल ओ आर एस और जिंक की खुराक का वितरण किया जाए बल्कि, स्वच्छता को अपनाने से होने वाले फायदे की जानकारी भी साझा की जाए। उन्होंने इस दौरान सभी स्वास्थ्य उपकेंद्रों के माध्यम से सभी पंचायतों तक ओ आर एस और जिंक की गोलियां पर्याप्त संख्या में उपलब्ध कराए जाने के निर्देश भी दिए हैं। उक्त बैठक में सिविल सर्जन, डॉ ऋषिकांत पांडेय, एस एम सी यूनिसेफ, प्रमोद कुमार झा, डी सी एम नवीन कुमार दास, डब्लू एच ओ से संजीव राव, केयर से अभिनंदन एवं अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
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