बता दें कि दुनिया भर के अधिकतर देशों में प्रेस की स्वतंत्रता पर सवाल उठाए जाते हैं, क्योंकि लोकतांत्रित देश में प्रेस की स्वतंत्रता को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के रूप में परिभाषित किया जाता है। मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। यह वह स्तंभ है जो विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को मिलाकर त्रिस्तरीय व्यवस्था में उत्तरदायित्व को संतुलित और निश्चित करता है। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस को प्रेस स्वतंत्रता के मूल्य और दुनिया भर में पत्रकारों को उनके काम में आने वाली कठिनाइयों और उनके परिश्रम की सराहना करने के लिए मनाया जाता है। यदि बात पड़ोसी देश श्रीलंका की करें तो श्रीलंका ने भी मीडिया की स्वतंत्रता के मामले में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं और प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में अपने स्थान को पिछले वर्षों की तुलना में और अधिक मजबूत किया है। मालूम हो कि वर्ष 2022 में इस सूचकांक में श्रीलंका 146वें पायदान पर था, लेकिन 2023 में यह 135वें स्थान पर आ गया है। आपको बता दें कि नॉर्वे, आयरलैंड और डेनमार्क की तिकड़ी ने प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में शीर्ष तीन पदों पर अपना कब्जा बरकरार रखा है, जबकि वियतनाम, चीन और उत्तर कोरिया ने सूचकांक के निचले स्तर पर अपना स्थान बनाया है। आपको बता दें कि यूनेस्को के एक साधारण सम्मेलन में की गई सिफारिशों के बाद वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की घोषणा की गई थी।
गौरतलब हो कि प्रत्येक वर्ष प्रेस की स्वतंत्रता की वैश्विक रैंकिंग जारी होता है। आरएसएफ एक अंतरराष्ट्रीय एनजीओ है, जिसका उद्देश्य मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा करना और उसे बढ़ावा देना है। इस संगठन का मुख्यालय पेरिस में स्थित है, इसे संयुक्त राष्ट्र के साथ सलाहकार का दर्जा प्राप्त है। हर साल जारी किए जाने वाले विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक का उद्देश्य, पिछले कैलेंडर वर्ष में 180 देशों और क्षेत्रों में पत्रकारों और मीडिया द्वारा प्राप्त प्रेस स्वतंत्रता के स्तर की तुलना करना है। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स प्रेस की स्वतंत्रता को “राजनीतिक, आर्थिक, कानूनी और सामाजिक हस्तक्षेप से स्वतंत्र और उनकी सार्वजनिक हित में समाचारों का चयन, प्रकाश और प्रसार करने के लिए व्यक्तियों और सामूहिक रूप से पत्रकारों की क्षमता” के रूप में परिभाषित करता है। आरएसएफ द्वारा 180 देशों और क्षेत्रों में परिवर्तन का मूल्यांकन पर यहां साल 2013 की तुलना 2023 की मौजूदा स्थितियों से की जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2013 में विश्व भर के 180 देशों में करीब 26 देश अच्छी स्थिति में, 27 देश संतोषजनक स्थिति में, 69 देश समस्याग्रस्त स्थिति, 38 देश मुश्किल स्थिति में और करीब 20 देश बहुत गंभीर स्थिति में थे। वर्ष 2023 यानि की इन 10 वर्षों में इन स्थितियों में बदलाव आया है। वर्ष 2023 में केवल 8 देश अच्छी स्थिति में हैं, वहीं 44 देश संतोषजनक स्थिति में, 55 देश समस्याग्रस्त स्थिति, 42 देश मुश्किल स्थिति में और करीब 31 देश बहुत गंभीर स्थिति में हैं।
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