बिहार : पलायन केवल गरीबों की समस्या नहीं, शिक्षा और रोजगार के लिए भी बाहर जाना पड़ता है - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 14 मई 2023

बिहार : पलायन केवल गरीबों की समस्या नहीं, शिक्षा और रोजगार के लिए भी बाहर जाना पड़ता है

Bihar-palayan
जन सुराज पदयात्रा के दौरान समस्तीपुर में पत्रकार वार्ता के दौरान बेरोज़गारी और पलायन पर बोलते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में लगभग में 2 हजार गांव में पैदल चल चुका हूं। इस आधर पर मैं आपको बता सकता हूं कि गांव में 50 प्रतिशत युवा मज़दूरी या पढ़ाई की वजह से अपने घर, गांव और यहां तक कि पंचायत से बाहर ही रह रहे हैं। गांव में युवा मिलते ही नहीं है, गांव में अधिकतर बच्चें, महिला और बूढ़े लोग ही मिलते हैं। लोग समझते हैं कि पलायन गरीबों का मुद्दा है लेकिन ये गलत है। पलायन मध्यमवर्गीय और समृद्ध परिवारों के लिए भी उतना ही बड़ा मुद्दा है जितना गरीबों के लिये है। जो गरीब व्यक्ति है वो मज़दूरी के लिये पलायन करते हैं लेकिन मध्यमवर्गीय और समृद्ध परिवार के बच्चों को भी पढ़ाई और नौकरी के लिए बाहर जाना पड़ता है। इस समस्या से जो एक बड़ी बात समझ आती है वह यह है कि बिहार में परिवार के एक साथ रहने की जो परिकल्पना है वो ख़त्म हो गई है।

कोई टिप्पणी नहीं: