- आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को केंद्र की सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए
- पदयात्राओं, नुक्कड़ सभाओं आदि के जरिए संविधान व लोकतंत्र बचाने को चलेगा गांव-गांव अभियान
- भाजपा के खिलाफ दलित व मुस्लिम समुदाय और लोकतंत्र पसंद सभी ताकतों की एकता समय की मांग
राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि यह अचानक नहीं है कि हनुमंत कथा के दौरान कोई बाबा हिन्दुओं को माला के साथ-साथ भाला हाथ में लेकर चलने का आह्वान करते हैं. यह भाला किसलिए? जाहिर सी बात है कि यह हिंसा फैलाने की कोशिश है. आज मुसलमानों को देश में दोयम दर्जे का नागरिक बनाया जा रहा है और दलितों की एक नई श्रेणी खड़ी की जा रही है. दलित व मुस्लिम समुदाय की व्यापक एकता के साथ-साथ तमाम लोकतांत्रिक ताकतों को एक साथ मिलकर भाजपा के खिलाफ मोर्चा लेना होगा, तभी भाजपा रूपी विपदा से देश मुक्ति पा सकेगा. यह आज के समय की मांग है. एक महीने के राज्यव्यापी अभियान के पहले पखवाड़े में ग्रामीण बैठकें आयोजित की जाएंगी और फिर दूसरे पखवाड़े में पदयात्राओं व नुक्कड़ सभाओं के जरिए बिहार में भाजपाइयों की साजिश को बेनकाब किया जाएगा. अभियान के दौरान सांप्रदायिक उन्माद-उत्पात व डॉ. अंबेडकर की मूर्तियों को निशाना बनाने से लेकर शिक्षा-रोजगार, आवास, स्वास्थ्य, एमएसपी, मनरेगा में काम, निजीकरण पर रोक, खाद्य सुरक्षा की गारंटी आदि मुद्दों को भी प्रमुखता से उठाया जाएगा. इसी अभियान के दौरान जमीनी स्तर पर पार्टी ढांचों को कारगर व मजबूत बनाने के लिए हरेक बूथ पर पार्टी ब्रांच का गठन किया जाएगा. जहां पहले से ब्रांच हैं, उनका पुनर्गठन किया जाएगा. पंचायत स्तर पर गठित सभी लोकल कमिटियों को आगामी 28 जुलाई पुनर्गठित करने का लक्ष्य लिया गया है. आइसा, ऐपवा, इंसाफ मंच, स्कीम वर्कर, किसान महासभा, खेग्रामस आदि संगठनों के राज्य सम्मेलन आने वाले दिनों में होने वाले हैं. इन संगठनों की सदस्यता दुगुनी करने का भी लक्ष्य लिया गया है. 25 जून को पटना में इंसाफ मंच का राज्य सम्मेलन होगा, जिसमें व्यापक पैमाने पर दलित-मुस्लिम समुदाय की भागीदारी का आह्वान किया गया है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें