तकनीकी युग पर लोगों की सोच पुरानी,
कहते हैं महिला मशीनों से डरती है,
क्योंकि वह जानकार नहीं, समझदार नहीं
मशीनरी दुकानों पर भी पुरुषों का राज है,
महिलाओं का दिमाग घुटनों में है,
इस कहावत पर करते वो नाज हैं,
शरीर के साथ -साथ मशीन की भी संरचना,
जेंडर में बांट दी गई है आज,
महिला स्कूटी वाहिका और पुरुषों की मोटर कार,
बदलाव के वाद-विवाद होते रहते है हर बार,
समानता से अधिक समता की जरूरत है,
पता नहीं कब समझेगा ये समाज,
डरती नहीं मैं बिजली की तारों से,
तकनीकी शिक्षा दें रहीं है मेरा साथ,
निडरता से चलाती हूं कंप्यूटर हो या हवाई जहाज,
समुद्र की गहराइयों सी जानकारी है मेरी,
विचार मेरे छूते आसमान,
बांध नहीं पाएगा अब कोई बंधन मुझको,
उड़ जाऊंगी हर पिंजरा तोड़ कर,
डिजिटल पंख है मेरे पास
डिजिटल उड़ान है मेरे पास।
शुभांगनी सूर्यवंशी
केकड़ी, राजस्थान
चरखा फीचर
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