- मोक्ष नगरी काशी में शवदाह के लिए चिताओं की लग रही लंबी कतार, प्रचंड गर्मी के कारण शहर से लेकर देहात तक के बाजारों में कर्फ्यू जैसा नजारा, 3 से 4 घंटे ही हो रही खरीदारी, एसी कूलर सब बेकार, बिजली कटौती से आम जनजीवन परेशान
- भीषण गर्मी में जहां मनुष्य व जानवर से लेकर पशु पक्षी बिलबिला रहे हैं, पेड़ पौधे और फल भी इसकी जद में आने लगे हैं, पेड़ों में आम अपने पूरे आकार में आने के बजाय सिकुड़ने जैसी समस्या का शिकार हो रहे है
स्थिति यह है कि गंगा घाटों पर पूरी रात चिता की आग शांत नहीं हो रही है। इधर, जिला अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष, इमरजेंसी वार्ड सहित अन्य वार्डों में कूलर और एसी लगवाए गए हैं। डॉक्टरों, पैरा मेडिकल की टीम तैनात है। मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इसके बाद मरीजों को कुछ राहत मिल रही है। चिकित्सक लोगों को हीट स्ट्रोक से बचाव के उपाय बता रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि गर्मी को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन करते रहे। पानी वाले फलों का सेवन करें। खाली पेट रहना खतरनाक हो सकता है। जरूरी हो तभी घर से निकले। थोड़ी सी भी परेशानी होने पर तत्काल विशेषज्ञ चिकित्सक से सलाह लें। झोलाछाप जान भी ले सकते हैं। बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें। उधर, श्मशान घाट के व्यवसायियों की मानें तो आम तौर पर सामान्य दिनों में 50 से 80 शवों की अंत्येष्टि होती है। लेकिन, मौसम के इस बदलाव ने मौतों की संख्या अचानक बढ़ा दी है। बनारस के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट से लेकर हरिश्चंद्र समेत अन्य श्मशान घाटों पर शवों की संख्या बढ़ी हैं। यहां शव लेकर आने वालों को दो से तीन घंटे इंतजार के बाद ही शव जलाने का मौका मिल रहा है। सभी घाटों पर सामान्य दिनों की तुलना में ज्यादा चिताएं पहुंच रही हैं। इस कारण लकड़ी के लिए लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। शहर से लेकर गांव तक गंगा किनारे स्थित अन्य श्मशान घाटों पर भी यही हाल है। माना जा रहा है कि भीषण गर्मी में चल रही गर्म हवाएं जानलेवा बनी हैं। शायद यही वजह है कि मृतकों की संख्या बढ़ी है। मेडिकल विशेषज्ञ बताते हैं कि हमारे शरीर की रक्त संचार प्रणाली, तापमान का मुख्य नियामक है। जब आप गर्म महसूस करते हैं, तो रक्त वाहिकाएं फैल जाती हैं ताकि उनमें से अधिक रक्त प्रवाहित हो सके। इससे त्वचा में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है, जिससे अतिरिक्त गर्मी निकल जाती है। इसी तरह जब आप ठंडा महसूस करते हैं, तो रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं। मतलब अगर इस परिसंचरण की प्रक्रिया में कोई समस्या हो जाती है तो वह इस बात को प्रभावित कर सकती है कि हमें किस हद तक गर्म या ठंडा महसूस हो सकता है?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें