मेरे सपने कुछ ऐसे थे।
जिनको मैं पूरा करना चाहती थी।।
मगर वो सपने पूरे न हो सके।
मेरे सपने अधूरे रह गए।।
सपने देख देख कर थक गई।
मगर पूरा न कर सकी।।
जिंदगी में कुछ करने का था।
पर उसमें हुई रोक।।
दुनिया में ऐसे लोग।
जो सपने पर लगाते रोक।।
ताने सुन सुन कर मैं थक गई।
फिर भी सपने दूर न कर सकी।।
मेरे सपने भी कुछ ऐसे थे।
जिनको पूरा करना चाहती थी।।
सरोज
चोरा, कपकोट
बागेश्वर, उत्तराखंड
चरखा फीचर
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