कविता : मेरे सपनो की दुनिया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 9 जून 2023

कविता : मेरे सपनो की दुनिया

मेरे सपने कुछ ऐसे थे।

जिनको मैं पूरा करना चाहती थी।।

मगर वो सपने पूरे न हो सके।

मेरे सपने अधूरे रह गए।।

सपने देख देख कर थक गई।

मगर पूरा न कर सकी।।

जिंदगी में कुछ करने का था।

पर उसमें हुई रोक।।

दुनिया में ऐसे लोग।

जो सपने पर लगाते रोक।।

ताने सुन सुन कर मैं थक गई।

फिर भी सपने दूर न कर सकी।।

मेरे सपने भी कुछ ऐसे थे।

जिनको पूरा करना चाहती थी।।







Saroj-charkha-feature

सरोज  

चोरा, कपकोट

बागेश्वर, उत्तराखंड

चरखा फीचर

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