विशेष : 31 साल 10 महीने बाद आएं फैसले में उम्रकैद के साथ एक लाख रुपये का जुर्माना - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 5 जून 2023

विशेष : 31 साल 10 महीने बाद आएं फैसले में उम्रकैद के साथ एक लाख रुपये का जुर्माना

Mukhtar-ansari-convicted-after-31-years
वाराणसी (सुरेश गांधी) पूर्वांचल में जिस माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के इशारे पर सरकारें अपना फैसला बदल लेती थीं, सोमवार को उसी मुख्तार को अवधेश राय हत्याकांड मामले में विशेष न्यायाधीश (एमपी-एलएलए) अवनीश गौतम की अदालत ने दोषी करार देते हुए उम्रकैद और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना अदा न करने पर मुख्तार को छह महीने की अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। मुख्तार द्वारा अब तक जेल में बिताई गई अवधि आजीवन कारावास की सजा की अवधि में समायोजित की जाएगी। इस केस में मुख्तार अंसारी सहित पांच लोग आरोपी हैं. यह फैसला 31 साल 10 महीने बाद आया है। हालांकि पुलिस की चार्जशीट, लंबी जिरह और गवाही के बाद अवधेश राय हत्याकांड में फैसले तक काफी जद्दोजहद करना पडा है. मुख्तार अंसारी इस समय बांदा जेल में बंद है. इससे पहले उसे अधिकतम 10 साल की सजा मिली थी। बीते आठ महीने 15 दिन में उसे छह मुकदमों में सजा सुनाई जा चुकी है। लगातार छठवीं सजा के साथ ही माफिया मुख्तार अंसारी पर कानूनी शिकंजा और कस गया है। अवधेश राय कांग्रेस नेता अजय राय के भाई है. आरोप है कि मुख्तार अंसारी ने अवधेश राय हत्याकांड की मूल केस डायरी गायब करा दी थी. इसे लेकर मुख्तार के खिलाफ केस भी दर्ज है. कोर्ट का फैसला आने के बाद अजय राय ने कहा, “उनका 32 साल का इंतजार आज खत्म हो गया। इस दौरान फैसले को देखते हुए प्रशासन द्वारा पूरे कचहरी परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया था। अभियोजन पक्ष के अनुसार, अवधेश राय की हत्या तीन अगस्त 1991 को चेतगंज थाना इलाके के लहुराबीर इलाके में हुई थी. सुबह के वक्त उस दिन हल्की बारिश हो रही थी और अवधेश राय अपने छोटे भाई और वर्तमान कांग्रेस नेता अजय राय के घर के बाहर खड़े थे. उसी वक्त वहां मारुती वैन आई और उस वैन से लोग बाहर निकले. उन लोगों ने अवधेश राय पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई. गोलियों की आवाज के आसपास का पूरा इलाका गूंज उठा था. घायलावस्था में उन्हें पास ही निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई. इस हत्याकांड के बाद पूर्व विधायक अजय राय ने चेतगंज थाने में मुख्तार अंसारी, भीम सिंह, कमलेश सिंह, राकेश के साथ पूर्व एमएलए अब्दुल कलाम पर एफआईआर दर्ज कराई थी. हालांकि नामजद पांच आरोपियों में अब्दुल और कमलेश की मौत हो चुकी है. जबकि मुख्तार 17 वर्षों से जेल में है। मऊ दंगे के बाद मुख्तार अंसारी ने 25 अक्तूबर 2005 को गाजीपुर में आत्म समर्पण किया था और वहीं की जिला जेल में दाखिल हुआ था। जिसके बाद भाजपा के तत्कालीन विधायक कृष्णा नंद राय की हत्या हो गई। तभी से माफिया जेल में बंद है। तब से लेकर अब तक उस पर 25 गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज हुए हैं। इनमें से आठ मुकदमे हत्या के आरोप से संबंधित हैं। मुख्तार अंसारी के खिलाफ हत्या का आखिरी मुकदमा बीते जनवरी महीने में 22 वर्ष पुराने उसरी चट्टी हत्याकांड को लेकर दर्ज किया गया। उसरी चट्टी हत्याकांड में मारे गए ठेकेदार मनोज राय के पिता शैलेंद्र राय ने मुख्तार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।


वसूली के चक्कर में हुई थी अवधेश राय की हत्या

अवधेश राय की हत्या के पीछे चंदासी कोयला मंडी की वसूली और अवधेश राय की दबंगई हत्या की मुख्य वजह मानी जाती रही है. बताया जाता है कि अवधेश राय बृजेश सिंह के करीबी थे और अपनी दबंग छवि के चलते चंदासी कोयला मंडी जहां मुख्तार अंसारी का एकछत्र राज चलता था, उस कोयला मंडी से लेकर वाराणसी के तमाम व्यापारियों और बाजारों से मुख्तार अंसारी की वसूली में अवधेश राय अड़ंगा बन गए थे. इस कोयला मंडी पर कब्जे के लिए ही मुख्तार अंसारी पर आरोप लगा कि उसने मंडी कब्जाने के लिए ही नंदकिशोर रूंगटा अपहरण और हत्याकांड को अंजाम दिया था. मुख्तार अंसारी की हो रही अवैध वसूली में अवधेश राय अपनी दबंगई के चलते वाराणसी के व्यापारियों में मुख्तार अंसारी से टक्कर लेने वालों में गिने जाने लगे थे. मुख्तार अंसारी के कई करीबियों को अवधेश राय ने सरे बाजार बेइज्जत भी किया था. यही वजह थी 3 अगस्त 1991 को दिनदहाड़े मुख्तार अंसारी ने अपने चार अन्य साथियों के साथ मिलकर अवधेश राय की उनके घर के सामने ही हत्या कर दी थी.


मुश्किल में है डॉन का कुनबा

इन दिनों मुख्तार के किए की सजा पूरा परिवार भुगत रहा है। मऊ से विधायक बेटा अब्बास अंसारी चित्रकूट जेल में है। उसकी पत्नी निखत अंसारी भी जेल में है। पत्नी आफ्शा अंसारी फरार चल रही है। उस पर इनाम घोषित किया जा चुका है। छोटा बेटा उमर अंसारी भी फरारी काट रहा है। उसके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी हो चुका है। बड़ा भाई अफजाल अंसारी सजा काट रहा है।


राजनीतिक संरक्षण में बना माफिया

30 जून 1963 को जन्म लेने वाला मुख्तार अंसारी गाजीपुर के यूसुफपुर का निवासी है। अपराध की दुनिया में पहली बार उसका नाम वर्ष 1988 में हरिहरपुर के सच्चिदानंद राय हत्याकांड से सामने आया था। कुछ ही वर्षों में ही पूर्वांचल की तमाम हत्याओं और ठेकेदारी में मुख्तार का नाम खुलेआम लिया जाने लगा। सत्ता और प्रशासन का संरक्षण मिलने से मुहम्मदाबाद से निकलकर मुख्तार अंसारी अपराध की दुनिया में बड़ा नाम हो गया। करीब 40 साल पहले राजनीति में कदम रखने वाला मुख्तार देखते ही देखते प्रभावशाली नेता बन गया। विधानसभा में पूर्वांचल की मऊ सीट से लगातार लोगों की पहली पसंद बनकर पांच बार विधायक बना। कहते है जब उस पर कानूनी शिकंजा कसा जाने लगा तो वह अपने को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मुख्तार अहमद अंसारी का पोता बताया था। मुख्तार अंसारी मूल रूप से मखनू सिंह गिरोह का सदस्य था, जो 1980 के दशक में काफी सक्रिय था। अंसारी का यह गिरोह कोयला खनन, रेलवे निर्माण, स्क्रैप निपटान, सार्वजनिक कार्यों और शराब व्यवसाय जैसे क्षेत्रों में लगा हुआ था। अपहरण, हत्या व लूट सहित अन्य आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देता था। जबरन वसूली का गिरोह चलाता था। मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर में सक्रियता ज्यादा थी। 20 से भी कम की उम्र में मखनू सिंह गिरोह में शामिल होकर मुख्तार अपराध की सीढ़ियां चढ़ता रहा। जमीन पर कब्जा, अवैध निर्माण, हत्या, लूट, सहित अपराध की दुनिया के कुछ ही ऐसे काम होंगे, जिनसे मुख्तार का नाम न जुड़ा हो। उसकी विधायकी भी जेल में बीती है। मऊ सदर सीट से तीन बार लगातार वर्ष 2002 से 2017 तक विधायक रहा, लेकिन इस दौरान वह जेल से बाहर नहीं आया। इस दौरान वह जेल में रहते हुए वह चुनाव लड़ा और विधायक बना। वर्ष 1996 में बसपा के टिकट पर जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचने वाले मुख्तार ने 2002, 2007, 2012 और फिर 2017 में भी बसपा के टिकट पर मऊ सदर सीट से जीत हासिल की। इनमें से 2007, 2012 और 2017 के चुनाव उन्होंने जेल में रहते हुए लड़ा।


बाबाराज में एक-एक कर ढहता रहा किला

बीते छह वर्षों में अपराध की दुनिया से खड़ा आर्थिक साम्राज्य एक‘-एक कर ढह रहा है। इस दौरान उसके न सिर्फ गुर्गे मारे मुठभेड़ में ढेर हुए, बल्कि कई आपसी गैंगवार में मारे गए। आर्थिक क्षति भी पहुंचायी गयी। मुख्तार अंसारी व उसके गैंग के गुर्गे के अवैध जमीन पर प्रशासन ने बुलडोजर चलाया है. उस जमीन की कीमत करीब 150 करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है. इसके अलावा जेल में बंद मुख्तार अंसारी की लगभग 127 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति का पता लगाया गया है, विभाग इन संपत्तियों की कुर्की करने का अभियाप चलाया हुआहै।


केस डायरी गायब करने का है आरोप

केस की सुनवाई के दौरान जून 2022 में पता चला कि मूल केस डायरी ही गायब है। वाराणसी से प्रयागराज तक केस डायरी की तलाशी हुई। मूल केस डायरी नहीं मिली। इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज कराया है। मूल केस डायरी के गायब कराने के मामले में मुख्तार अंसारी पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने का आरोप लगा। इस प्रकरण की सुनवाई पहले बनारस के एडीजे कोर्ट में चल रही थी। 23 नवंबर 2007 को सुनवाई के दौरान अदालत से चंद कदमों की दूरी पर बम ब्लास्ट हुआ। आरोपी राकेश न्यायिक ने सुरक्षा का हवाला देकर हाईकोर्ट की शरण ली। इसके बाद लंबे समय तक इस मुकदमे की सुनवाई पर रोक लगी रही। विशेष न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट का गठन होने पर प्रयागराज में मुकदमे की सुनवाई फिर शुरू हुई। वाराणसी में एमपी-एमएलए की विशेष कोर्ट के गठन होने पर यहां मुख्तार अंसारी के खिलाफ सुनवाई शुरू हुई। राकेश न्यायिक और भीम सिंह की पत्रावली अभी भी प्रयागराज में ही लंबित है।

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