कविता : आंगन की कलियां - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 17 जून 2023

कविता : आंगन की कलियां

चाहे फूलों से कितनी भी महक क्यों न आती हो,

एक मीठी सी मुस्कान है बेटी,

बेटी खुद को दिया वो तोहफा है,

जो सौभाग्य से पैदा होती है,

जो मां की परछाई और पिता का ख्वाब होती है,

खिलती हुई कलियाँ है बेटियां,

जो जिंदगी की असली महक होती है,

मां बाप के आह पर रोती है,

इस दुनिया में सबसे प्यारी एक बेटी होती है।।




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दीक्षा बोरा

गरुड़, उत्तराखंड

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