यूं तो संतान किसी की गलत नहीं होती और कोई भी माता-पिता उसे गलत राह पर जाने की शिक्षा नहीं देंगे| एक चोर उचक्का इंसान भी अपनी औलाद को अच्छे संस्कार देने की कोशिश करता है और वह है यह अवश्य सोचता है कि मैं जो कर रहा हूं वह मेरे बच्चे ना करें मैं तो इन बच्चों के पेट पालने के लिए यह चोरी चकारी कर रहा हूं किंतु मेरे बच्चे अच्छी शिक्षा पाए और अच्छे सरकारी पद या किसी भी अच्छे उच्च पद पर आसीन हो हर माता-पिता की यही ख्वाहिश रहती है कि उसकी संतान बहुत अच्छे विचारों वाली और बहुत नाम कमाने वाली हो और जिसे उसका सर भी ऊंचा हो सके यूं तो सारे बच्चे अच्छे होते हैं बचपन में, किंतु माता-पिता के अलावा समाज भी हमारा ऐसा है वह बढ़ते बच्चों को गलत दिशा में ले जाता है क्योंकि समाज में जहां पर अच्छे-अच्छे लोग हैं ,वहीं पर कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो आपका भला नहीं चाहते और आपकी औलाद को उल्टे सीधे तरीके से सिखाकर गलत राह में ले जाना चाहते हैं। और आपके लिए एक दुश्मन का कार्य करते हैं और उसमें कोई कोर कसर नहीं छोड़ते और आपकी संतानों को आप के विरुद्ध भड़काते हैं। और यह चाहते हैं कि आप जिस पथ पर अपने संतति को ले जाना चाह रहे हैं वह कामयाब ना हो पाए और भ्रष्टाचार के गर्त में ऐसे बच्चे चले जाते हैं और गलत दिशा में हो जाते हैं। और उद्देश्य हिना हो जाते हैं और ऐसे बच्चे जब उद्देश्य हीन हो जाते हैं तो वह गलत राह पकड़ लेते हैं और गलत राह में एक नशा भी आता है। नशा तो वह नरक है जिसमें यदि प्राणी एक बार प्रवेश कर गया अपने गलत निर्णय से तो वह उसी में घूमता रहता है। उसी चक्कर में और जब उसका घूमते घूमते सर्वनाश हो जाता है और अंत हो जाता है। नशा उस नर्क के समान है जिसमें गिरकर प्राणी रहकर उसमें सुख पाने के चक्कर में या अपने पश्चाताप के चक्कर में उसकी लत को अपनाता रहता है और उसी में चक्कर लगाता रहता है या ऐसी दुनिया है जो आपको आकर्षित करेगी। आप यदि युवा पीढ़ी के हैं,तो निश्चय ही हमारी युवा पीढ़ी जो है वह नए-नए तरीकों को आजमाने और रिस्क लेने और नई चीजों का अन्वेषण करने की चाहत युवा पीढ़ी में कूट-कूट कर भरी होती है। हर चीजों को जानना परखना समझना, ही हमारी युवाओं का एक उद्देश्य होता है जब हम वयस्क हो जाते हैं इन सब चीजों से परे हो जाते हैं हम को यह ज्ञान हो जाता है कि क्या अच्छा है क्या बुरा है। किंतु युवा पीढ़ी इसी सब चीजों के आकर्षण से जो नशे के क्षेत्र में है जैसे शराब है जुंआ है, सिगरेट है,पान ,गुटखा ,तंबाकू है कोकीन है चरस गांजा है और बार क्लब हैं और तरह-तरह के डांस बार हैं। और आजकल के आकर्षण पफ हैं ,और बड़े-बड़े होटल जहां पर आप को नशे की विभिन्न प्रकार की पदार्थ और विभिन्न प्रकार के व्यसन करने के लिए सुविधा मुहैया कराते हैं। और उसके लिए वह बड़ी धनराशि भी वसूलते हैं उनका धंधा है ,किंतु हमारी युवा पीढ़ी इस आकर्षण में इतनी खिंची चली आती है वह अपने घर को ही खोखला करने लगती है और अपने माता-पिता से उचित अनुचित सारे तरह की मांग को पूरा कराने की कोशिश करती है ,और माता-पिता औलाद के मोंह में कि "मेरा बच्चा मेरे ही पास रहे" इस चक्कर में वह अत्यधिक पैसे देते चले जाते हैं और समस्या बहुत बड़ी हो जाती है। अतः ऐसी कुरीतियों को रोकना चाहिए ऐसे दूर व्यसनों को करते हुए जो भी युवा मिले उसे समझाना चाहिए चाहे वह हमारे घर का हो चाहे वह पड़ोसी के घर का हो चाहे वह किसी भी जाति का हो किसी भी समाज का हो यदि आप उसे गलत काम करते देख रहे हैं तो उसको प्यार से समझाइए। यही हम वरिष्ठ नागरिकों का आम नागरिकों का कर्तव्य है कि अपने समाज को यदि हमें नशा मुक्त बनाना है तो हमें समाज में या अपने आसपास घटित ऐसी घटनाओं को रोकना पड़ेगा और उसमें आगे बढ़ना पड़ेगा यह नहीं सोचना है हमें कि हम से क्या मतलब है? यह हम से क्या मतलब ही, समाज को खराब कर रहा है यह नहीं सोचना है यह मेरा भी कार्य है कि मैं नशे की लत में गिरफ्त युवकों को इससे उबारने की कोशिश करूं उसे अच्छे -अच्छे उपदेश दूं उसे अच्छी अच्छी सीख दूं ताकि वह इस बुरे कर्म को छोड़ दें और फिर से एक अच्छा जीवन जी सके और एक मां-बाप को उसकी आंखों का तारा वापस फिर से मिल जाए। तो आइए हम सब संकल्प लेते हैं कि हमारे आसपास जितने भी घर हैं, अगर उनमें कोई भी व्यक्ति नशा कर रहा है तो उसके घर जाएं और उस व्यक्ति से संपर्क करें और उस व्यक्ति को समझाने की कोशिश करें और उस व्यक्ति को नशे के दुष्परिणामों के विषय में अवगत कराएं। और इसी तरह जब हम अपने ही घर के आजू-बाजू से शुरू करेंगे तब हमारा यह नशा मुक्त समाज अभियान कौशल का सफल होगा। " यह अभियान एक घर से उठा है, जिनका बेटा युवावस्था में ही अपनी पूरी भरी जवानी में अपनी गृहस्थी अपनी पत्नी एक छोटे दूधमुंहे बच्चे को छोड़कर चला गया और माता-पिता को हमेशा के लिए एक दुख दे गया जिस दुख की आग में वह जल रहे हैं और इस अभियान को जगह-जगह घूम घूम कर लोगों को नशा न करने के लिए विनती कर रहे हैं।" हमारी इस छोटी सी पहल से जाहिर सी बात है यदि हम सब मिलकर एक हो जाएं और अपने मोहल्ले अपने समाज अपने आसपास के क्षेत्रों में नशा करते हुए व्यक्ति को सावधान करें ,और उसका नशा छुड़ाने की कोशिश करें उसे संकल्प लेना है कि# मैं जीवन में कभी नशा नहीं करूंगा यह बहुत बुरी चीज है। इसके दुष्परिणामों को बताते हुए उसे सावधान करें तभी यह अभियान पूर्ण रूप लेगा और सफल हो सकेगा और हमारा समाज ,एवं हमारे जितने भी समाज में रहने वाले व्यक्ति हैं ,जो नशे की गिरफ्त में है वह नशे से बाहर आयेगा और स्वस्थ जीवन जी सकेंगा। यह नेक कार्य करके हम निश्चय ही पुण्य के भागी होंगे और हमारा समाज भी स्वस्थ समाज कहलाएगा। इसी विषय पर आपको कलम चलानी है।
जयनगर/मधुबनी, जिले के भारत- नेपाल सीमा पर तैनात 48 वीं बटालियन एस एस बी मुख्यालय जयनगर के कार्यवाहक कमांडेन्ट आर विशाल के निर्देशानुसार "डी" समवाय दुल्लीपट्टी के समवाय प्रभारी निरीक्षक सोम लाल के नेतृत्व में नशा मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत दुल्लीपट्टी एस एस बी के द्वारा नशा मुक्ति अभियान के तहत शपथ, जन जागरूकता का संदेश लेकर रेली निकली गयी. नारे लगाकर नशा छोड़ने के लिए आम लोगों को प्रेरित किया गया और रैली के माध्यम से जन संदेश पहुंचाया साथ ही शपथ लेकर सभी पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों ने नशा नहीं करने की शपथ ली और दूसरे लोगों को भी नशा न करवाने और नशा छुड़वाने के लिए शपथ ली गई। जागरूकता रैली के दौरान निरीक्षक सोम लाल ने कहा कि हर माता-पिता का अरमान होता है कि उसकी औलाद उससे भी आगे निकले और इस दुनिया में अपना एक नाम एक मुकाम स्थापित करें इसी अरमान के चक्कर में माता-पिता अपने संपूर्ण दौलत और सर्वस्व औलाद पर ही निर्भर करते हैं। औलाद की हर ख्वाहिशों को पूरा करने में मां-बाप कोई कसर नहीं छोड़ते अपने यथाशक्ति से अत्यधिक करते हैं और इस चक्कर में वह कभी-कभी कर्ज में भी डूब जाते हैं। और यदि हमारे संस्कार अच्छे हैं हमने अपनी संतान को संस्कार अच्छे दिए हैं शुरू से ही उसे तरीका सिखाया है। तो जाहिर सी बात है कि संतान के अंदर बड़े होने पर युवा होने पर यह अच्छी तरह से समझ में आएगा उसे कि मैं क्या सही कर रहा हूं और क्या गलत कर रहा हूं कौन सी संगत अच्छी है। और कौन सी संगत बुरी है मुझे अपने माता-पिता के किए गए कर्मों का एवं माता पिता के द्वारा मुझे इतनी सुविधा देने के लिए उसके बदले में मुझे उनके अरमानों का फूल खिलाना पड़ेगा और मैं इसके लिए मैं पूरे प्रयास से अपने को समर्पित करूंगा और जहां तक संभव है मैं माता-पिता के अरमानों को पूरा कर उनका राजा बेटा बनूंगा |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें