आखिरकार जालंधर धर्मप्रांत के बिशप फ्रैंको मुलक्कल को इस्तीफा देना पड़ ही गया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 2 जून 2023

आखिरकार जालंधर धर्मप्रांत के बिशप फ्रैंको मुलक्कल को इस्तीफा देना पड़ ही गया

  • संत पापा ने भारत के बिशप फ्रैंको मुलक्कल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया
  • अभी बिशप 59 साल के हैं. वे और 16 साल तक बिशप रहते

Jalandhar-bishop-resign
जालंधर. भारत के जालंधर धर्मप्रांत के बिशप फ्रैंको मुलक्कल द्वारा प्रस्तुत इस्तीफा संत पापा ने स्वीकार कर लिया है.बताते चले कि बिशप फ्रेंको मुलक्कल का जन्म 25 मार्च, 1964 को केरल के त्रिचूर में हुआ था. उन्हें 1990 में पुरोहित नियुक्त किया गया और 17 जनवरी, 2009 को दिल्ली के सहायक बिशप नियुक्त किया गया.पोप फ्रांसिस ने उन्हें 13 जून 2013 को जालंधर के बिशप के रूप में नियुक्त किया था।  नन ने जून 2018 में पुलिस को शिकायत दी थी कि 2014 से 2016 के बीच मुलक्कल ने उनका यौन शोषण किया था.वह तब रोमन कैथलिक चर्च के जालंधर डायोसिस के बिशप थे.कोट्टायम की पुलिस ने जून 2018 में बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ रेप का केस दर्ज किया था. एसआईटी ने बिशप को सितंबर 2018 में गिरफ्तार किया था. उन पर बंधक बनाने, रेप करने और आपराधिक धमकी जैसे आरोप लगाए गए. नवंबर 2019 में सुनवाई शुरू हुई, जो 10 जनवरी को पूरी हुई थी. केरल में कोट्टायम की एक अदालत ने बिशप फ्रैंको मुलक्कल (Bishop Franco Mulakkal) को नन से रेप (Nun Rape Case) के आरोपों से बरी कर दिया क्योंकि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ सबूत पेश नहीं कर सका. फैसला सुनने के लिए अदालत पहुंचे मुलक्कल (Kerala Nun Rape case) ने राहत की सांस ली और कहा - ईश्वर का धन्यवाद. फैसले के बाद जारी एक बयान में जालंधर डायोसिस ने भी उन सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया, जो बिशप की बेगुनाही में विश्वास करते रहे. पीड़िता और उनकी समर्थक नन दक्षिण केरल में कुराविलांगड कानवेंट में रहती हैं. न्याय के लिए ननों के संघर्ष का चेहरा रही सिस्टर अनुपमा ने कहा कि वे निश्चित ही इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देंगी और अपनी बेबस सहयोगी की लड़ाई को आगे ले जाएंगी. उन्होंने कहा, ‘‘जो अमीर और प्रभावशाली हैं वे इस समाज में कुछ भी कर सकते हैं. समाज में यही हम अपने आसपास देखते हैं. हमने इस मामले की बहस के समय तक कुछ भी अजीब महसूस नहीं किया. हमारा मानना है कि उसके बाद इसे (मामले को) बिगाड़ दिया गया.’’ यह आधिकारिक तौर पर कहा गया है कि बिशप फ्रैंको के ऊपर किसी तरह की अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं है.यह सिर्फ धर्मप्रांत में अच्छे बिशप की नियुक्ति के संदर्भ में एक कदम भर है.

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